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जल प्रदूषण पर निबंध (Water Pollution Essay in Hindi)

जल प्रदूषण

धरती पर जल प्रदूषण लगातार एक बढ़ती समस्या बनती जा रही है जो सभी पहलुओं से मानव और जानवरों को प्रभावित कर रही है। मानव गतिविधियों के द्वारा उत्पन्न जहरीले प्रदूषकों के द्वारा पीने के पानी का मैलापन ही जल प्रदूषण है। जल कई स्रोतों के माध्यम से पूरा पानी प्रदूषित हो रहा है जैसे शहरी अपवाह, कृषि, औद्योगिक, तलछटी, अपशिष्ट भरावक्षेत्र से निक्षालन, पशु अपशिष्ट और दूसरी मानव गतिविधियाँ। सभी प्रदूषक पर्यावरण के लिये बहुत हानिकारक हैं।

जल प्रदूषण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Water Pollution in Hindi, Jal Pradushan par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (250 – 300 शब्द ).

जल में अवांछनीय और हानिकारक पदार्थों के मिलने पर जल का दूषित हो जाना, जलप्रदुषण कहलाता है। जब हम प्रदूषित पानी पीते हैं, तब खतरनाक रसायन और दूसरे प्रदूषक शरीर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं और शरीर के सभी अंगों के कार्यों को बिगाड़ देते हैं और हमारा जीवन खतरे में डाल देते हैं।

जल प्रदूषण का कारण और प्रभाव

बढ़ती मांग और विलासिता के कारण जल प्रदूषण पूरे विश्व के लोगों के द्वारा किया जा रहा है। कई सारी मानव क्रियाकलापों से उत्पादित कचरा पूरे पानी को खराब करता है और जल में ऑक्सीजन की मात्रा को कम करता है। ऐसे प्रदूषक जल की भौतिक, रसायनिक, थर्मल और जैव-रसायनिक विशेषता को कम करते हैं और पानी के बाहर के साथ ही पानी के अंदर के जीवन को बुरी तरह प्रभावित करते हैं।

जल प्रदूषण पर नियंत्रण

खाद, कीटनाशकों आदि के कृषि उपयोगों से बाहर आने वाले रसायनों के कारण उच्च स्तरीय जल प्रदूषण होता है। जल प्रदूषक की मात्रा और प्रकार के आधार पर जल प्रदूषण का प्रभाव जगह के अनुसार बदलता है। पीने के पानी की गिरावट को रोकने के लिये तुरंत एक बचाव तरीके की ज़रुरत है जो धरती पर रह रहे, प्रत्येक व्यक्ति की समझ और सहायता के द्वारा संभव है।

ऐसे खतरनाक रसायन पशु और पौधों के जीवन को बुरी तरह से प्रभावित करते हैं। जब पौधे अपनी जड़ों के द्वारा गंदे पानी को सोखते हैं, वो बढ़ना बंद कर देते हैं और सूख जाते हैं। जहाजों और उद्योगों से निकलने वाले दूषित जल की वजह से हजारों समुद्री जीव मर जाते हैं।

इसे यूट्यूब पर देखें : Essay on Water Pollution in Hindi

निबंध 2 (300)

धरती पर जीवन के लिये जल सबसे ज़रुरी वस्तु है। यहाँ किसी भी प्रकार के जीवन और उसके अस्तित्व को ये संभव बनाता है। जीव मंडल में पारिस्थितिकी संतुलन को ये बनाये रखता है। पीने, नहाने, ऊर्जा उत्पादन, फसलों की सिंचाई, सीवेज़ के निपटान, उत्पादन प्रक्रिया आदि बहुत उद्देश्यों को पूरा करने के लिये स्वच्छ जल बहुत ज़रुरी है। बढ़ती जनसंख्या के कारण तेज औद्योगिकीकरण और अनियोजित शहरीकरण बढ़ रहा है जो बड़े और छोटे पानी के स्रोतों में ढेर सारा कचरा छोड़ रहें हैं जो अंतत: पानी की गुणवत्ता को गिरा रहा है।

जल में ऐसे प्रदूषकों के सीधे और लगातार मिलने से पानी में उपलब्ध ओजोन (जो खतरनाक सूक्ष्म जीवों को मारता है) के घटने के द्वारा जल की स्व:शुद्धिकरण क्षमता घट रही है। जल प्रदूषक जल की रसायनिक, भौतिक और जैविक विशेषता को बिगाड़ रहा है जो पूरे विश्व में सभी पौड़-पौधों, मानव और जानवरों के लिये बहुत खतरनाक है। पशु और पौधों की बहुत सारी महत्वपूर्ण प्रजातियाँ जल प्रदूषकों के कारण खत्म हो चुकी है। ये एक वैश्विक समस्या है जो विकसित और विकासशील दोनों देशों को प्रभावित कर रही हैं। खनन, कृषि, मछली पालन, स्टॉकब्रिडींग, विभिन्न उद्योग, शहरी मानव क्रियाएँ, शहरीकरण, निर्माण उद्योगों की बढ़ती संख्या, घरेलू सीवेज़ आदि के कारण बड़े स्तर पर पूरा पानी प्रदूषित हो रहा है।

विभिन्न स्रोतों से निकले जल पदार्थ की विशिष्टता पर निर्भर जल प्रदूषण के बहुत सारे स्रोत हैं (बिन्दु स्रोत और गैर-बिन्दु स्रोत या बिखरा हुआ स्रोत)। उद्योग, सीवेज़ उपचार संयंत्र, अपशिष्ट भरावक्षेत्र, खतरनाक कूड़े की जगह से बिन्दु स्रोत पाइपलाईन, नाला, सीवर आदि सम्मिलित करता है, तेल भण्डारण टैंक से लीकेज़ जो सीधे पानी के स्रोतों में कचरा गिराता है। जल प्रदूषण का बिखरा हुआ स्रोत कृषि संबंधी मैदान, ढेर सारा पशुधन चारा, पार्किंग स्थल और सड़क में से सतह जल, शहरी सड़कों से तूफानी अपवाह आदि हैं जो बड़े पानी के स्रोतों में इनसे निकले हुए प्रदूषकों को मिला देता है। गैर-बिन्दु प्रदूषक स्रोत बड़े स्तर पर जल प्रदूषण में भागीदारी करता है जिसे नियंत्रित करना बहुत कठिन और महँगा है।

निबंध 3 (400)

पूरे विश्व के लिये जल प्रदूषण एक बड़ा पर्यावरणीय और सामाजिक मुद्दा है। ये अपने चरम बिंदु पर पहुँच चुका है। राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी), नागपुर के अनुसार ये ध्यान दिलाया गया है कि नदी जल का 70% बड़े स्तर पर प्रदूषित हो गया है। भारत की मुख्य नदी व्यवस्था जैसे गंगा, ब्रह्मपुत्र, सिंधु, प्रायद्वीपीय और दक्षिण तट नदी व्यवस्था बड़े पैमाने पर प्रभावित हो चुकी है। भारत में मुख्य नदी खासतौर से गंगा भारतीय संस्कृति और विरासत से अत्यधिक जुड़ी हुई है। आमतौर पर लोग जल्दी सुबह नहाते हैं और किसी भी व्रत या उत्सव में गंगा जल को देवी-देवताओं को अर्पण करते हैं। अपने पूजा को संपन्न करने के मिथक में गंगा में पूजा विधि से जुड़ी सभी सामग्री को डाल देते हैं।

नदियों में डाले गये कचरे से जल के स्व:पुनर्चक्रण क्षमता के घटने के द्वारा जल प्रदूषण बढ़ता है इसलिये नदियों के पानी को स्वच्छ और ताजा रखने के लिये सभी देशों में खासतौर से भारत में सरकारों द्वारा इसे प्रतिबंधित कर देना चाहिये। उच्च स्तर के औद्योगिकीकरण होने के बावजूद दूसरे देशों से जल प्रदूषण की स्थिति भारत में अधिक खराब है। केन्द्रिय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में गंगा सबसे प्रदूषित नदी है अब जो पहले अपनी स्व शुद्धिकरण क्षमता और तेज बहने वाली नदी के रुप में प्रसिद्ध थी। लगभग 45 चमड़ा बनाने का कारखाना और 10 कपड़ा मिल कानपुर के निकट नदी में सीधे अपना कचरा (भारी कार्बनिक कचरा और सड़ा सामान) छोड़ते हैं। एक आकलन के अनुसार, गंगा नदी में रोज लगभग 1,400 मिलियन लीटर सीवेज़ और 200 मिलियन लीटर औद्योगिक कचरा लगातार छोड़ा जा रहा है।

दूसरे मुख्य उद्योग जिनसे जल प्रदूषण हो रहा है वो चीनी मिल, भट्टी, ग्लिस्रिन, टिन, पेंट, साबुन, कताई, रेयान, सिल्क, सूत आदि जो जहरीले कचरे निकालती है। 1984 में, गंगा के जल प्रदूषण को रोकने के लिये गंगा एक्शन प्लान को शुरु करने के लिये सरकार द्वारा एक केन्द्रिय गंगा प्राधिकारण की स्थापना की गयी थी। इस योजना के अनुसार हरिद्वार से हूगली तक बड़े पैमाने पर 27 शहरों में प्रदूषण फैला रही लगभग 120 फैक्टरियों को चिन्हित किया गया था। लखनऊ के पास गोमती नदी में लगभग 19.84 मिलियन गैलन कचरा लुगदी, कागज, भट्टी, चीनी, कताई, कपड़ा, सीमेंट, भारी रसायन, पेंट और वार्निश आदि के फैक्टरियों से गिरता है। पिछले 4 दशकों ये स्थिति और भी भयावह हो चुकी है। जल प्रदूषण से बचने के लिये सभी उद्योगों को मानक नियमों को मानना चाहिये, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सख्त कानून बनाने चाहिये, उचित सीवेज़ निपटान सुविधा का प्रबंधन हो, सीवेज़ और जल उपचार संयंत्र की स्थापना, सुलभ शौचालयों आदि का निर्माण करना चाहिये।

Essay on Water Pollution in Hindi

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Essay on Water Pollution in Hindi : स्टूडेंट्स के लिए जल प्रदूषण पर 100, 200 और 500 शब्दों में निबंध

essay on water pollution in hindi short

  • Updated on  
  • अक्टूबर 20, 2023

Essay on Water Pollution in Hindi

जल ही जीवन है, यह सिर्फ एक कथन नहीं है बल्कि मनुष्य के जीवन के लिए सबसे आवश्यक पदार्थ है। जल मानवों द्वारा उपयोग किया जाने वाले सबसे अधिक महत्वपूर्ण रिसोर्स है। यह मानव जीवन का एक अभिन्न अंग है, जो कि झीलों, नदियों, तालाबों, समुद्र और भूमि से प्राप्त होता है। जल प्रदूषण की समस्या को समझते हुए कई बार विद्यार्थियों को इसके ऊपर निबंध लिखने को दिया जाता है। यहां Essay on Water Pollution in Hindi दिया गया है, जिसे आप अपने स्कूल या कॉलेज के प्रोजक्ट में प्रयोग कर सकते हैं।

This Blog Includes:

जल प्रदूषण क्या होता है, जल प्रदूषण पर निबंध लिखते समय किन-किन बिंदुओं को लिखें, जल प्रदूषण पर निबंध 100 शब्दों में  , जल प्रदूषण पर निबंध 200 शब्दों में   , जल प्रदूषण के कारण, जल प्रदूषण के दुष्प्रभाव, जल प्रदूषण पर नियंत्रण, जल प्रदूषण पर 10 लाइन्स , जल प्रदूषण पर कोट्स , जल प्रदूषण से जुड़े कुछ तथ्य .

जल के प्रदूषण से यह तात्पर्य नदियों, झीलों, महासागरों और भूजल जैसे जल निकायों में पदार्थों या प्रदूषकों द्वारा प्रदूषण से है क्योंकि ये पानी की गुणवत्ता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। इसके साथ यह पानी पर निर्भर जीवों को नुकसान पहुँचाते हैं। इन पॉल्यूटेन्स में केमिकल्स, इंडस्ट्रियल वेस्ट, सीवेज, आयल स्पिल्स, एग्रीकल्चरल रनऑफ और भी बहुत कुछ तत्व शामिल हो सकते हैं। जल प्रदूषण का पर्यावरण, मानव स्वास्थ्य और एक्वेटिक इकोसिस्टम पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है, जिससे यह एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चिंता बन जाता है।

Essay on Water Pollution in Hindi लिखते समय इन बिंदुओं को ध्यान में रखें-

  • अपने तर्कों का समर्थन करने के लिए रिलेवेंट स्टेटिस्टिक्स और डेटा शामिल करें।  डेटा समस्या की सीमा को मापने और आपकी बातों को अधिक प्रेरक बनाने में मदद कर सकता है।
  • मुख्य बिंदुओं को स्पष्ट करने के लिए ग्राफ़, चार्ट और छवियों को शामिल करने पर विचार करें।  दृश्य सहायता जटिल जानकारी को आपके पाठकों के लिए अधिक सुलभ बना सकती है।
  • विरोधी दृष्टिकोणों और तर्कों को एक्सेप्ट करें, फिर प्रूफ्स और तर्क के साथ उनका खंडन करें। यह विषय की व्यापक समझ को प्रदर्शित करता है।
  • ग्लोबल लेवल पर जल प्रदूषण पर चर्चा करें।  इस बात पर प्रकाश डालें कि यह किस प्रकार दुनिया भर के देशों को प्रभावित करने वाली समस्या है और इसे संबोधित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग किस प्रकार आवश्यक है।
  • दिखाएँ कि इंडस्ट्रियलाइजेशन और जनसंख्या वृद्धि के कारण समय के साथ यह कैसे अधिक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है।
  • स्थानीय या क्षेत्रीय जल प्रदूषण मुद्दों पर चर्चा करके अपने निबंध को अपने दर्शकों के लिए प्रासंगिक बनाएं।  इससे पाठकों को व्यक्तिगत स्तर पर विषय से जुड़ने में मदद मिल सकती है।
  • स्पष्ट, संक्षिप्त और औपचारिक भाषा का प्रयोग करें।  पूरे निबंध में पेशेवर और वस्तुनिष्ठ लहजा बनाए रखें।
  • पैराग्राफ और सेक्शंस के बीच सुचारू बदलाव सुनिश्चित करें।  अपने निबंध के माध्यम से पाठक का मार्गदर्शन करने के लिए वाक्यांशों का उपयोग करें।
  • अपना निबंध सबमिट करने से पहले, व्याकरण संबंधी त्रुटियों, वर्तनी की गलतियों और स्पष्टता के लिए इसे सावधानीपूर्वक प्रूफरीड और एडिटिंग करें। नए सिरे से इसकी समीक्षा करने के लिए किसी और से पूछने पर विचार करें।

हमारे आस पास जल में प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है यह जल प्रदूषण नेचुरल वाटर बॉडी में हानिकारक पदार्थों के प्रवेश के कारण होता है। यह इंडस्ट्रियल डिस्चार्ज, एग्रिकल्चरल रन ऑफ और सीवेज के इंप्रोपर डिस्पोजल के परिणामस्वरूप हो सकता है। यह संदूषण जलीय इकोसिस्टम, वाइल्ड लाइफ और ह्यूमन हेल्थ के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है। पानी में हानिकारक केमिकल और पॉल्यूटेंट जलीय जीवों की मृत्यु का कारण बन सकते हैं, फूड चेन को बाधित कर सकते हैं और जल स्रोतों को पीने योग्य नहीं बना सकते हैं। परिणामस्वरूप, हमारे ग्रह के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए जल प्रदूषण को संबोधित करना आवश्यक है।  इस समस्या को कम करने और सभी के लिए स्वच्छ और सुरक्षित जल स्रोत सुनिश्चित करने के लिए सख्त नियम, जिम्मेदार अपशिष्ट प्रबंधन और सार्वजनिक जागरूकता महत्वपूर्ण हैं।

प्लैनेट अर्थ पर लोगों के लिए वाटर अबन्डेन्ट क्वांटिटी में है।  यह अर्थ के सर्फेस के ऊपर और अंडर ग्राउंड दोनों जगहों पर मौजूद मौजूद है।  बड़ी नदियाँ, तालाब, समुद्र और साथ में बड़े महासागर इस पृथ्वी के सर्फेस पर पाए जाने वाले कुछ सबसे अधिक मुख्य वाटर सोर्स हैं। हमारे आस पास इतना अधिक पानी होने के कारण भले ही हमारी दुनिया अपने स्वयं के पानी की भरपाई कर सकती है, समय के साथ, हम मौजूद पानी की प्रचुरता को नष्ट और ठीक तरह से उपयोग नहीं कर रहे हैं। पृथ्वी की सतह पर उसके 70% से अधिक हिस्सा पानी से और सिर्फ 30% जमीन से ढका हुआ है, बहुत सारे करणों की वजह से तेजी से बढ़ रहा जल प्रदूषण मरीन लाइफ और मनुष्यों को प्रभावित करता है। पृथ्वी पर पानी के इस अन एवन डिस्ट्रीब्यूशन और पृथ्वी पर लोगों की बढ़ती आबादी के कारण इसकी बढ़ती मांग को लेकर हर कोई चिंतित होने लगा है।

बड़े शहरों सीवेज और कमर्शियल वेस्ट डिस्चार्ज वाटर पॉल्यूशन में योगदान देने वाले दो सबसे हार्मफुल कारक हैं। मिट्टी या ग्राउंड वाटर सिस्टम के साथ-साथ बारिश के माध्यम से जल आपूर्ति तक पहुंचने वाले कंटामिनेंट जल प्रदूषण के कुछ इंडाइरेक्ट सोर्सेज के उदाहरण हैं।  विजिबल इंप्यूरिटीज की तुलना में केमिकल कंटामिनेंट को वाटर बॉडी से निकालना अधिक खतरनाक और चैलेंजिंग होता है, जिन्हें फिजिकल क्लीनिंग या फ़िल्टरिंग द्वारा आसानी से समाप्त किया जा सकता है। जब पानी में केमिकल मिक्स किए जाते हैं तो पानी की स्पेशियलिटीज पूरी तरह से बदल जाती हैं, जिससे लोगों एक द्वारा इसका उपयोग खतरनाक हो जाता है और शायद यह घातक हो जाता है।

वाटर पॉल्यूशन को रोकने के लिए, नागरिक और सरकार के रूप में हमारे द्वारा कई सारे कदम उठाए जा सकते हैं।  चूंकि वाटर एफिशिएंसी और प्रोटेक्शन सस्टेनेबल वाटर मैनेजमेंट के आवश्यक तत्व हैं, इसलिए जल के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।  इंटेलिजेंट इरिगेशन सिस्टम और सौर डिसेलिनेशन पानी के मैनेजमेंट और प्रोटेक्शन के लिए क्लीन टेक्नोलॉजी के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

वाटर पॉल्यूशन को रोकने के लिए रैन वाटर हार्वेस्टिंग और पानी का पुन: किसी तरीके से उपयोग एक उत्कृष्ट तरीका है।  पुनः प्राप्त अपशिष्ट जल और वर्षा जल एकत्र होने के कारण भूजल और अन्य नेचुरल वाटर सोर्स कम तनाव में हो सकते हैं। पानी की कमी से बचने का एक तरीका भूमिगत जल का पुनर्भरण है, जो पानी को सर्फेस वाले जल से भूमिगत जल में ट्रांसफर करने में सक्षम बनाता है।

जल प्रदूषण पर निबंध 500 शब्दों में 

Essay on Water Pollution in Hindi 500 शब्दों में निबंध यहां दिया गया है-

जल, हमारी पृथ्वी की जीवनधारा, एक सीमित और अमूल्य संसाधन है जो सभी जीवित जीवों और इकोसिस्टम को बनाए रखता है।  यह हमारे परिदृश्य को आकार देता है, हमारी नदियों और झीलों को भरता है, और हमारी प्यास बुझाता है।  हालाँकि, वह पदार्थ जो जीवन को कायम रखता है, उस खतरे से तेजी से खतरे में है जो भौगोलिक सीमाओं से परे और समय से परे है: जल प्रदूषण।  जल प्रदूषण, असंख्य हानिकारक पदार्थों द्वारा जल निकायों का संदूषण, हमारे पर्यावरण के स्वास्थ्य, जलीय पारिस्थितिक तंत्र की जीवन शक्ति, समुदायों की भलाई और हमारे ग्रह के भविष्य के लिए एक गंभीर चुनौती पैदा करता है।  इस निबंध में, हम जल प्रदूषण के कारणों, परिणामों और इस रोकने के बारे में जानिए। 

हमारे आस पास के जल में होने प्रदूषण के कारण निम्न प्रकार से हैं:

  • इंडस्ट्रियल डिस्चार्ज: फैक्ट्रियां और औद्योगिक सुविधाएं अक्सर जल निकायों में हार्मफुल केमिकल्स, भारी धातुएं और अपशिष्ट छोड़ती हैं, जिससे वे दूषित हो जाते हैं।
  • एग्रिकल्चरल रन ऑफ: किसान खेतों से कीटनाशक, शाकनाशी और उर्वरक नदियों और झीलों में बह सकते हैं, जिससे पोषक तत्व प्रदूषण होता है और जलीय जीवन को नुकसान पहुंचता है।
  • सीवेज और वेस्ट वाटर: अपर्याप्त सीवेज उपचार संयंत्र रोगजनकों और प्रदूषकों को लेकर अनुपचारित सीवेज को जल स्रोतों में छोड़ सकते हैं।
  • ऑइल लीकेज: जहाजों और तेल रिगों से किसी न किसी कारण या जानबूझकर ऑइल लीकेज का मरीन इकोलॉजी तंत्र पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है।
  • माइनिंग एक्टिविटीज: खनन कार्य खतरनाक सामग्री और तलछट को पास के जल निकायों में छोड़ सकते हैं, जिससे जलीय जीवन को नुकसान पहुँच सकता है।
  • इंप्रूपर वेस्ट डिस्पोजल: घरेलू और ठोस कचरे के अनुचित निपटान के परिणामस्वरूप प्रदूषकों का भूजल में रिसाव हो सकता है।
  • नए निर्माण और शहरी अपवाह: शहरी क्षेत्रों से तलछट, निर्माण मलबा और प्रदूषक बारिश के दौरान जल निकायों में प्रवाहित हो सकते हैं, जिससे पानी की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
  • एटमॉस्फेरिक डिपोजिशन: वायुजनित प्रदूषक, जैसे अम्लीय वर्षा, जल निकायों में गिर सकते हैं, जिससे अम्लीकरण और संदूषण हो सकता है।
  • लैंडफिल: अनुचित तरीके से प्रबंधित लैंडफिल प्रदूषकों और रसायनों को भूजल में प्रवाहित कर सकते हैं, जिससे यह प्रदूषित हो सकता है।
  • हार्मफुल एल्गी एरप्शन: पोषक तत्वों के प्रदूषण से हार्मफुल एल्गी एरप्शन की वृद्धि हो सकती है, जिससे विषाक्त पदार्थ पैदा होते हैं जो पानी की गुणवत्ता और जलीय जीवन को प्रभावित करते हैं।

Essay on Water Pollution in Hindi में अब जानते हैं कि जल प्रदूषण से होने वाले दुष्प्रभाव क्या-क्या होते हैं, जो इस प्रकार हैं:

एक्वाटिक इकोसिस्टम को नुकसान:

  • खाद्य श्रृंखलाओं और जलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों का विघटन।
  • ऑक्सीजन के स्तर में कमी के कारण मछली और अन्य जलीय प्रजातियों में गिरावट आ रही है।
  • पोषक तत्वों के प्रदूषण के कारण शैवाल का खिलना और पौधों की अत्यधिक वृद्धि, जो ऑक्सीजन की कमी कर सकती है और जलीय जीवन को नुकसान पहुंचा सकती है।

वाटर क्वालिटी डिग्रेडेशन:

  • पेयजल स्रोतों का संदूषण, जिससे मनुष्यों के लिए स्वास्थ्य जोखिम पैदा हो रहा है।
  • पीने के पानी में खराब स्वाद और गंध आना।
  • पानी की स्पष्टता और गंदलापन कम हो गया।

मनुष्यों के लिए स्वास्थ्य जोखिम:

  • सूक्ष्मजीवी संदूषण से जलजनित रोग, जैसे हैजा और पेचिश।
  • जहरीले रसायनों, भारी धातुओं और कार्बनिक प्रदूषकों के संपर्क में आने से कैंसर, प्रजनन समस्याएं और तंत्रिका संबंधी विकार सहित विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

लॉस ऑफ बायोडायवर्सिटी:

  • आवास विनाश और प्रदूषण के कारण जलीय प्रजातियों का ह्रास या विलुप्त होना।
  • प्रभावित जल निकायों में जैव विविधता में कमी।

इकोनॉमिक इंपैक्ट:

  • मछली पकड़ने और पर्यटन पर निर्भर लोगों की आय और आजीविका का नुकसान।
  • जल उपचार और प्रदूषण सफाई से जुड़ी लागत।

मिट्टी दूषण:

  • जल प्रदूषण से होने वाला अपवाह मिट्टी को प्रदूषित कर सकता है, जिससे कृषि उत्पादकता और खाद्य सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।
  • वायुमंडल में छोड़े गए प्रदूषक अम्लीय वर्षा के रूप में पृथ्वी पर लौट सकते हैं, जो एक्वेटिक इकोसिस्टम और स्थलीय वातावरण को और नुकसान पहुंचा सकते हैं।

प्राकृतिक प्रक्रियाओं का विघटन:

  • पानी के तापमान, पीएच स्तर और ऑक्सीजन सामग्री में परिवर्तन, जो पोषक चक्र और प्रकाश संश्लेषण जैसी प्राकृतिक प्रक्रियाओं को बाधित कर सकता है।

नकारात्मक सौंदर्य प्रभाव:

  • भद्दे और प्रदूषित वाटर बॉडीज़ मनोरंजक गतिविधियों और पर्यटन को बाधित कर सकते हैं।

लॉन्ग टर्म एनवायरमेंट डैdamag

  • समय के साथ संचित प्रदूषण से जलीय पर्यावरण को लंबे समय तक नुकसान हो सकता है और इसे ठीक करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

Essay on Water Pollution in Hindi जानने के साथ-साथ वाटर पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए कुछ टिप्स यहां दी गई है-

  • घरों में सिंक में खाना पकाने की चर्बी या किसी अन्य प्रकार की चर्बी, तेल या ग्रीस न डालें।  फेट को कलेक्ट करने के लिए सिंक के नीचे एक “फैट जार” रखें और भर जाने पर सॉलिड वेस्ट में फेंक दें।
  • हाउसहोल्ड केमिकल्स या क्लीनिंग एजेंट्स को सिंक या शौचालय में न फेंके।     
  • किसी भी प्रकार की गोलियाँ, लिक्विड या पाउडर वाली दवाएँ या नशीले पदार्थों को शौचालय में न बहाएँ। सभी प्रकार के मेडिकल वेस्ट के उचित निपटान पर अधिक ध्यान दें।
  • टॉयलेट को डस्टबिन बनाकर उसका प्रयोग करने से बचें। छोटे मोटे वेस्ट्स टिश्यू, रैपर, धूल के कपड़े और अन्य कागज के सामान को उचित तरीके से डस्टबिन में फेंक देना चाहिए।  फाइबर रीइनफोर्स्ड क्लीनिंग प्रोडक्ट्स जो अधिक पॉपुलर हो गए हैं उन्हें कभी भी टॉयलेट में नहीं फेंकना चाहिए।
  • गारबेज डिस्पोजल का उपयोग करने से बचें।  सॉलिड वेस्ट को सॉलिड ही रखें जिससे वो वाटर पॉल्यूशन का कारण न बने।  सब्जियों के अवशेषों से खाद का ढेर बनाएं।
  • वाटर एफिशिएंट टॉयलेट स्थापित करें।  इस बीच, प्रति फ्लश पानी के उपयोग को कम करने के लिए स्टैंडर्ड टॉयलेट टैंक में एक ईंट या 1/2 गैलन कंटेनर रखें।
  • डिशवॉशर या कपड़े धोने की मशीन तभी चलाएं जब आपके पास पूरा लोड हो।  इससे बिजली और पानी की बचत होती है।
  • जब आप कपड़ों या बर्तनों को धोते समय डिटर्जेंट और/या ब्लीच की न्यूनतम मात्रा का उपयोग करें।  केवल फॉस्फेट मुक्त साबुन और डिटर्जेंट का उपयोग करें।
  • पेस्टीसाइड्स, हर्बीसाइड्स, फर्टिलाइजर्स का उपयोग कम से कम करें।  इन केमिकल्स, मोटर तेल, या अन्य ऑटोमोटिव लिक्विड सब्सटेंसेज को सैनिटरी सीवर या स्टॉर्म सीवर सिस्टम में न डालें।  दोनों का अंत नदी पर होता है।
  • यदि आपके घर में एक सम पंप या सेलर ड्रेन है, तो इस बात को जरूर सुनिश्चित करें कि यह सैनिटरी सीवर सिस्टम में न बहे। 

वाटर पॉल्यूशन हमारे एनवायरमेंट, एक्वैटिक इकोसिस्टम, ह्यूमन हेल्थ और हमारे प्लैनेट अर्थ की समग्र भलाई के लिए दूरगामी और बहुत अधिक विनाशकारी परिणामों वाला एक गंभीर वैश्विक मुद्दा है। यह विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न होता है, जिनमें इंडस्ट्रियल डिस्चार्ज, एग्रिकल्चरल रन ऑफ, सीवेज और इंप्रोपर वेस्ट डिस्पोजल शामिल हैं, जो हमारी वाटर बॉडीज के पॉल्यूशन का कारण बनते हैं। वाटर पॉल्यूशन के परिणाम असंख्य और गंभीर हैं, और इनमें इकोलॉजिकल, इकोनॉमिकल और पब्लिक हेल्थ एस्पेक्ट्स शामिल हैं।

पृथ्वी के सबसे कीमती रिसोर्सेज की सिक्योरिटी के लिए वाटर पॉल्यूशन को कंट्रोल करने और प्रिवेंशन के प्रयास आवश्यक हैं। रेगुलेटरी मीजर्स, वेस्ट जल उपचार, सस्टेनेबल एग्रीकल्चर और इंडस्ट्रियल प्रैक्टिसेज और पब्लिक अवेयरनेस कैंपेन इस मुद्दे को संबोधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पॉल्यूशन कंट्रोल मीजर्स को लागू करने और लागू करने के लिए सहयोगात्मक रूप से काम करना सरकारों, इंडस्ट्रीज़, कम्यूनिटीज और इंडिविजुअल्स पर निर्भर है।

जल प्रदूषण की गंभीरता के लिए तत्काल और निरंतर कार्रवाई की आवश्यकता है।  यह न केवल पर्यावरणीय जिम्मेदारी का मामला है, बल्कि वर्तमान और भावी पीढ़ियों के स्वास्थ्य और समृद्धि के संरक्षण के लिए एक मूलभूत आवश्यकता भी है।  स्वच्छ जल एक मौलिक मानव अधिकार है, और सामूहिक कार्रवाई करके, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि यह सभी के लिए सुलभ और प्रदूषण रहित बना रहे।

वॉटर पॉल्यूशन की सीरियसनेस के लिए कार्रवाई की आवश्यकता है।  यह न केवल पर्यावरणीय जिम्मेदारी का मामला है, बल्कि वर्तमान और भावी पीढ़ियों के स्वास्थ्य और समृद्धि के संरक्षण के लिए एक मूलभूत आवश्यकता भी है।  स्वच्छ जल एक मौलिक मानव अधिकार है, और सामूहिक कार्रवाई करके, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि यह सभी के लिए सुलभ और प्रदूषण रहित बना रहे।

Essay on Water Pollution in Hindi पर 10 लाइन्स यहां दी गई है-

  • मुख्यतः वाटर रिसोर्सेज के दूषित होने से जल प्रदूषण होता है।
  • नदियों में इंडस्ट्रियल डिस्चार्ज का सीधा डिस्पोजल नदी के पानी को जहरीला बनाता है।
  • घरों से निकलने वाले जल की निकासी में गंभीर रोगजनक होते हैं जिन्हें नदियों में बहाए जाने पर महामारी फैल सकती है।
  • चट्टानों और मिट्टी में मौजूद आर्सेनिक जैसी भारी धातुएँ पानी को दूषित कर देती हैं और भूजल को जहरीला बना देती हैं।
  • कृषि गतिविधियों में उपयोग किए जाने वाले फर्टिलाइजर्स और पेस्टीसाइड्स सतह के साथ-साथ भूमिगत जल को भी प्रभावित कर सकते हैं।
  • ऑयल स्पिल प्रोसेस से समुद्र में भारी मात्रा में कच्चा पेट्रोलियम निकलता है जिससे मरीन इकोलॉजी प्रभावित होती है।
  • जल प्रदूषण से कोलेरा, टाइफाइड, पेचिश और यहाँ तक कि पॉइजनिंग जैसी कई गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं।
  • WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार जल से होने वाली बीमारियों के कारण हर साल पूरी दुनिया लगभग 842000 मौतें होती हैं।
  • यदि हम जल प्रदूषण से लड़ना चाहते हैं तो एक उचित वेस्ट डिस्पोजल सिस्टम होना चाहिए।
  • बेवजह पानी की बर्बादी से बचना और अपने आस-पास साफ-सफाई रखना हमें पानी को साफ और सुरक्षित रखने में मदद कर सकता है।

Essay on Water Pollution in Hindi रोकने के लिए कोट्स नीचे दिए गए हैं-

  • पानी और हवा, दो आवश्यक तरल पदार्थ जिन पर सारा जीवन निर्भर करता है, वैश्विक कचरा डिब्बे बन गए हैं।” – जैक्स-यवेस कॉस्ट्यू
  •  “जब कुआँ सूख जाता है, तो हमें पानी की कीमत पता चलती है।”  – बेंजामिन फ्रैंकलिन
  •  “जल जीवन का पदार्थ और मैट्रिक्स, मां और माध्यम है। पानी के बिना कोई जीवन नहीं है।”  – अल्बर्ट सजेंट-ग्योर्गी
  •  “जब तक कुआँ सूख नहीं जाता तब तक हमें पानी की कीमत का पता नहीं चलता।”  – थॉमस फुलर
  •  “इक्कीसवीं सदी के युद्ध पानी के लिए लड़े जाएंगे।”  -इस्माइल सेरागेल्डिन
  • “हज़ारों लोग प्रेम के बिना जीवित रहे हैं, पानी के बिना एक भी नहीं।”  – डब्ल्यू एच ऑडेन
  •  “सभी मानवीय ज़रूरतों में सबसे बुनियादी ज़रूरत है समझने और समझे जाने की ज़रूरत। लोगों को समझने का सबसे अच्छा तरीका उनकी बात सुनना है।”  – राल्फ निकोल्स
  • “पानी हमारे जीवनकाल और हमारे बच्चों के जीवनकाल का सबसे महत्वपूर्ण संसाधन मुद्दा है। हमारे जल का स्वास्थ्य इस बात का प्रमुख उपाय है कि हम भूमि पर कैसे रहते हैं।”  – लूना लियोपोल्ड
  • “पानी की एक बूंद, अगर वह अपना इतिहास लिख सके, तो हमें ब्रह्मांड की व्याख्या कर देगी।”  – लुसी लारकॉम
  • “अगर हम पर्यावरण को नष्ट कर देंगे तो हमारे पास कोई समाज नहीं होगा।”  – मार्गरेट मीड

Essay on Water Pollution in Hindi जानने के बाद अब जल प्रदूषण से जुड़े कुछ तथ्य नीचे दिए गए हैं-

वाटर स्केरसिटी

  • ग्लोबल लेवल पर लगभग 1.5 अरब (150 करोड़) लोगों के पास सफीशिएंट सीवेज ट्रीटमेंट तक पहुंच नहीं है।  वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन का कहना है कि दुनिया भर में लगभग 2.2 अरब लोगों के पास सुरक्षित रूप से प्रबंधित पेयजल सेवाएं नहीं हैं, 4.2 अरब लोगों के पास स्वच्छता सेवाएं नहीं हैं, और 3 अरब लोगों के पास बुनियादी हाथ धोने की सुविधाएं नहीं हैं।

घरों में उचित पाइपलाइन का अभाव

  • यूनिसेफ के अनुसार, दुनिया की लगभग 5% पॉपुलेशन खुले में शौच करने के लिए मजबूर है।  यह आस-पास की वाटर बॉडीज की क्वालिटी से समझौता कर रहा है और अत्यधिक स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है, खासकर उन क्षेत्रों के लिए जहां उचित स्वच्छता आवश्यकताओं तक पहुंच नहीं है।

शहरों में बीमारियाँ तेजी से फैलती हैं

  • शहरों में सुरक्षित पीने योग्य जल और आस पास स्वच्छता की कमी के कारण कोलेरा, मलेरिया, पेचिश, टाइफाइड, पोलियो और दस्त जैसी बहुत सारी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं।  यूनेस्को के अनुसार, पूरी दुनिया में नौ में से एक व्यक्ति असिंचित और असुरक्षित स्रोतों से पानी पीता है, जिसमें जल प्रदूषक होते हैं।

लोगों के लिए गंदा पानी जानलेवा है

  • किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि दुनिया भर में होने वाली सभी मौतों में से 3% असुरक्षित या अपर्याप्त पानी, स्वच्छता और स्वच्छता से संबंधित हैं। पूरी दुनिया में अशुद्ध जल स्रोत से होने वाली सामान्य बीमारियाँ हर साल लगभग 485,000 मौतों का कारण बनती हैं।

वेस्ट वाटर का साफ पानी में मिलना

हर दिन, 2 मिलियन टन से अधिक सीवेज और इंडस्ट्रियल और एग्रिकल्चरल वेस्ट पूरी दुनिया के साफ पानी में बहाया जाता है। यह इस ग्रह की पूरी मानव आबादी के कुल वजन के बराबर है। अकेले अमेरिका में, अर्थ आइलैंड जर्नल ने पाया कि 120 मिलियन टन कचरा हर साल लैंडफिल में भेजा जाता है, और उस पूरे कचरे का एक बड़ा हिस्सा पानी के प्राकृतिक निकायों में समाप्त हो जाता है।

पानी की कमी आम होती जा रही है

  • भले ही दुनिया 70% पानी से बनी है, दुनिया भर में 1.1 अरब लोगों के पास साफ पानी तक पहुंच नहीं है, और 2.7 अरब लोगों को हर साल कम से कम एक महीने के लिए पानी की कमी महसूस होती है।  विश्व वन्यजीव के अनुसार, वर्ष 2025 में दुनिया की लगभग दो-तिहाई आबादी को पानी की कमी का सामना करना पड़ेगा, जो मुख्य रूप से जल प्रदूषण के कारण होगा। पूरी दुनिया वाटर पॉल्यूशन की प्रोब्लम से जूझ रही है और इसमें उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका भी शामिल है।  हालाँकि  अमेरिका की जनता को ऐसा लग सकता है कि यह कोई संघर्ष नहीं है जिससे हमारे देश को निपटना है, लाखों लोग हर दिन पानी की कमी और जल प्रदूषण दोनों से प्रभावित होते हैं।

पेस्टी साइड्स  

  • रिसर्च में पता चला की भूजल में 73 से अधिक विभिन्न प्रकार के पेस्टी साइड्स पाए गए हैं जो अंततः हमारे पीने के पानी में मिल जाते हैं, जब तक कि इसे पर्याप्त रूप से फ़िल्टर नहीं किया जाता है।  पूरे देश में फसल वृद्धि के लिए पेस्टी साइड्स का उपयोग किया जाता है, लेकिन हर्बी साइड्स, पेस्टी साइड्स, रोडेंट साइड और फूंगीसाइड ये सभी भूमिगत जल में रिसने के बाद बेहद हानिकारक हो सकते हैं।
  • डिजीज कंट्रोल और प्रिवेंशन सेंटर्स के अनुसार, प्रति वर्ष जलजनित बीमारियों के लाखों मामले होते हैं।

इंडस्ट्रियल वेस्ट  

  • प्रतिवर्ष 1.2 ट्रिलियन गैलन से अधिक अनुपचारित सीवेज, भूजल और इंडस्ट्रियल वेस्ट जल में छोड़ा जाता है।  अगर प्रदूषण इसी दर से जारी रहा तो 2050 तक दुनिया की लगभग 46% आबादी को पीने के पानी की कमी से जूझना पड़ेगा।

हमारे आस पास जल प्रदूषण के मुख्य कारण हैं- 1. ग्लोबल वार्मिंग 2. डिफोरेस्टेशन  3. इंडस्ट्री, एग्रिकल्चर, लाइवस्टॉक फार्मिंग 4. कूड़ा-कचरा और मल-युक्त पानी डंप करना 5. मैरीटाइम ट्रैफिक 6. फ्यूल स्पिलेज

अपने कार्यों में पेस्टी साइड्स, हेर्बी साइड्स, फर्टिलाइजर्स का उपयोग कम से कम करें। केमिकल्स, मोटर ऑयल, या अन्य ऑटोमोटिव लिक्विड प्रोडक्ट्स को सैनिटरी सीवर या स्टॉर्म सीवर सिस्टम में न डालें। दोनों का अंत नदी पर होता है। यदि आपके घर में एक सम पंप या सेलर ड्रेन है, तो सुनिश्चित करें कि यह सैनिटरी सीवर सिस्टम में न बहे।

पानी के सबसे मुख्य सोर्सेज नदियां, लगूंस, तालाब, वेटलैंड्स, आइस बर्ग्स, ग्लेशियर्स, ग्राउंड वाटर, आइस कैप्स, आइस फील्ड्स हैं। 

आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में Essay on Water Pollution in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग इवेंट्स ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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जल प्रदूषण पर निबंध 100,150, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे (Water Pollution Essay in Hindi) 10 lines

essay on water pollution in hindi short

Water Pollution Essay in Hindi – जल संदूषण तब होता है जब प्रदूषक जल स्रोतों को प्रदूषित करते हैं और पानी को पीने, खाना पकाने, सफाई, तैराकी और अन्य गतिविधियों में उपयोग के लिए अनुपयुक्त बनाते हैं। रसायन, कचरा, बैक्टीरिया और परजीवी प्रदूषकों के उदाहरण हैं।

जल अंतत – सभी प्रकार के प्रदूषणों से क्षतिग्रस्त हो जाता है। वायु प्रदूषण से झीलें और महासागर दूषित हो जाते हैं। भूमि संदूषण एक भूमिगत धारा, एक नदी और अंततः महासागर को दूषित कर सकता है। नतीजतन, खाली जगह पर फेंका गया कचरा अंततः जल स्रोत को दूषित कर सकता है।

जल प्रदूषण निबंध 10 पंक्तियाँ (water pollution essay 10 lines in Hindi)

  • 1) जल संसाधनों के दूषित होने से जल प्रदूषण होता है।
  • 2) औद्योगिक कचरे का नदियों में सीधा निस्तारण नदी के पानी को जहरीला बनाता है।
  • 3) घरेलू जल निकासी में गंभीर रोगजनक होते हैं जो नदियों में फेंके जाने पर महामारी फैला सकते हैं।
  • 4) चट्टानों और मिट्टी में मौजूद आर्सेनिक जैसी भारी धातुएं पानी को दूषित करती हैं और भूजल में जहर घोलती हैं।
  • 5) कृषि गतिविधियों में प्रयुक्त उर्वरक और कीटनाशक सतह के साथ-साथ भूजल को भी प्रभावित कर सकते हैं।
  • 6) तेल रिसाव प्रक्रिया समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करने वाले समुद्र में भारी मात्रा में कच्चा पेट्रोलियम छोड़ती है।
  • 7) जल प्रदूषण हैजा, टाइफाइड, पेचिश और यहां तक ​​कि जहर जैसी कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।
  • 8) डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार हर साल लगभग 842000 मौतें जल जनित बीमारियों के कारण होती हैं।
  • 9) यदि हम जल प्रदूषण से लड़ना चाहते हैं तो एक उचित अपशिष्ट निपटान प्रणाली होनी चाहिए।
  • 10) पानी की बर्बादी से बचना और अपने आस-पास को साफ रखना हमें पानी को साफ और सुरक्षित रखने में मदद कर सकता है।

जल प्रदूषण निबंध 20 पंक्तियाँ (water pollution essay 20 lines in Hindi)

  • 1) पृथ्वी पर उपलब्ध कुल 70% जल में से 2.5% जल स्वच्छ जल के रूप में है।
  • 2) कुल औद्योगिक कचरे का लगभग 70% जल निकायों में बहा दिया जाता है।
  • 3) हर साल, लगभग 7 बिलियन पाउंड शहरी प्लास्टिक कचरा महासागरों में फेंक दिया जाता है।
  • 4) डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में हर साल 250 मिलियन से अधिक लोग दूषित पानी पीने से मर जाते हैं।
  • 5) एशिया वह महाद्वीप है जहाँ दुनिया में सबसे अधिक प्रदूषित नदियाँ हैं।
  • 6) विश्व का अधिकांश भूजल आर्सेनिक से दूषित है जो अत्यधिक विषैला होता है।
  • 7) महासागरों में पॉलीथिन बैग और प्लास्टिक समुद्री प्रजातियों की मृत्यु और विलुप्त होने का एक प्रमुख कारण है।
  • 8) माना जाता है कि समुद्री जानवरों की विलुप्त होने की दर स्थलीय जानवरों की तुलना में पांच गुना अधिक है।
  • 9) जल प्रदूषण के लिए जिम्मेदार प्रमुख मानव निर्मित प्रदूषक रोगजनक, कार्बनिक पदार्थ, भारी धातु, तलछट आदि हैं।
  • 10) डब्ल्यूएचओ ने कई कड़े नियम और कानून बनाकर जल प्रदूषण से लड़ने के लिए विभिन्न कार्यक्रम शुरू किए हैं।
  • 11) बढ़ते औद्योगीकरण और जल स्रोतों में कमी ने जल प्रदूषण की समस्या को और भी बदतर बना दिया है।
  • 12) दुनिया भर में लगभग 900 मिलियन लोगों के पास स्वच्छ और सुरक्षित पानी नहीं है।
  • 13) सरकारों, नागरिक समाजों को युवाओं के साथ मिलकर बढ़ते जल प्रदूषण के खिलाफ सामूहिक रूप से लड़ना होगा।
  • 14) जल संरक्षण जल प्रदूषण से लड़ने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है ताकि सभी को स्वच्छ पानी उपलब्ध हो सके।
  • 15) सिंक में कुछ भी फेंकने से पहले दो बार सोचें और तेल, रसायन, पेंट आदि फेंकने से बचें।
  • 16) सरकार द्वारा औद्योगिक अवशेषों और कचरे को नदी में प्रवाहित करने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा देना चाहिए।
  • 17) पॉलीथिन की थैलियों और प्लास्टिक के सामानों को नदियों या समुद्रों में नहीं फेंकना चाहिए; इसके बजाय उन्हें पुनर्नवीनीकरण और पुन: उपयोग किया जाना चाहिए।
  • 18) कीटनाशकों और उर्वरकों का उपयोग अत्यधिक कम किया जाना चाहिए ताकि वे सतह और भूजल को दूषित न करें।
  • 19) शहरी अपशिष्ट जल को नदियों में प्रवाहित करने से पहले ठीक से उपचारित किया जाना चाहिए ताकि यह जलीय प्रजातियों को प्रभावित न करे।
  • 20) जल जीवन का मुख्य स्रोत है इसलिए इसे जल प्रदूषण से बचाना हमारी प्रमुख जिम्मेदारी है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियों को शुद्ध पानी उपलब्ध हो सके।

जल प्रदूषण पर लघु पैराग्राफ (Short Paragraphs on Water Pollution in Hindi)

Short Paragraphs on Water Pollution in Hindi – जब जहरीले पदार्थ झीलों, नहरों, नदियों, समुद्रों और अन्य जल निकायों में प्रवेश करते हैं, तो वे उनमें घुल जाते हैं। नतीजतन, पानी प्रदूषित हो जाता है, और यह पानी की गुणवत्ता को कम कर देता है। ये प्रदूषक जमीन में भी रिस सकते हैं और भूजल को भी प्रदूषित कर सकते हैं। यह जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को बहुत गंभीरता से प्रभावित करता है। जल प्रदूषण से न केवल मनुष्य बल्कि पशु, पक्षी और अन्य जलीय जीव भी अत्यधिक प्रभावित होते हैं।

प्रदूषित जल पीने, कृषि और उद्योगों आदि के लिए उपयुक्त नहीं है। यह झीलों और नदियों की सुंदरता को कम करता है। प्रदूषित जल जलीय जीवन को भी नष्ट कर देता है और उसकी प्रजनन शक्ति को कमजोर कर देता है। दूषित जल संक्रामक रोगों का भण्डार है। इससे हेपेटाइटिस, हैजा, पेचिश और टाइफाइड जैसी सामान्य जलजनित बीमारियां बहुत तेजी से फैलती हैं।

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जल प्रदूषण निबंध 100 शब्द (Water pollution Essay 100 words in Hindi)

जल प्रदूषण तब अस्तित्व में आता है जब कुछ घातक रसायनों की सांद्रता सुरक्षा सीमा से अधिक हो जाती है और पानी जीवन और संपत्ति को अत्यधिक नुकसान पहुंचाने में सक्षम हो जाता है। जल प्रदूषण तब हो सकता है जब घातक रसायनों के प्रभाव को समाप्त करने के लिए उचित उपचार के बिना अपशिष्ट जल को स्वच्छ जल निकायों में छोड़ दिया जाता है।

कई बार लोग इस पानी का सेवन करते हैं और इससे टाइफाइड और हैजा जैसी विभिन्न जल जनित बीमारियां होती हैं। मनुष्यों के अलावा, दूषित पानी जलीय जीवन को बहुत प्रभावित करता है। हम विज्ञान के उस युग में जी रहे हैं जो इस बढ़ते प्रदूषण को खत्म करने में सक्षम है अगर इसका उचित और नियंत्रित तरीके से नेतृत्व किया जाए।

जल प्रदूषण निबंध 150 शब्द (Water pollution Essay 150 words in Hindi)

आज हम औद्योगिक क्रांति के दौर में जी रहे हैं। यह क्रांति अपने स्वयं के नुकसान के साथ आती है, उनमें से एक विभिन्न प्रकार के कचरे का उत्पादन है जो पर्यावरण के मूल तत्वों को प्रदूषित करते हैं जो हमारे अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण हैं। वे मुख्य रूप से वायु, जल और भूमि प्रदूषण का कारण बनते हैं।

जल प्रदूषण को इसके स्रोत की प्रकृति के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है।

  • बिंदु स्रोत
  • गैर-बिंदु स्रोत

बिंदु स्रोत – प्रदूषण का एक बिंदु स्रोत वह है जिसकी उत्पत्ति का पता उसके द्वारा अनुसरण किए जाने वाले मार्ग से लगाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, जल प्रदूषकों का निर्वहन करने वाले एक उद्योग का पता उस पाइपलाइन से लगाया जा सकता है जो उस कचरे को ले जाती है। इस प्रकार, पाइप प्रदूषण का एक बिंदु स्रोत है।

गैर-बिंदु स्रोत – गैर-बिंदु स्रोत उस प्रदूषण को संदर्भित करता है जो किसी विशेष बिंदु से उत्पन्न नहीं होता है। सतही अपवाह एक प्रकार का गैर-बिंदु स्रोत है क्योंकि पानी विभिन्न स्थानों जैसे सड़कों, कृषि क्षेत्रों आदि से बहता है, इसलिए इस मामले में प्रदूषण के स्रोत का निर्धारण नहीं किया जा सकता है।

इसलिए, ये वे तरीके हैं जिनसे जल प्रदूषण की उत्पत्ति को वर्गीकृत किया जा सकता है। यह कुछ हद तक जल प्रदूषण को रोकने के लिए प्रौद्योगिकी के विकास में मदद करता है

जल प्रदूषण निबंध 200 शब्द (Water pollution Essay 200 words in Hindi)

जल प्रदूषण से तात्पर्य कुछ हानिकारक पदार्थों के अतिरिक्त मात्रा में पानी के संदूषण से है जो सुरक्षा मानकों से परे है। पानी के इस संदूषण से प्रभावित क्षेत्र के मानव, जलीय जीवन और वनस्पतियों और जीवों के लिए विभिन्न समस्याएं होती हैं।

जल प्रदूषण के कारण

औद्योगीकरण और बढ़ती जनसंख्या के साथ जल प्रदूषण में वृद्धि के विभिन्न कारण प्रमुख हैं। दुनिया भर में जनसंख्या में वृद्धि के साथ, विभिन्न औद्योगिक उत्पादों की मांग को प्रोत्साहित किया गया है जिससे औद्योगिक कचरे में वृद्धि हुई है। ऐसे कई उद्योग अपशिष्ट को उचित उपचार के बिना आस-पास के जल निकायों में छोड़ देते हैं जिससे जल निकाय में हानिकारक रसायन जुड़ जाते हैं।

कृषि के आधुनिक तरीके भी एक प्रमुख कारण हैं क्योंकि रासायनिक युक्त कीटनाशकों और रोगाणुनाशकों के उपयोग में वृद्धि के साथ मिट्टी के साथ छेड़छाड़ की जाती है और इसके माध्यम से बहने वाला पानी इन रसायनों के साथ मिल जाता है और इसकी शुद्धता खो जाती है। ये कृषि कीटनाशक मीठे पानी की झीलों के यूट्रोफिकेशन का एक प्रमुख कारण हैं।

जल प्रदूषण के अन्य कारणों में एसिड रेन, अनुचित सीवेज उपचार, थर्मल पावर प्लांट द्वारा ठंडा किए बिना गर्म पानी का निर्वहन, नदियों में लाशों का निपटान और विभिन्न अन्य शहरी और ग्रामीण प्रथाओं जैसे धार्मिक अनुष्ठान शामिल हैं। इसलिए, ये जल प्रदूषण बढ़ने के मूल कारण हैं। पानी के प्रदूषण को मिटाने के लिए इन मुद्दों को उन्नत तकनीक और वैज्ञानिक सिद्धांतों की मदद से सुलझाना होगा।

जल प्रदूषण निबंध 250 शब्द (Water pollution Essay 250 words in Hindi)

पृथ्वी की सतह का एक बहुत बड़ा हिस्सा पानी से ढका हुआ है, जिसका अर्थ है कि अगर इसे नियंत्रित और सही तरीके से नहीं किया गया तो यह जीवन और संपत्ति को गंभीर रूप से प्रभावित करने की क्षमता रखता है। जैसा कि हम जानते हैं, जल प्रदूषण में कुछ रासायनिक और जैविक पदार्थों का एक सांद्रण में शामिल होना शामिल है जो जीवित प्राणियों और समग्र पर्यावरण के लिए हानिकारक है। जल प्रदूषकों को उनके प्रकार के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।

जल प्रदूषकों के प्रकार

जल प्रदूषक तीन प्रकार के होते हैं जैसे जैविक, रेडियोलॉजिकल और रासायनिक। यहाँ इनमें से प्रत्येक पर एक संक्षिप्त नज़र डाली गई है:

  • जैविक प्रदूषक – इस श्रेणी में सूक्ष्म जीव, बैक्टीरिया, कवक और अन्य जैव जीव जैसे प्रदूषक शामिल हैं जो उच्च सांद्रता में घातक साबित हो सकते हैं। ये मनुष्यों और पशुओं में जल जनित रोगों को फैलाने में सक्षम हैं।
  • रेडियोधर्मी प्रदूषक – पानी में रेडियोधर्मी तत्वों की उपस्थिति को रेडियोधर्मी संदूषक कहा जाता है। यह रेडियोधर्मी कचरा उस व्यक्ति में आनुवंशिक विकार जैसे अधिक हानिकारक परिणाम देने में सक्षम है जो गलती से इस पानी का सेवन करता है।
  • रासायनिक प्रदूषक – ये प्रदूषक कार्बनिक या अकार्बनिक हो सकते हैं और आम तौर पर औद्योगिक निर्वहन का परिणाम होते हैं। इनमें भारी धातुएं जैसे सीसा और कृषि क्षेत्रों से कीटनाशक और शाकनाशी शामिल हैं।

जल प्रदूषण के स्रोत

जल प्रदूषण आमतौर पर उद्योगों, आवासीय क्षेत्रों और खनन गतिविधियों द्वारा छोड़े गए कचरे के परिणामस्वरूप होता है।

जैविक अपशिष्ट जैसे बैक्टीरिया और कवक घरेलू सीवेज डिस्चार्ज से पानी के साथ मिल जाते हैं। जल प्रदूषकों का एक बड़ा हिस्सा विशाल उद्योगों से आता है जो अपशिष्ट जल का उपचार नहीं करते हैं जबकि पोषक तत्वों का एक बड़ा हिस्सा कृषि क्षेत्रों से आता है जो अधिक मात्रा में कीटनाशकों का उपयोग करते हैं।

इसलिए, जल प्रदूषकों की उत्पत्ति के ज्ञान के साथ, हम इसे रोकने के तरीके विकसित कर सकते हैं और अंततः जल जनित रोगों को रोक सकते हैं और समुद्री जीवन को बचा सकते हैं।

जल प्रदूषण निबंध 300 शब्द (Water pollution Essay 300 words in Hindi)

पानी हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। यह पृथ्वी पर सभी प्रजातियों के अस्तित्व के लिए आवश्यक है। यह हमारे ग्रह के पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। हमारे सभी दैनिक कार्यों में पानी की आवश्यकता होती है जैसे कि स्नान करना, खाना बनाना, पीना आदि। और इसलिए हमारे दैनिक जीवन के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए स्वच्छ पानी की उपलब्धता आवश्यक है। जब कई जैविक, रेडियोधर्मी और रासायनिक प्रदूषक पानी में प्रवेश करते हैं तो यह पानी को कई उद्देश्यों के लिए अनुपयुक्त बना देता है।

जल प्रदूषण के परिणाम

जैसे ही प्रदूषक पानी में प्रवेश करते हैं, वे इसे बीमारियों को प्रेरित करने, जलीय और मानव जीवन को नुकसान पहुंचाने, खाद्य श्रृंखलाओं को परेशान करने आदि में सक्षम बनाते हैं। ये सभी परिणाम सामूहिक रूप से सीधे पृथ्वी पर जीवन के विघटन का कारण बनेंगे क्योंकि पर्यावरण के सभी घटक हमारे साथ हैं। एक दूसरे पर निर्भर हैं।

प्रदूषित पानी के सेवन से होने वाले नुकसान की मात्रा उस पानी की संरचना पर निर्भर करती है और इसके प्रभाव पेट में मामूली दर्द से लेकर आनुवंशिक विकारों और अन्य कार्सिनोजेनिक प्रभावों तक हो सकते हैं।

यूट्रोफिकेशन कृषि क्षेत्रों में नाइट्रोजन और फास्फोरस पंप किए गए कीटनाशकों के उपयोग का एक काफी खतरनाक परिणाम है। इससे अल्गल खिलता है जो आगे चलकर घुलित ऑक्सीजन की गिरावट को प्रेरित करता है जिससे जलीय जानवरों और वनस्पतियों की मृत्यु हो जाती है।

अन्य दूषित पदार्थों में भारी धातु और रसायन शामिल हैं जो पिछले कुछ दशकों में औद्योगीकरण में वृद्धि के कारण तेजी से बढ़े हैं और वे पानी के तापमान और क्षारीयता में वृद्धि करते हैं जिसमें उन्हें छोड़ा जाता है और इसलिए उस विशेष के जलीय जीवन को नुकसान पहुंचाते हैं। जल श्रोत।

तो, ऊपर बताए गए जल प्रदूषण के विभिन्न परिणाम हैं। इन प्रदूषकों से होने वाले नुकसान की सीमा और तीव्रता काफी हद तक एक विशेष नमूने में उनकी एकाग्रता पर निर्भर करती है। इस मुद्दे पर सरकारी अधिकारियों, नागरिकों और कुछ हद तक परिणामों को मिटाने में सक्षम तकनीकी दिमाग से ध्यान देने की जरूरत है।

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जल प्रदूषण निबंध 500 शब्द (Water pollution Essay 500 words in Hindi)

जल प्रदूषण तब होता है जब मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों के कारण जल निकाय दूषित हो जाते हैं। नदियों, झीलों और नालों जैसे जल निकायों को लगातार औद्योगिक द्वारा दूषित किया जा रहा है, और इसमें अंधाधुंध सीवेज छोड़ा जा रहा है।

जल प्रदूषण के कई कारण हैं लेकिन उनमें से लगभग सभी मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों के कारण उत्पन्न होते हैं। जल प्रदूषण के कुछ मुख्य कारण नीचे सूचीबद्ध हैं।

  • औद्योगिक कूड़ा

दुनिया भर के उद्योग जहरीले कचरे को आस-पास के जल निकायों में छोड़ देते हैं। इस कचरे में सभी प्रकार के जहरीले यौगिक जैसे पारा, सीसा, सभी प्रकार के अम्ल और क्षार, हाइड्रोकार्बन आदि होते हैं। इसमें घुलनशील और अघुलनशील दोनों तरह की अशुद्धियाँ होती हैं।

मानव आवासों के सीवेज के पानी में सभी प्रकार के घुलनशील और अघुलनशील संदूषक होते हैं जो जल निकायों को प्रदूषित करते हैं। कई शहरों में उचित अपशिष्ट निपटान प्रबंधन प्रणाली का अभाव है, जिससे जल निकायों का अंधाधुंध प्रदूषण होता है।

कूड़ा-करकट जल प्रदूषण का एक अन्य महत्वपूर्ण स्रोत है। प्लास्टिक और अन्य कचरा जो पर्यटकों के कूड़ा-कचरा में आता है, हवा और बारिश से जल निकायों में चला जाता है। आमतौर पर ये प्रदूषक खाद्य पैकेट, प्लास्टिक की बोतलों आदि के रूप में प्लास्टिक होते हैं।

  • रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक

कृषि उद्योग में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग भी जल प्रदूषण का मुख्य कारण है। हानिकारक रसायन भूजल में रिस जाते हैं या बारिश से निकटतम जल निकाय में चले जाते हैं।

तेल रिसाव भी समुद्री जल प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। महासागर परिवहन का एक महत्वपूर्ण मार्ग बन गए हैं। इसके परिणामस्वरूप अक्सर समुद्र में आकस्मिक तेल फैल जाता है। तेल पानी में नहीं घुलता है और सतह पर तैरता है, ऑक्सीजन को अवरुद्ध करता है, जिससे जलीय जीवन को नुकसान होता है।

  • शैवाल खिलता है

शैवाल प्रस्फुटन ऐसे जीव हैं जो जल निकायों के ऑक्सीजन स्तर को गंभीर रूप से कम कर देते हैं। यह बदले में कई समुद्री जीवन को मारता है और जलीय जीवन की गुणवत्ता को कम करता है।

जल प्रदूषण के प्रभाव

जल प्रदूषण मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ ग्रह के संपूर्ण पारिस्थितिक संतुलन को प्रभावित करता है। कुल मिलाकर, यह ग्रह पर रहने वाले प्रत्येक जीवित जीव को प्रभावित करता है। नीचे जल प्रदूषण के कई प्रभावों का विवरण दिया गया है।

  • मानव स्वास्थ्य पर

जल प्रदूषण एक बड़ा कारक है जो मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। दुनिया भर के लाखों लोग किसी न किसी तरह के दूषित पानी के संपर्क में हैं जो उनके स्वास्थ्य को गंभीर रूप से खराब करता है। अध्ययनों से पता चलता है कि दुनिया भर में लगभग एक अरब लोगों के पास पीने का साफ पानी नहीं है। हर साल लगभग आधा मिलियन लोग दूषित पानी के सेवन या पानी से संबंधित बीमारियों के कारण मर जाते हैं।

  • प्रजाति का ह्रास

विभिन्न स्तरों पर जल प्रदूषण ने अन्य जीवित प्रजातियों पर भी गंभीर प्रभाव डाला है। जबकि मनुष्य पानी को साफ कर सकते हैं और उपभोग कर सकते हैं, अन्य जीवित प्रजातियों के पास यह विशेषाधिकार नहीं है। वे वैसे ही प्राकृतिक जल स्रोतों पर निर्भर हैं। यदि पानी प्रदूषित है और जानवरों द्वारा इसका सेवन किया जाता है, तो यह उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर उनकी मृत्यु हो जाती है।

  • समुद्री जीवन

जल प्रदूषण समुद्री जीवन के लिए चिंता का प्रमुख कारण है। जब जल प्रदूषित हो जाता है तो कई जलीय प्रजातियां प्रभावित होती हैं। जल प्रदूषण मछली, कछुआ, व्हेल और कई अन्य जलीय प्रजातियों की घटती संख्या का कारण रहा है।

  • पर्यावरणीय दुर्दशा

जल प्रदूषण पर्यावरण की समग्र गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। पर्यावरण में सब कुछ एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। अगर पानी की गुणवत्ता खराब होती है तो पर्यावरण की गुणवत्ता भी खराब होती है। इसके परिणामस्वरूप जलवायु परिवर्तन, अम्ल वर्षा और अन्य प्रभाव होते हैं।

जल प्रदूषण आज मुख्य पर्यावरणीय चिंताओं में से एक है। यह न केवल मानव जीवन बल्कि समग्र रूप से पारिस्थितिक संतुलन को भी प्रभावित करता है। यह पर्यावरण के समग्र स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है।

जल प्रदूषण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q.1 भारत की सबसे प्रदूषित नदी कौन सी है.

उत्तर। गंगा नदी भारत की सबसे प्रदूषित नदी है।

Q.2 पीने के पानी में अधिक फ्लोराइड की उपस्थिति के कारण क्या होता है?

उत्तर। पीने के पानी में फ्लोराइड की अधिकता से फ्लोरोसिस रोग होता है।

Q.3 समुद्र के जल प्रदूषण का प्रमुख कारण क्या है?

उत्तर। समुद्र के जल प्रदूषण का प्रमुख कारण तेल रिसाव है।

Q.4 जल प्रदूषण का सूचक क्या है?

उत्तर। जल प्रदूषण का सूचक बीओडी (जैविक ऑक्सीजन मांग) है।

Q.5 ब्लू बेबी सिंड्रोम का क्या कारण है?

उत्तर। पीने के पानी में नाइट्रेट की अधिकता ब्लू बेबी सिंड्रोम का कारण है।

Q.6 जल शोधन के लिए आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली विधि कौन सी है?

उत्तर। जल शोधन की सामान्य विधि क्लोरीनीकरण है।

दा इंडियन वायर

जल प्रदूषण पर निबंध

essay on water pollution in hindi short

By विकास सिंह

essay on water pollution in hindi

जल प्रदूषण का मतलब प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जल निकायों (समुद्र, झीलों, नदियों, महासागरों, भूजल, आदि) में प्रदूषण या प्रदूषकों के मिश्रण से है जो पर्यावरण क्षरण का कारण बनता है और पूरे जीवमंडल (मानव, पशु, पौधे और जीव) को प्रभावित करता है।

जल प्रदूषण पर निबंध, short essay on water pollution in hindi (100 शब्द)

जल प्रदूषण पृथ्वी पर लगातार बढ़ती समस्या बन गया है जो सभी पहलुओं में मानव और पशु जीवन को प्रभावित कर रहा है। जल प्रदूषण मानव गतिविधियों द्वारा उत्पन्न जहरीले प्रदूषकों द्वारा पीने के पानी का संदूषण है। पूरा पानी कई स्रोतों जैसे शहरी अपवाह, कृषि, औद्योगिक, तलछटी, लैंडफिल से लीचिंग, पशु अपशिष्ट, और अन्य मानवीय गतिविधियों के माध्यम से प्रदूषित हो रहा है।

सभी प्रदूषक पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक हैं। मानव आबादी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और इस प्रकार उनकी ज़रूरतें और प्रतिस्पर्धा प्रदूषण को शीर्ष स्तर पर ले जा रहे हैं। हमें पृथ्वी के पानी को बचाने के लिए अपनी आदतों में कुछ कठोर बदलावों के साथ-साथ यहाँ जीवन की संभावना को जारी रखने की आवश्यकता है।

जल प्रदूषण पर निबंध, essay on water pollution in hindi (150 शब्द)

जल प्रदूषण प्रदूषण का सबसे खतरनाक और सबसे खराब रूप है जो जीवन को खतरे में डाल रहा है। जिस पानी को हम रोजाना पीते हैं वह बहुत साफ दिखता है, लेकिन इसमें मौजूद सूक्ष्म प्रदूषकों की स्थिति होती है। हमारी पृथ्वी पानी (लगभग 70%) से आच्छादित है, इसलिए इसमें थोड़ा सा परिवर्तन दुनिया भर के जीवन को प्रभावित कर सकता है।

फसलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए उर्वरकों, कीटनाशकों और कीटनाशकों के उच्च उपयोग के कारण कृषि प्रदूषण का उच्चतम स्तर कृषि क्षेत्र से आता है। हमें कृषि में हमारे द्वारा उपयोग किए जाने वाले रसायनों के प्रकार में व्यापक सुधार लाने की आवश्यकता है। तेल पानी को प्रदूषित करने वाला एक और बड़ा प्रदूषक है।

भूमि या नदियों से रिसता हुआ तेल, जहाजों के जरिए तेल परिवहन, जहाज के दुर्घटनाग्रस्त होने, आदि समुद्र या समुद्र में प्रवाहित होते हैं और पूरे पानी को प्रभावित करते हैं। अन्य हाइड्रोकार्बन कण बारिश के पानी के माध्यम से हवा से समुद्र या समुद्र के पानी में बस जाते हैं। लैंडफिल, पुरानी खदानों, डंपों, सीवेज, औद्योगिक कचरे और खेतों के रिसाव के माध्यम से अन्य जहरीले कचरे को पानी में मिलाया जाता है।

जल प्रदूषण पर निबंध, 200 शब्द:

पृथ्वी पर दिन-प्रतिदिन ताजा पेयजल का स्तर कम होता जा रहा है। पृथ्वी पर पीने के पानी की सीमित उपलब्धता है, लेकिन वह भी मानवीय गतिविधियों के कारण प्रदूषित हो रहा है। ताजा पेयजल के अभाव में पृथ्वी पर जीवन की संभावना का अनुमान लगाना कठिन है। जल प्रदूषण, पानी की गुणवत्ता और उपयोगिता को कम करने वाले पानी में कार्बनिक, अकार्बनिक, जैविक और रेडियोलॉजिकल के माध्यम से विदेशी पदार्थों का मिश्रण है।

हानिकारक प्रदूषकों में हानिकारक रसायन, घुलने वाली गैसें, निलंबित पदार्थ, घुलित खनिज और सूक्ष्म जीवाणु सहित विभिन्न प्रकार की अशुद्धियाँ हो सकती हैं। सभी दूषित पदार्थ पानी में घुलित ऑक्सीजन के स्तर को कम करते हैं और जानवरों और मनुष्यों के जीवन को काफी हद तक प्रभावित करते हैं। घुलित ऑक्सीजन पौधों और जानवरों के जीवन को जारी रखने के लिए जलीय प्रणाली द्वारा आवश्यक पानी में मौजूद ऑक्सीजन है। हालांकि जैव रासायनिक ऑक्सीजन अपशिष्ट पदार्थों के कार्बनिक पदार्थों को ऑक्सीकरण करने के लिए एरोबिक सूक्ष्म जीवों द्वारा ऑक्सीजन की मांग है।

जल प्रदूषण दो साधनों के कारण होता है, एक है प्राकृतिक जल प्रदूषण (चट्टानों की लीचिंग के कारण, कार्बनिक पदार्थों का क्षय, मृत पदार्थों का क्षय, सिल्टिंग, मिट्टी का कटाव, आदि) और एक अन्य मानव निर्मित जल प्रदूषण है जैसे वनों की कटाई, बड़े जल निकायों के पास उद्योगों की स्थापना, औद्योगिक कचरे का उच्च स्तर का उत्सर्जन, घरेलू सीवेज, सिंथेटिक रसायन, रेडियो-सक्रिय अपशिष्ट, उर्वरक, कीटनाशक, कीटनाशक आदि।

पानी प्रदूषण पर निबंध, essay on water pollution in hindi (250 शब्द)

ताजा पानी पृथ्वी पर जीवन का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। कोई भी जीवित वस्तु भोजन के बिना दिनों तक जीवित रह सकती है, हालांकि पानी और ऑक्सीजन के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है। लगातार बढ़ती मानव आबादी पीने, धोने, औद्योगिक प्रक्रियाओं को करने, फसलों की सिंचाई, स्विमिंग पूल और अन्य जल-खेल केंद्रों की व्यवस्था करने जैसे उद्देश्यों के लिए अधिक पानी की मांग को बढ़ाती है।

जल प्रदूषण दुनिया भर में विलासिता की जीवन की बढ़ती मांगों और प्रतियोगिताओं के कारण किया जाता है। कई मानवीय गतिविधियों से अपशिष्ट उत्पाद पूरे पानी को खराब कर रहे हैं और पानी में उपलब्ध ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर रहे हैं। इस तरह के प्रदूषक पानी की भौतिक, रासायनिक, थर्मल और जैविक विशेषताओं में परिवर्तन कर रहे हैं और पानी के साथ-साथ अंदर के जीवन को भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर रहे हैं।

जब हम प्रदूषित पानी पीते हैं, तो हानिकारक रसायन और अन्य प्रदूषक हमारे शरीर के अंदर चले जाते हैं और शरीर के सभी अंगों का काम बिगड़ जाता है और हमारे जीवन को खतरे में डाल देता है। इस तरह के हानिकारक रसायन जानवरों और पौधों के जीवन को भी परेशान करते हैं। जब पौधे अपनी जड़ों के माध्यम से गंदे पानी को अवशोषित करते हैं, तो वे बढ़ना बंद कर देते हैं और मर जाते हैं।

जहाजों और उद्योगों से तेल छलकने के कारण हजारों समुद्री पक्षी मारे जा रहे हैं। उर्वरकों, कीटनाशकों और कीटनाशकों के कृषि उपयोग से निकलने वाले रसायनों के कारण उच्च स्तर का जल प्रदूषण होता है। जल प्रदूषण का प्रभाव पानी के दूषित होने के प्रकार और मात्रा पर अलग-अलग होता है। पीने के पानी के क्षरण को तत्काल आधार निवारण विधि की आवश्यकता है जो पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के अंत से उचित समझ और समर्थन के द्वारा संभव है।

पानी प्रदूषण पर निबंध, essay on water pollution in hindi (300 शब्द)

water pollution

पृथ्वी पर जीवन की सबसे महत्वपूर्ण जरूरत पानी है। यह यहां जीवन के किसी भी रूप और उनके अस्तित्व की संभावना को संभव बनाता है। यह जीवमंडल में पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखता है। पीने, स्नान, कपड़े धोने, बिजली उत्पादन, फसलों की सिंचाई, सीवेज के निपटान, विनिर्माण प्रक्रियाओं और कई और अधिक के उद्देश्य को पूरा करने के लिए स्वच्छ पानी बहुत आवश्यक है।

मानव आबादी बढ़ने से तेजी से औद्योगिकीकरण और अनियोजित शहरीकरण होता है जो बहुत सारे अपशिष्टों को छोटे और बड़े जल निकायों में जारी करते हैं जो अंततः पानी की गुणवत्ता को खराब करते हैं। ऐसे प्रदूषकों को जल निकायों में सीधे और लगातार मिलाने से पानी में उपलब्ध ओजोन (जो हानिकारक सूक्ष्मजीवों को मारता है) में गिरावट से पानी की आत्म शुद्ध क्षमता घट जाती है।

पानी का दूषित होना पानी की रासायनिक, भौतिक और जैविक विशेषताओं को खराब करता है, जो पूरी दुनिया में मनुष्य, जानवरों और पौधों के लिए बहुत हानिकारक है। पानी के दूषित होने के कारण अधिकांश महत्वपूर्ण जानवरों और पौधों की प्रजातियां खो गई हैं। यह विकसित और विकासशील दोनों देशों में जीवन को प्रभावित करने वाला एक वैश्विक मुद्दा है। संपूर्ण जल एक बड़े स्तर पर प्रदूषित हो रहा है क्योंकि खनन, कृषि, मत्स्य पालन, स्टॉकब्रेडिंग, विभिन्न उद्योग, शहरी मानवीय गतिविधियां, शहरीकरण, विनिर्माण उद्योगों की बढ़ती संख्या, घरेलू सीवेज, आदि।

जल प्रदूषण के कई स्रोत (बिंदु स्रोत और गैर-स्रोत या विसरित स्रोत) विभिन्न स्रोतों से छुट्टी दे दी गई अपशिष्ट पदार्थों की विशिष्टता पर निर्भर करते हैं। बिंदु स्रोतों में पाइपलाइन, टांके, सीवर, आदि उद्योगों से, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, लैंडफिल, खतरनाक अपशिष्ट स्थल, तेल भंडारण टैंकों से रिसाव शामिल हैं जो अपशिष्ट पदार्थों को सीधे जल निकायों में वितरित करते हैं।

जल प्रदूषण के मुख्य स्रोत कृषि क्षेत्र, लाइव-स्टॉक फीड लॉट, पार्किंग स्थल और सतही जल में सड़कें, शहरी सड़कों से तूफान अपवाह इत्यादि हैं, जो बड़े क्षेत्रों के जल निकायों पर अपने प्रदूषित प्रदूषकों को डालते हैं। गैर-बिंदु स्रोत प्रदूषण जल प्रदूषण में अत्यधिक योगदान देता है जिसे नियंत्रित करना बहुत मुश्किल और महंगा है।

जल प्रदूषण पर निबंध, essay on water pollution in hindi, (400 शब्द)

जल प्रदूषण दुनिया भर में बड़ा पर्यावरणीय और सामाजिक मुद्दा है। यह अब महत्वपूर्ण बिंदु पर पहुंच गया है। राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI), नागपुर के अनुसार, यह नोट किया गया है कि लगभग 70 प्रतिशत नदी का पानी काफी हद तक प्रदूषित हो चुका है। भारत की प्रमुख नदी प्रणालियाँ जैसे गंगा, ब्रह्मपुत्र, सिंधु, प्रायद्वीपीय, और पश्चिमी तट नदी प्रणालियाँ काफी हद तक प्रभावित हुई हैं।

भारत में प्रमुख नदियाँ विशेष रूप से गंगा भारतीय संस्कृति और विरासत से जुड़ी हैं। आमतौर पर लोग सुबह जल्दी स्नान करते हैं और गंगा जल का उपयोग किसी भी त्योहार और उपवास के दौरान भगवान और देवी को भेंट के रूप में करते हैं। वे अपनी पूजा पूरी करने के मिथक में गंगा में पूजा समारोह के सभी कचरे का भी निर्वहन करते हैं।

नदियों में कचरे का निर्वहन करने से पानी की स्व-रीसाइक्लिंग क्षमता कम होने से जल प्रदूषण होता है, इसलिए नदी के पानी को स्वच्छ और ताजा रखने के लिए सभी देशों में सरकार द्वारा इसे प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। उच्च स्तर के औद्योगिकीकरण वाले अन्य देशों की तुलना में भारत में जल प्रदूषण की स्थिति बहुत खराब है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, गंगा अब भारत की सबसे प्रदूषित नदी है जो पहले अपनी आत्म शोधन क्षमता और तेजी से बहने वाली नदी के लचीलेपन के लिए बहुत प्रसिद्ध थी। लगभग 45 टेनरियां और 10 कपड़ा मिलें अपने अपशिष्ट (भारी कार्बनिक भार और विघटित सामग्री युक्त) का निर्वहन सीधे कानपुर के पास नदी में कर रही हैं। अनुमान के मुताबिक, लगभग 1,400 मिलियन लीटर सीवेज और 200 मिलियन लीटर औद्योगिक अपशिष्टों को गंगा नदी में दैनिक आधार पर लगातार छुट्टी मिल रही है।

जल प्रदूषण पैदा करने वाले अन्य मुख्य उद्योग हैं चीनी मिलें, डिस्टलरी, ग्लिसरीन, टिन, पेंट्स, साबुन कताई, रेयान, रेशम, यार्न आदि, जो जहरीले कचरे का निर्वहन कर रहे हैं। 1984 में, गंगा जल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा गंगा एक्शन प्लान शुरू करने के लिए एक केंद्रीय गंगा प्राधिकरण की स्थापना की गई थी। इस योजना के अनुसार हरिद्वार से हुगली तक प्रदूषण फैलाने वाले 27 शहरों में लगभग 120 कारखानों की पहचान की गई थी।

लखनऊ के पास गोमती नदी में लुगदी, कागज, डिस्टिलरी, चीनी, टेनरी, कपड़ा, सीमेंट, भारी रसायन, पेंट और वार्निश आदि के कारखानों से लगभग 19.84 मिलियन गैलन का कचरा प्राप्त हो रहा है। पिछले चार दशकों में हालत और अधिक खराब हो गई है। जल प्रदूषण को रोकने के लिए सभी उद्योगों को मानक मानदंडों का पालन करना चाहिए, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सख्त कानून लागू किए जाने चाहिए, उचित सीवेज निपटान सुविधाओं की व्यवस्था, सीवेज और जल उपचार संयंत्र की स्थापना, सल्फ प्रकार के शौचालयों की व्यवस्था और अधिक हो सकती है।

जल प्रदूषण पर निबंध, 500 शब्द:

जल प्रदूषण – अर्थ:.

जल प्रदूषण तब होता है जब विभिन्न मानवीय गतिविधियों के कारण प्रदूषक उत्पन्न होते हैं, जल निकायों और प्राकृतिक जल संसाधनों में अपना रास्ता बनाते हैं। मानव कूड़े के कारण कारखानों या प्रदूषकों से विषाक्त रासायनिक उपोत्पाद हवा और बारिश से बह जाते हैं और नदियों, नहरों, झीलों, तालाबों आदि को प्रदूषित करते हैं। प्रदूषक तत्व भी मिट्टी द्वारा अवशोषित हो जाते हैं और भूजल संसाधनों को दूषित करते हैं। इस प्रकार प्रदूषित पानी को उपभोग के लिए बेकार और हानिकारक बना दिया जाता है।

दूषित जल के सेवन या अनुप्रयोग से उत्पन्न जलजनित रोग, वैश्विक स्तर पर मौतों और अस्पताल में भर्ती होने का प्रमुख कारण है। यहां तक ​​कि दूषित पानी के अप्रत्यक्ष सेवन से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है। उदाहरण के लिए, उन मछलियों को खाना जो दूषित पानी में रह रही हैं, सालों से दिल की बीमारियों, कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती हैं।

जल प्रदूषण के प्रकार:

विभिन्न प्रकार के जल प्रदूषण, उनके स्रोत के आधार पर प्रतिष्ठित, नीचे दिए गए हैं। प्रदूषक के अंतर के कारण जल प्रदूषण पर प्रत्येक प्रकार के जल प्रदूषण का अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। विभिन्न प्रकार के जल प्रदूषण और उनके प्रभावों के बारे में नीचे विस्तार से चर्चा की गई है।

1) भूतल जल प्रदूषण

सतही जल पृथ्वी की सतह पर पाया जाने वाला पानी है, जैसे कि नदियाँ, झीलें, वसंत आदि। पृथ्वी की सतह पर मौजूद जल के प्रदूषण को “भूतल जल प्रदूषण” कहा जाता है। सतही जल प्रदूषण के विभिन्न कारण हो सकते हैं जैसे – कारखानों से रासायनिक अपशिष्टों का प्रत्यक्ष विमोचन, मानव बस्तियों द्वारा कचरे का ढेर लगाना आदि।

2) पोषक प्रदूषण

पोषक तत्व प्रदूषण जल निकायों में पोषक तत्वों के अत्यधिक समावेश के कारण होता है। यह यूट्रोफिकेशन नामक एक स्थिति की ओर जाता है, जिसमें खनिजों और पोषक तत्वों की अधिकता के कारण एक जल निकाय में शैवाल की अत्यधिक वृद्धि होती है। पोषक प्रदूषण के कुछ महत्वपूर्ण कारणों में सिंथेटिक उर्वरक, जीवाश्म ईंधन, खाद का अत्यधिक उपयोग आदि हैं।

3) समुद्री प्रदूषण

समुद्री प्रदूषण तब होता है जब कारखानों और अन्य मानवीय गतिविधियों से प्रदूषक या मानव बस्तियों से आवासीय अपशिष्ट, नदियों, महासागरों आदि जैसे जल निकायों तक पहुंचते हैं। पानी के इस तरह के संदूषण का समुद्री जीवन पर विभिन्न प्रभाव पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप अंततः इसकी कमी हो जाती है।

4) सूक्ष्मजीव प्रदूषण

जल निकायों में पहले से ही कुछ मात्रा में सूक्ष्मजीव मौजूद हैं, जिसमें एरोबिक और एनारोबिक जीव शामिल हैं। जब अधिक बायोडिग्रेडेबल कचरा पानी तक पहुंचता है, तो यह सूक्ष्मजीवों के अधिक विकास का कारण बनता है। ये सूक्ष्मजीव पानी में मौजूद ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप ऑक्सीजन का स्तर घट जाता है और अंततः जलीय जीवन घट जाता है।

5) कीटनाशक प्रदूषण

खरपतवार और कीटों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से कृषि उद्योग में कीटनाशकों का उपयोग; जल निकायों के कीटनाशक प्रदूषण में परिणाम। ये कीटनाशक बारिश से जलस्रोतों में धंस जाते हैं या सतह में धंस जाते हैं और भूमिगत जल तक पहुंच जाते हैं, जिससे वे प्रदूषित हो जाते हैं और खपत के लिए हानिकारक हो जाते हैं।

निष्कर्ष:

जल प्रदूषण एक गंभीर स्वास्थ्य चिंता है जिसका सामना दुनिया के कई देशों को करना पड़ता है। यहां तक ​​कि संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे कुछ सबसे विकसित राष्ट्र भी जल प्रदूषण के प्रभाव से सुरक्षित नहीं हैं। कठिन, अविकसित देशों में स्थिति सबसे खराब है जिसके बाद विकसित देशों का स्थान है।

खराब सेनेटरी की स्थिति, पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं की अनुपस्थिति और स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में कम जागरूकता जल प्रदूषण और इसके कारण होने वाली बीमारियों के कुछ मुख्य कारण हैं। जल प्रदूषण का समाधान एक बहु आयामी दृष्टिकोण में निहित है जो जल प्रदूषण के विभिन्न कारणों को समाप्त करने के लिए निर्देशित है।

जल प्रदूषण पर निबंध, water pollution essay in hindi (600 शब्द)

प्रस्तावना:.

जल प्रदूषण दुनिया के प्रमुख मुद्दों में से एक है जो पिछले कुछ समय से अस्तित्व में है। हालाँकि, जल प्रदूषण को रोकने के लिए कई तरह की पहल और कदम उठाए गए हैं, लेकिन यह अभी भी वैश्विक आबादी के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है। जल प्रदूषण को विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है और जल प्रदूषण के स्रोत कई हैं जो मानव और साथ ही अन्य प्रजातियों के जीवन को भारी रूप से प्रभावित कर रहे हैं।

विभिन्न प्रकार के जल प्रदूषण हैं, जो विभिन्न प्रदूषकों के स्वच्छ पानी में मिल जाने के कारण होते हैं। जल प्रदूषण के प्रमुख प्रकार जो बहुत आम हैं उन्हें नीचे दिया गया है –

सतही जल प्रदूषण: सतही जल प्रदूषण जल प्रदूषण का सबसे आम प्रकार है। आजकल यह झीलों, तालाबों, नदियों और जलस्रोतों में तैरते कचरे, प्लास्टिक की बोतलों और पॉलिथीन की थैलियों आदि का एक बहुत ही आम दृश्य है। ये चीजें न केवल पानी को दूषित करती हैं बल्कि यह इन जल निकायों में रहने वाले जलीय जीवों को भी प्रभावित करती हैं। यह विभिन्न घातक बीमारियों जैसे डायरिया, हैजा, टाइफाइड, पेचिश, कृमि और मच्छर जनित बीमारियों आदि को भी जन्म देता है।

समुद्री जल प्रदूषण: समुद्री प्रदूषण औद्योगिक और शहरी अपशिष्ट निपटान के कारण समुद्र और महासागरों का प्रदूषण है, जहाजों से तेल फैलता है, समुद्री मलबे आदि। समुद्री प्रदूषण समुद्री जीवों को उनके अस्तित्व के लिए खतरा होने या उनके शरीर में एक नकारात्मक हार्मोनल परिवर्तन को प्रेरित करने से प्रभावित करता है।

भूजल प्रदूषण: भूजल प्रदूषण तब होता है जब किसी विशिष्ट क्षेत्र में भूजल प्राकृतिक या मानव निर्मित कारणों से दूषित हो जाता है। आर्सेनिक या फ्लोराइड जैसे प्राकृतिक पाए जाने वाले पदार्थ भूजल के साथ मिल कर इसे विषाक्त बना देते हैं। सेप्टिक टैंक, कीटनाशक और उर्वरक भी भूजल प्रदूषण को बढ़ाते हैं।

पोषक तत्व जल प्रदूषण: नाइट्रेट्स और फॉस्फेट युक्त औद्योगिक कचरे का निपटान और कृषि भूमि से पास के जल निकायों में उर्वरकों को चलाने से खनिजों और पोषक तत्वों के साथ पानी समृद्ध होता है, जिससे ‘शैवाल’ की अत्यधिक वृद्धि होती है। यह एक जगह की जैव विविधता में असंतुलन के कारण जलीय प्रजातियों को प्रभावित करने वाले पानी की ऑक्सीजन सामग्री को कम कर देता है।

जल प्रदूषण के स्रोत:

पानी को प्रदूषित और दूषित करने वाले प्रदूषक विभिन्न स्रोतों से आते हैं। इसे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष स्रोतों के रूप में बड़े पैमाने पर वर्गीकृत किया जा सकता है।

प्रत्यक्ष स्त्रोत:  प्रत्यक्ष स्रोतों में शहरी सीवेज सिस्टम, औद्योगिक अपशिष्ट निपटान, रिफाइनरियों से छुट्टी, अपशिष्ट उपचार संयंत्र, महासागरों में तेल फैल आदि शामिल हैं। जल प्रदूषण के ये स्रोत पहचान योग्य हैं और वे सीधे जल निकायों को प्रदूषित करते हैं। ये भी दुनिया भर में जल प्रदूषण का एक प्रमुख कारण हैं।

अप्रत्यक्ष स्रोत:  जल प्रदूषण के अप्रत्यक्ष स्रोत उर्वरक, कीटनाशक, रासायनिक डंप, सेप्टिक टैंक आदि हैं। ये प्रदूषक बारिश के पानी के माध्यम से मिट्टी में अवशोषित होते हैं और भूजल स्रोतों को दूषित करने वाले एक्वीफर तक पहुंचते हैं। यह निकटवर्ती जल निकायों में भी प्रवाहित हो सकता है और सतही जल को प्रदूषित कर सकता है। पृथ्वी की पपड़ी में आर्सेनिक जैसे रासायनिक तत्वों की मौजूदगी भूजल को पीने के लिए अनुपयुक्त बना सकती है।

हवा के बाद पानी जीवन का महत्वपूर्ण स्रोत है और अगर यह प्रदूषित हो जाता है तो यह इस ग्रह पर जीवन के अस्तित्व को चुनौती देगा। यह पहले से ही ज्ञात है कि पृथ्वी पर उपलब्ध केवल 1% पानी पीने के लिए उपयुक्त है और यदि जल प्रदूषण दर बढ़ती रहती है तो वह दिन बहुत दूर नहीं है जब पानी की कमी हमारे अस्तित्व को चुनौती देगी।

तीसरा विश्व युद्ध पानी के लिए लड़ा जाएगा की भविष्यवाणी भी सच हो सकती है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हमें पानी की प्रत्येक बूंद को बचाना चाहिए और इसे प्रदूषित करने से बचना चाहिए और इसे हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए उपलब्ध कराना चाहिए।

जल प्रदूषण पर निबंध, long essay on water pollution in hindi (800 शब्द)

water pollution

जल प्रदूषण हानिकारक और विषाक्त यौगिकों द्वारा प्राकृतिक जल संसाधनों के संदूषण को संदर्भित करता है, मुख्य रूप से विभिन्न मानव गतिविधियों के कारण। जल निकायों में विषाक्त पदार्थों का परिचय, मनुष्यों, जानवरों और जलीय जीवन द्वारा खपत के लिए हानिकारक पानी को प्रस्तुत करता है।

जब प्रगति की अनुमति दी जाती है, तो जल प्रदूषण का किसी स्थान की पारिस्थितिकी पर लंबे समय तक चलने और अवांछित प्रभाव पड़ता है। इसके परिणामस्वरूप प्रजातियों की कमी, जैव-विविधता का नुकसान, विभिन्न अन्य जटिलताओं के बीच निवास की हानि होती है। आगे के निबंध में हम जल प्रदूषण के कारणों और प्रभावों पर चर्चा करेंगे।

जल प्रदूषण के कारण:

जल प्रदूषण के विभिन्न कारण हैं और उनमें से लगभग सभी मानव प्रेरित हैं, अर्थात्, वे मानव गतिविधियों के कारण होते हैं जैसे – औद्योगिकीकरण, वनों की कटाई, कूड़े के ढेर, और कृषि कार्यों के लिए रसायनों का उपयोग आदि, नीचे हम प्रमुख चर्चा करेंगे। जल प्रदूषण के लिए जिम्मेदार मानव प्रेरित कारक।

1) सीवेज डिस्चार्ज

मानव निकायों के आसपास जल प्रदूषण का अनियंत्रित और निरंतर निर्वहन जल निकायों में जल प्रदूषण का मुख्य कारण है। सीवेज डिस्चार्ज में औद्योगिक कचरे के साथ मिश्रित हमारे सिंक, शौचालय और अन्य घरेलू गतिविधियों में उपयोग किया जाने वाला पानी होता है। इसमें विभिन्न स्रोतों से विभिन्न रसायन और ठोस प्रदूषक लकड़ी का कोयला, पारा, प्लास्टिक, कांच आदि शामिल हैं। जल निकायों में डंप किया गया यह अनुपचारित मल जल मनुष्यों के साथ-साथ जलीय प्रजातियों के लिए भी हानिकारक है।

2) लिटरिंग

हमारे जल निकायों के प्रदूषण के पीछे लिटरिंग एक मुख्य कारण है। लोग अपने घरेलू कचरे को सड़क पर फेंक देते हैं, जो खराब अपशिष्ट प्रबंधन के कारण अंततः हवा और बारिश के माध्यम से नदियों, झीलों और अन्य जल निकायों तक पहुंच जाता है। घरेलू कचरे में मुख्य रूप से प्लास्टिक के रैपर, पॉलीथिन और कांच आदि जैसे गैर-बायोडिग्रेडेबल सामग्री होती हैं। इसके अलावा, मनोरंजन के लिए रिवरसाइड या झीलों पर जाने वाले लोग, जमीन पर लिट्टी चिप्स के पैकेट, पानी की बोतलें आदि ले जाते हैं, जो अंततः जल निकाय में अपना रास्ता तलाशते हैं।

3) औद्योगिक अपशिष्ट

औद्योगिक कचरे में विनिर्माण उद्योग और अन्य औद्योगिक प्रक्रियाओं द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट शामिल हैं। इसमें उद्योगों के आधार पर विभिन्न प्रदूषक शामिल हो सकते हैं, जैसे – बजरी, रेत, कंक्रीट, गंदगी, गंदगी और रसोई से कचरा, तेल, धातु आदि। औद्योगिक अपशिष्ट जैसे वार्निश, पेंट, पारा और सीसा जैसी धातुएँ, हानिकारक और हानिकारक हो सकती हैं। खतरनाक कचरे की श्रेणी में।

4) कृषि प्रदूषक

कृषि उद्योग को दुनिया भर के जल निकायों का प्रमुख प्रदूषक माना जाता है। कृषि प्रदूषकों में पशुधन से रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक और अपशिष्ट होते हैं, जो नदियों और झीलों में बारिश के साथ बह जाते हैं। औद्योगिक अपशिष्ट रोगाणुओं, वायरस और बैक्टीरिया से समृद्ध है, इस प्रकार पानी को दूषित करता है और इसका उपयोग करना हानिकारक होता है। इसके अलावा, कृषि अपशिष्टों से पोषक तत्वों की उच्च मात्रा के परिणामस्वरूप जल निकायों में अत्यधिक शैवाल का निर्माण होता है।

6) रेडियोधर्मी जल प्रदूषण

पानी के रेडियोधर्मी प्रदूषण का कारण उद्योगों या शैक्षणिक संस्थानों द्वारा वाणिज्यिक, शैक्षिक या अनुसंधान उद्देश्यों के लिए रेडियोधर्मी पदार्थों से निपटना के तरीके है। रेडियोधर्मी पदार्थ हजारों वर्षों तक पानी में रह सकते हैं और मनुष्यों, जानवरों और जलीय जीवन के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य खतरा पैदा कर सकते हैं। इसके अलावा, रेडियोधर्मी पदार्थों के आकस्मिक फैलाव या रेडियोधर्मी हथियारों के परीक्षण से रेडियोधर्मी प्रदूषण का खतरा होता है।

जल प्रदूषण के प्रभाव:

एक स्थान के पारिस्थितिक संतुलन पर जल प्रदूषण का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और इसके परिणामस्वरूप प्रजातियों में कमी और निवास स्थान का विनाश होता है। यह आजीवन जटिलताओं के साथ कुछ गंभीर बीमारियों के कारण मनुष्यों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। नीचे, हम जल प्रदूषण के कुछ सबसे प्रमुख प्रभावों पर चर्चा करेंगे।

1) बीमारी और बीमारी

जल प्रदूषण से हैजा, डायरिया, पेचिश आदि कई जल जनित बीमारियों का खतरा पैदा हो जाता है। रासायनिक प्रदूषक जैसे पारा, कीटनाशक और अन्य, अधिक गंभीर चिकित्सा स्थितियों जैसे कि पारा विषाक्तता और अन्य कार्डियो वैस्कुलर या श्वसन संबंधी बीमारियों का कारण बन सकते हैं।

2) जल संसाधन की कमी

मीठे पानी को और अधिक दुर्लभ बनाने वाले प्राकृतिक जल संसाधनों की कमी के कारण जल प्रदूषण में कमी आती है। पीने और खाना पकाने के प्रयोजनों के लिए दूषित झीलों, नदियों और तालाबों के पानी का मनुष्यों द्वारा उपभोग नहीं किया जा सकता है।

3) जलीय जीवन का नुकसान

जल प्रदूषण के कारण विभिन्न कारणों से जलीय जीवन का नुकसान होता है। ठोस के साथ-साथ रासायनिक प्रदूषक मछलियों और अन्य जलीय प्रजातियों के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करते हैं। इसके अलावा, कुछ प्रदूषकों में सूक्ष्मजीव होते हैं, अंततः पानी की कम ऑक्सीजन सामग्री होती है क्योंकि सूक्ष्मजीव ऑक्सीजन का उपभोग करते हैं। यह घटना जलीय जीवन को बहुत जरूरी ऑक्सीजन से वंचित करती है, जिसके परिणामस्वरूप प्रजातियों का नुकसान होता है।

4) जैव विविधता का नुकसान

सभी जीवित प्रजातियां – जानवर, मनुष्य, पेड़, पौधे, मछलियां, सरीसृप, पक्षी आदि एक जगह के आसपास, काफी हद तक, उनके अस्तित्व के लिए उपलब्ध ताजे जल संसाधनों पर निर्भर करते हैं। यह कहा जा सकता है कि किसी स्थान पर जैविक विविधता उसके जल संसाधन पर निर्भर करती है। दूसरी ओर एक क्षेत्र के आसपास एकमात्र ताजे जल संसाधन के दूषित होने से आवास और जैव विविधता का नुकसान होगा।

5) पर्यावरण का नुकसान

पानी के प्रदूषण के कारण निवास की हानि, प्रजातियों की कमी, जैव विविधता के नुकसान के साथ-साथ कई अन्य अपमानजनक प्रभाव होते हैं। इन सभी प्रभावों को जब एक साथ जोड़ा जाता है तो अंततः पर्यावरणीय हानि होती है, जिसके परिणामस्वरूप आगे चलकर गंभीर परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं जैसे ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन और अम्लीय वर्षा आदि।

जल प्रदूषण न केवल मानव स्वास्थ्य बल्कि पर्यावरण के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा है। यदि स्थिति को ऐसे ही जारी रहने दिया जाता है, तो वह दिन दूर नहीं जब हमें पीने, भोजन पकाने या अन्य उपयोगी उद्देश्यों के लिए पानी नहीं छोड़ा जाएगा। यह ज्ञात होना चाहिए कि, यद्यपि पृथ्वी का 70% से अधिक भाग पानी में समाया हुआ है, लेकिन ताजे पानी का केवल 1% ही बनता है। इसलिए, प्रदूषण के कारण जल संसाधनों के और नुकसान को रोकने की दिशा में वैश्विक पहल करने के लिए उच्च समय है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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जल प्रदूषण पर 10 लाइन | 10 Lines on Water Pollution in Hindi

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10 Lines on Water Pollution in Hindi : Water Pollution यानी की जल प्रदूषण । हम सभी जानते है की जल ही जीवन है, और दूषित जल पीने से हमारा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसीलिए जल को हमेशा स्वच्छ रखना चाहिए और इसको प्रदूषित नही करना चाहिए।

हम जल प्रदूषण और जल प्रदूषण को कैसे रोका जाए ? ये सभी के बारे में सही जानकारी देने के लिए 10 Lines on Water Pollution in Hindi का निबंध लिखे है।

ये निबंध सभी वर्ग छात्रों के लिए तीन विभाग करके लिखा गया है। उमीद करते है की ये निबंध पढ़के आपको बहत अच्छा लगेगा और जल प्रदूषण के बारे में सही जानकारी मिलेगा।

10 Lines on Water Pollution

Table of Contents

10 Lines on Water Pollution in Hindi for Kids

Pattern 1 –  10 Lines Essay  or  Shorts Essay  is very helpful for classes 1, 2, 3, 4, and 5 Students.

  • जल प्रदूषण मुख्यतः कारखानों से निकले अवशिष्ट पदार्थ नदी और तालाबों में मिलने से होती है।
  • जल में गृहपालित जानवरों को तालाबों या नदी में नेहनाने से जल प्रदूषण होती है।
  • जल प्रदूषण जल में रासायनिक पदार्थ मिलने से भी जल प्रदूषण होती है।
  • किसीभी कचरा को जल में फेंक देने से भी जल प्रदूषण होती है।
  • प्रदूषण जल को पीने से शरीर पर बहत सारे रोग फैल जाते है।
  • इसीलिए प्रदूषित जल हमारे स्वास्थ्य के लिए बहत हानिकारक है।
  • जल प्रदुषण को रोकने के लिए पहले कारखानों के अवशिष्ट नदी में मिलने से रोकना चाहिए।
  • जानवरों को नदी या तालाबों में नही नहलाना चाहिए।
  • जल में रासायनिक पदार्थ को नहीं मिलाना चाहिए।
  • व्यवहार किया हुआ चीजों के कचरा को जल में नहीं फेंकना चाहिए।

10 Lines Essay On Water Pollution in Hindi for Kids

10 Lines on Water Pollution in Hindi for Students

Pattern 2 –  10 Lines Essay  or  Shorts Essay  is very helpful for classes 6, 7, 8, and 9 Students.

  • जल प्रदुषण मानव जीवन तथा जीवजंतु और पेड़ पौधे के लिए भी गंभीर समस्या है।
  • पृथ्वी पर लंबी वसती के लिए जल प्रदूषण को रोकना बहत जरूरी है।
  • मानव ही जल प्रदुषण का मुख्य स्रोत है, जो जल प्रदूषित कर रहा है।
  • नदी या समुद्र के आसपास कारखाने सारे बनवाया जाता है, कारखाने का अवासिस्ट नदी या समुद्र से मिलने पर जल प्रदूषण होती है।
  • साथ ही घर में ब्याबहार किए जाने वाला किसी भी चीज का कचरा भी तालाब या नदी में फेंक देने से जल प्रदूषण होती है।
  • जानवरों को नदी में नहलाने से, कीटनाशक दबाई और रासायनिक पदार्थ को जल में मिलने से भी जल प्रदूषण होती है।
  • इस तरह के प्रदूषित जल पीने से शरीर में टाइफाइड, पीलिया, अतिशय, एक्जिमा जैसे रोग फैल जाता है।
  • साथ ही इस तरह के प्रदुषित जल जिस भूमि के उपर बह कर चलता है, उसी भूमि या उसी मिट्टी का उर्वरता कम हो जाती है।
  • इसीलिए हर घर के सुलभ शौचालय का इस्तेमाल करना चाहिए। किसी भी कचरा चाहें घर का हो या कारखाने का , किसी नदी या तालाब में नहीं फेंकना चाहिए।
  • साथ ही मानव समाज को अपने लिए एक कानून बनाना चाहिए। जिस इंसान जल प्रदूषण करेगा, उसको कठोर दंड में दंडित करना चाहिए।

10 Lines Essay On Water Pollution in Hindi for Students

10 Lines on Water Pollution in Hindi for Higher Class Students

Pattern 3 –  10 Lines Essay  or  Shorts Essay  is very helpful for class 10,11 12, and Competitive Exams preparing Students.

  • जल प्रदूषण साधारणतः दो तरह के होते है । एक है भूतल जल प्रदूषण और दूसरा है भूमिगत जल प्रदूषण।
  • नदी, समुद्र, तालाब में प्रदूषित जल को भूतल जल प्रदूषण कहा जाता है।
  • और मिट्टी के अंदर प्रदूषित हो रहे जल को भूमिगत जल प्रदूषण कहा जाता है।
  • मुख्यताः 4 तरह के स्रोत है, जो इस 4 तरह के स्रोत से जल प्रदूषण होती है।
  • पहला है घरेलू प्रभाव, दुसरा है औद्योगिक प्रभाव, तीसरा है सतह अपवाह और चौथा है थर्मल जल प्रदूषण।
  • घरेलू प्रभाव का मतलब है जो घर से निकलता हुआ कचरा से, कपड़े धोने से और जीवजंतु को जल में नहलाने से जो जल प्रदूषित होता है।
  • औद्योगिक प्रभाव का मतलब है जो कारखाने सारे है, उनमें जो निकलता हुआ अवशिष्ट पदार्थ नदी या समुद्र में मिल जाने से जो जल प्रदूषण होता है।
  • सतह अपवाह का मतलब है जो बारिश में बहता हुआ दूषित जल नदी या तालाब में मिलकर जो जल प्रदूषित होता है।
  • थर्मल जल प्रदूषण का मतलब है जो थर्मल पॉवर प्लांट है, वो अपने मशीनों को ठंडा करने के लिए पानी का इस्तमाल करतें है मशीन सारे ठंडा होने के बाद वो पानी गरम हो जाती है और वो गरम पानी को नदी या समुद्र में फेंक देते से जल प्रदूषित होता है।
  • जल प्रदूषण को रोकने के लिए ये सभी स्रोत को बंद कर देना चाहिए और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सक्त कानून बनाकर जल प्रदूषणकारी को सक्त दंड देना चाहिए , ताकि जल प्रदूषण को रोका जा सके।

10 Lines Essay On Water Pollution in Hindi for Higher Class Students

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10 Lines on Water Pollution in English for Students

Pattern 4 –   10 Lines Essay  or  Shorts Essay  is very helpful for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10,11 12, and Competitive Exams preparing Students.

  • Water pollution is generally of two types. One is surface water pollution and the other is underground water pollution.
  • The polluted water in river, sea, pond is called surface water pollution.
  • And the water getting polluted inside the soil is called underground water pollution.
  • Mainly: There are 4 types of sources, which cause water pollution from these 4 types of sources.
  • First is domestic effect, second is industrial effect, third is surface runoff and fourth is thermal water pollution.
  • Domestic effect means water that is polluted by the waste coming out of the house, washing clothes and bathing animals in water.
  • Industrial effect means the water pollution caused by the residual material coming out of the factories which mix in the river or sea.
  • Surface runoff means the contaminated water that flows in the rain and joins the river or pond, which pollutes the water.
  • Thermal water pollution means that which is thermal power plant, they use water to cool their machines, after cooling all the machines, that water gets heated and they throw the hot water in the river or sea. gets polluted.
  • To prevent water pollution, all these sources should be closed and the pollution control board should make strict laws and give strict punishment to the water polluters, so that water pollution can be stopped.

10 Lines on Water Pollution in Odia for Students

Pattern 5 –   10 Lines Essay  or  Shorts Essay  is very helpful for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10,11 12, and Competitive Exams preparing Students.

  • ଜଳ ପ୍ରଦୂଷଣ ସାଧାରଣତହ ଦୁଇ ପ୍ରକାରର ହୋଇଥାଏ | ଗୋଟିଏ ହେଉଛି ଭୂପୃଷ୍ଠ ଜଳ ପ୍ରଦୂଷଣ ଏବଂ ଅନ୍ୟଟି ଭୂତଳ ଜଳ ପ୍ରଦୂଷଣ |
  • ନଦୀ, ସମୁଦ୍ର, ପୋଖରୀରେ ପ୍ରଦୂଷିତ ଜଳକୁ ଭୂପୃଷ୍ଠ ଜଳ ପ୍ରଦୂଷଣ କୁହାଯାଏ |
  • ଏବଂ ମାଟି ଭିତରେ ପ୍ରଦୂଷିତ ହେଉଥିବା ଜଳକୁ ଭୂତଳ ଜଳ ପ୍ରଦୂଷଣ କୁହାଯାଏ |
  • ମୁଖ୍ୟତଃ ଏଠାରେ 4 ପ୍ରକାରର ଉତ୍ସ ଅଛି, ଯାହା ଏହି 4 ପ୍ରକାରର ଉତ୍ସରୁ ଜଳ ପ୍ରଦୂଷଣ କରିଥାଏ |
  • ପ୍ରଥମଟି ହେଉଛି ଘରୋଇ ପ୍ରଭାବ, ଦ୍ୱିତୀୟଟି ହେଉଛି ଶିଳ୍ପ ପ୍ରଭାବ, ତୃତୀୟଟି ହେଉଛି ଭୂପୃଷ୍ଠ ଜଳପ୍ରବାହ ଏବଂ ଚତୁର୍ଥଟି ହେଉଛି ତାପଜ ଜଳ ପ୍ରଦୂଷଣ |
  • ଘରୋଇ ପ୍ରଭାବ ଅର୍ଥ ହେଉଛି ଘରୁ ବାହାରୁଥିବା ବର୍ଜ୍ୟବସ୍ତୁ, ପୋଷାକ ଧୋଇବା ଏବଂ ପଶୁମାନଙ୍କୁ ପାଣିରେ ସ୍ନାନ କରିବା ଦ୍ୱାରା ପ୍ରଦୂଷିତ ଜଳ |
  • ଶିଳ୍ପ ପ୍ରଭାବ ଅର୍ଥ ହେଉଛି ନଦୀ କିମ୍ବା ସମୁଦ୍ରରେ ମିଶ୍ରିତ କାରଖାନାଗୁଡ଼ିକରୁ ବାହାରୁଥିବା ଅବଶିଷ୍ଟ ପଦାର୍ଥ ଦ୍ୱାରା ଜଳ ପ୍ରଦୂଷଣ |
  • ଭୂପୃଷ୍ଠ ଜଳପ୍ରବାହ ଅର୍ଥ ଦୂଷିତ ଜଳ ଯାହା ବର୍ଷାରେ ପ୍ରବାହିତ ହୁଏ ଏବଂ ନଦୀ କିମ୍ବା ପୋଖରୀରେ ଯୋଗ ଦେଇଥାଏ, ଯାହା ଜଳକୁ ଦୂଷିତ କରିଥାଏ |
  • ତାପଜ ଜଳ ପ୍ରଦୂଷଣର ଅର୍ଥ ହେଉଛି ତାପଜ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ଉତ୍ପାଦନ କେନ୍ଦ୍ର, ସେମାନେ ନିଜ ମେସିନ୍ କୁ ଥଣ୍ଡା କରିବା ପାଇଁ ଜଳ ବ୍ୟବହାର କରନ୍ତି, ସମସ୍ତ ମେସିନ୍ କୁ ଥଣ୍ଡା କରିବା ପରେ ଜଳ ଗରମ ହୋଇଯାଏ ଏବଂ ସେମାନେ ଗରମ ଜଳକୁ ନଦୀ କିମ୍ବା ସମୁଦ୍ରରେ ପକାନ୍ତି | ପ୍ରଦୂଷିତ ହୁଏ |
  • ଜଳ ପ୍ରଦୂଷଣକୁ ରୋକିବା ପାଇଁ ଏହି ସମସ୍ତ ଉତ୍ସ ବନ୍ଦ କରାଯିବା ଉଚିତ ଏବଂ ପ୍ରଦୂଷଣ ନିୟନ୍ତ୍ରଣ ବୋର୍ଡ କଡା ନିୟମ ପ୍ରଣୟନ କରିବା ଉଚିତ ଏବଂ ଜଳ ପ୍ରଦୂଷଣକାରୀଙ୍କୁ କଠୋର ଦଣ୍ଡ ଦେବା ଉଚିତ, ଯାହା ଦ୍ water ାରା ଜଳ ପ୍ରଦୂଷଣ ବନ୍ଦ ହୋଇପାରିବ।

10 Lines on Water Pollution in Telugu for Students

Pattern 6 –   10 Lines Essay  or  Shorts Essay  is very helpful for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10,11 12, and Competitive Exams preparing Students.

  • నీటి కాలుష్యం సాధారణంగా రెండు రకాలు. ఒకటి ఉపరితల జల కాలుష్యం, రెండోది భూగర్భ జల కాలుష్యం.
  • నది, సముద్రం, చెరువుల్లోని కలుషిత నీటిని ఉపరితల జల కాలుష్యం అంటారు.
  • మరియు నేల లోపల కలుషితమయ్యే నీటిని భూగర్భ జల కాలుష్యం అంటారు.
  • ప్రధానంగా: 4 రకాల వనరులు ఉన్నాయి, ఈ 4 రకాల వనరుల నుండి నీటి కాలుష్యం ఏర్పడుతుంది.
  • మొదటిది గృహ ప్రభావం, రెండవది పారిశ్రామిక ప్రభావం, మూడవది ఉపరితల ప్రవాహం మరియు నాల్గవది థర్మల్ నీటి కాలుష్యం.
  • డొమెస్టిక్ ఎఫెక్ట్ అంటే ఇంట్లోంచి బయటకు వచ్చే వ్యర్థాలు, బట్టలు ఉతకడం, జంతువులను నీటిలో స్నానం చేయడం వల్ల కలుషితమయ్యే నీరు.
  • పారిశ్రామిక ప్రభావం అంటే కర్మాగారాల నుండి వెలువడే అవశేష పదార్థం నదిలో లేదా సముద్రంలో కలిసిపోవడం వల్ల ఏర్పడే నీటి కాలుష్యం.
  • ఉపరితల ప్రవాహం అంటే వర్షంలో ప్రవహించే కలుషితమైన నీరు నది లేదా చెరువులో కలుస్తుంది, ఇది నీటిని కలుషితం చేస్తుంది.
  • థర్మల్ నీటి కాలుష్యం అంటే థర్మల్ పవర్ ప్లాంట్, వారు తమ యంత్రాలను చల్లబరచడానికి నీటిని ఉపయోగిస్తారు, అన్ని యంత్రాలను చల్లబరిచిన తర్వాత, ఆ నీరు వేడి చేయబడుతుంది మరియు వారు వేడి నీటిని నదిలో లేదా సముద్రంలో విసిరివేస్తారు. కలుషితమవుతుంది.
  • నీటి కాలుష్యాన్ని నిరోధించడానికి, ఈ వనరులన్నింటినీ మూసివేయాలి మరియు కాలుష్య నియంత్రణ మండలి కఠినమైన చట్టాలను రూపొందించాలి మరియు నీటి కాలుష్యాన్ని అరికట్టవచ్చు, తద్వారా నీటి కాలుష్యం చేసేవారిని కఠినంగా శిక్షించాలి.

10 Lines on Water Pollution in Marathi for Students

Pattern 7 –   10 Lines Essay  or  Shorts Essay  is very helpful for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10,11 12, and Competitive Exams preparing Students.

  • जलप्रदूषण साधारणपणे दोन प्रकारचे असते. एक म्हणजे भूपृष्ठावरील जलप्रदूषण आणि दुसरे म्हणजे भूगर्भातील जल प्रदूषण.
  • नदी, समुद्र, तलावातील प्रदूषित पाण्याला भूपृष्ठावरील जल प्रदूषण म्हणतात.
  • आणि जमिनीच्या आत प्रदूषित होणाऱ्या पाण्याला भूगर्भातील जल प्रदूषण म्हणतात.
  • मुख्यतः: 4 प्रकारचे स्त्रोत आहेत, ज्यामुळे या 4 प्रकारच्या स्त्रोतांपासून जल प्रदूषण होते.
  • पहिला घरगुती परिणाम, दुसरा औद्योगिक प्रभाव, तिसरा पृष्ठभागावरील प्रवाह आणि चौथा थर्मल जल प्रदूषण.
  • घरगुती परिणाम म्हणजे घरातून बाहेर पडणारा कचरा, कपडे धुणे आणि जनावरांना पाण्यात आंघोळ घालणे यामुळे प्रदूषित होणारे पाणी.
  • औद्योगिक परिणाम म्हणजे कारखान्यांमधून बाहेर पडणाऱ्या अवशिष्ट पदार्थामुळे होणारे जलप्रदूषण जे नदी किंवा समुद्रात मिसळते.
  • सरफेस वाहून जाणे म्हणजे पावसात वाहून जाणारे दूषित पाणी नदी किंवा तलावात मिसळते, जे पाणी प्रदूषित करते.
  • थर्मल वॉटर प्रदुषण म्हणजे जे थर्मल पॉवर प्लांट आहे, ते त्यांच्या मशीन्स थंड करण्यासाठी पाण्याचा वापर करतात, सर्व मशीन्स थंड केल्यावर ते पाणी गरम होते आणि ते गरम पाणी नदी किंवा समुद्रात फेकून प्रदूषित होते.
  • जलप्रदूषण रोखण्यासाठी हे सर्व स्त्रोत बंद करून प्रदूषण नियंत्रण मंडळाने कठोर कायदे करून जलप्रदूषण करणाऱ्यांना कडक शिक्षा द्यावी, जेणेकरून जलप्रदूषण थांबेल.

Last Word on Water Pollutio n

हम उपर Water Pollution यानी की जल प्रदूषण के बारे में सही जानकारी देने के लिए 10 Lines Essay On Water Pollution का निबंध लिखे है।

उम्मीद करते हैं की ये निबंध पढ़के आपको बहत अच्छा लगा होगा और जल प्रदूषण के बारे में सही जानकारी मिला होगा। 10 Lines Essay On Water Pollution in Hindi जैसे और बहत सारे निबंध पाने के लिए हमारे साथ जुड़े रहिए। धन्यवाद।

अन्य पोस्ट देखें –  Short Essay  /   10 Lines Essay .

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References Links:

  • https://en.wikipedia.org/wiki/Water_pollution
  • https://www.britannica.com/science/water-pollution
  • https://www.nrdc.org/stories/water-pollution-everything-you-need-know

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  • Study Material

essay on water pollution in hindi short

जल प्रदूषण पर निबंध – Essay On Water Pollution In Hindi

Essay On Water Pollution Essay in Hindi: दोस्तो आज हमने  जल प्रदूषण पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है।

500+ Words Essay on Water Pollution in Hindi

किसी ग्रह पर जीवित रहने के लिए पानी सबसे महत्वपूर्ण संसाधन है। यह हमारे ग्रह – पृथ्वी पर जीवन का सार है। फिर भी यदि आप कभी अपने शहर के आसपास नदी या झील देखते हैं, तो यह आपके लिए स्पष्ट होगा कि हम जल प्रदूषण की बहुत गंभीर समस्या का सामना कर रहे हैं। आइए हम खुद को जल और जल प्रदूषण के बारे में शिक्षित करें । पृथ्वी की सतह का दो-तिहाई हिस्सा पानी से ढका है , आपके शरीर का 76% भाग पानी से बना है।

Essay on Water Pollution in Hindi

जल और जल चक्र

जैसा कि आप पहले से ही जानते हैं कि पानी हर जगह और चारों ओर है। हालांकि, हमारे पास पृथ्वी पर पानी की एक निश्चित मात्रा है। यह सिर्फ अपने राज्यों को बदलता है और जल चक्र के रूप में जाना जाता है, एक चक्रीय क्रम से गुजरता है। जल चक्र एक प्राकृतिक प्रक्रिया है कि प्रकृति में निरंतर है। यह वह पैटर्न है जिसमें महासागरों, समुद्रों, झीलों आदि से पानी वाष्पीकृत होकर वाष्प में बदल जाता है। जिसके बाद यह संघनन की प्रक्रिया से गुज़रता है, और अंत में बारिश होने पर या बारिश के रूप में वापस धरती पर आ जाता है।

जल प्रदूषण क्या है?

जल प्रदूषण जल निकायों (जैसे महासागरों, समुद्रों, झीलों, नदियों, जलभृतों और भूजल) का प्रदूषण है जो आमतौर पर मानव गतिविधियों के कारण होता है। जल प्रदूषण किसी भी परिवर्तन, पानी के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में मामूली या प्रमुख है जो अंततः किसी भी जीवित जीव के हानिकारक परिणाम की ओर जाता है । पीने योग्य पानी, जिसे पीने योग्य पानी कहा जाता है, को मानव और पशुओं की खपत के लिए पर्याप्त सुरक्षित माना जाता है।

जल प्रदूषण के स्रोत

  • औद्योगिक अपशिष्ट
  • कीटनाशक और कीटनाशक
  • डिटर्जेंट और उर्वरक

कुछ जल प्रदूषण प्रत्यक्ष स्रोतों, जैसे कारखानों, अपशिष्ट प्रबंधन सुविधाओं, रिफाइनरियों, आदि के कारण होते हैं, जो अपशिष्ट और खतरनाक उप-उत्पादों को सीधे उनके इलाज के बिना निकटतम जल स्रोत में छोड़ देते हैं। अप्रत्यक्ष स्रोतों में प्रदूषक शामिल हैं जो भूजल या मिट्टी के माध्यम से या अम्लीय वर्षा के माध्यम से जल निकायों में बहते हैं।

जल के प्रदूषण का प्रभाव

जल प्रदूषण के प्रभाव हैं:

रोग: मनुष्यों में, किसी भी तरह से प्रदूषित पानी पीने या सेवन करने से हमारे स्वास्थ्य पर कई विनाशकारी प्रभाव पड़ते हैं। इससे टाइफाइड, हैजा, हेपेटाइटिस और कई अन्य बीमारियां होती हैं।

पारिस्थितिक तंत्र का उन्मूलन: पारिस्थितिकी तंत्र अत्यंत गतिशील है और पर्यावरण में भी छोटे परिवर्तनों के प्रति प्रतिक्रिया करता है। यदि अनियंत्रित छोड़ दिया जाए तो जल प्रदूषण बढ़ने से संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र ध्वस्त हो सकता है।

यूट्रोफिकेशन: एक जल निकाय में रसायन संचय और जलसेक, शैवाल के विकास को प्रोत्साहित करते हैं। शैवाल तालाब या झील के शीर्ष पर एक परत के रूप में। इस शैवाल पर बैक्टीरिया फ़ीड और इस घटना से जल शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है, जिससे जलीय जीवन प्रभावित होता है

खाद्य श्रृंखला के प्रभाव: खाद्य श्रृंखला में उथल-पुथल तब होती है जब जलीय जंतु (मछली, झींगे, समुद्री पक्षी, आदि) पानी में विषाक्त पदार्थों और प्रदूषकों का सेवन करते हैं, और फिर मानव उनका उपभोग करते हैं।

जल प्रदूषण की रोकथाम

बड़े पैमाने पर जल प्रदूषण को रोकने का सबसे अच्छा तरीका इसके हानिकारक प्रभावों को कम करना है। ऐसे कई छोटे-छोटे बदलाव हैं, जिनसे हम अपने भविष्य को सुरक्षित रख सकते हैं, जहाँ पानी की कमी है।

जल का संरक्षण: जल का संरक्षण हमारा पहला उद्देश्य होना चाहिए। जल अपव्यय विश्व स्तर पर एक बड़ी समस्या है और हम अब केवल इस मुद्दे पर जाग रहे हैं। घरेलू रूप से किए गए साधारण छोटे बदलावों से बहुत फर्क पड़ेगा।

सीवेज का उपचार: जल निकायों में इसे निपटाने से पहले अपशिष्ट उत्पादों का उपचार करने से बड़े पैमाने पर जल प्रदूषण को कम करने में मदद मिलती है। कृषि या अन्य उद्योग इस विषैले पदार्थ को अपनी विषाक्त सामग्री को कम करके पुन: उपयोग कर सकते हैं।

पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों का उपयोग: प्रदूषक बनने के लिए न जाने वाले घुलनशील उत्पादों का उपयोग करके, हम एक घर में होने वाले जल प्रदूषण की मात्रा को कम कर सकते हैं।

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जीवन अंततः विकल्पों के बारे में है और इसलिए जल प्रदूषण है। हम सीवेज-बिखरे समुद्र तटों, दूषित नदियों और मछलियों के साथ नहीं रह सकते जो पीने और खाने के लिए जहरीली हैं। इन परिदृश्यों से बचने के लिए, हम पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए एक साथ काम कर सकते हैं ताकि जल निकायों, पौधों, जानवरों, और इस पर निर्भर लोग स्वस्थ रहें। हम जल प्रदूषण को कम करने में मदद करने के लिए व्यक्तिगत या टीम बना सकते हैं। एक उदाहरण के रूप में, पर्यावरण के अनुकूल डिटर्जेंट का उपयोग करके, नालियों के नीचे तेल नहीं डालना, कीटनाशकों के उपयोग को कम करना, और इसी तरह। हम अपनी नदियों और समुद्रों को साफ रखने के लिए सामुदायिक कार्रवाई भी कर सकते हैं। और हम जल प्रदूषण के खिलाफ कानून पारित करने के लिए देशों और महाद्वीपों के रूप में कार्रवाई कर सकते हैं। साथ मिलकर काम करने से हम जल प्रदूषण को एक समस्या से कम कर सकते हैं – और दुनिया एक बेहतर जगह।

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जल प्रदूषण क्या है कारण प्रभाव एवं रोकने के उपाय | Water Pollution in Hindi

जल प्रदूषण क्या है कारण प्रभाव एवं रोकने के उपाय Water Pollution in Hindi: जलाशय, मीठे जल के बड़े तालाब, झीले तथा नदियाँ मानव व जन्तुओं के लिए पेयजल के मुख्य स्रोत है.

अधिकांश कस्बें, बड़े शहर व औद्योगिक नगर भी इन्ही जल स्रोतों के निकटवर्ती क्षेत्रों में बसे हुए है. घरेलू अपशिष्ट एवं औद्योगिक अपशिष्ट इन्ही जल स्रोतों में प्रवाहित किया जाता है.

जिससे बड़ी मात्रा जल प्रदूषण होता है. जल प्रदूषण विकास शील तथा विकसित राष्ट्रों के लिए एक समस्या बन गईं है.

वाटर पोल्यूशन  क्या है, इनके कारण प्रभाव तथा जल प्रदूषण को रोकने के लिए किन उपायों को अपनाना चाहिए, इसकी चर्चा इस लेख में करेगे.

जल प्रदूषण क्या है कारण प्रभाव रोकने के उपाय Water Pollution in Hindi

इन जल स्रोतो का प्रदूषण विभिन्न प्रदूषकों जैसे वाहित मल (Sewage) , कार्बनिक अपमार्जकों (detergents), जल में विलयित पीडकनाशी व कीटनाशी औद्योगिक द्रव अपशिष्ट में घुले कार्बनिक व अकार्बनिक रसायनों, हानिकारक सूक्ष्मजीवों , नदी नालों के साथ बहकर आने वाले मृदा अवसाद (soil sediment) के कारण जल प्रदूषण होता है.

जल प्रदूषण क्या है अर्थ एवं परिभाषा (What is water pollution Meaning & Definition in hindi)

जीवमंडल में जीवों के शरीर के सम्पूर्ण भार का दो तिहाई या 66 प्रतिशत भाग जल ही होता है. मानव रक्त में 79%, मस्तिष्क में 80%, हड्डियों में 10 प्रतिशत जल की मात्रा निहित होती है. जल समस्त जैविक कारकों के शरीर के भागों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है.

प्राकृतिक जल में किसी भी अवांछित बाह्य पदार्थ की उपस्थिति जिससे जल की गुणवत्ता में कमी आती हो, जल प्रदूषण कहलाता है. सिंचाई या पीने के लिए जो पानी उपलब्ध है वह मनुष्य की विकृत जीवन पद्धति के कारण प्रदूषित होता जा रहा है.

सिंचाई में कीटनाशकों का उपयोग, उद्योगों द्वारा दूषित पानी को जल स्रोतों में छोड़ा जाना, तेजाबी वर्षा, शहरों के सीवरेज के पानी को नदियों एवं झीलों में छोड़ा जाना. खनिजों का पानी में घुला होना जल प्रदूषण के मुख्य कारण है.

जल प्रदूषित होने से मनुष्य केवल रोगग्रस्त ही नही होते बल्कि भूमि की उत्पादकता में गिरावट भी आती है. जल प्रदूषण के मुख्य स्रोत निम्नलिखित है.

  • घरेलू अपमार्जक
  • औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थ
  • कीटनाशकों का उपयोग
  • ताप एवं आणविक बिजलीघर आदि के प्रयोग से निकलने वाला प्रदूषित जल आदि. जलीय प्रदूषण से जलीय पौधों व जन्तुओं की वृद्धि रुकने व इनकी म्रत्यु हो जाने के साथ साथ भूमि की सतह पर जल अवरोधी सतह बन जाने से भूमिगत जल के स्तर में कमी आती है. उद्योगों से निकलने वाले दूषित जल को उपचारित कर उद्योगों में पुनः कम में लाया जाना चाहिए.

जल प्रदूषण के कारण (Cause of Water Pollution in Hindi)

प्रदूषित जल के प्राकृतिक व मानव जनित दो प्रकार के कारण होते है.-

जल प्रदूषण प्राकृतिक स्रोत (Natural sources of water pollution)-

  • जल प्रदूषण के प्राकृतिक स्रोतों के अंतर्गत जन्तुओं के मल पदार्थ, पादपो व जन्तुओं के अवशेष, ह्यूमरस, विभिन्न प्रकार के खनिजों की खानों से निकलकर जल में सम्मिश्रण, भू क्षरण इत्यादि सम्मिलित है.
  • बहते हुए पानी में कई बार धातुओं जैसे आर्सेनिक, सीसा (लेड), केडमियम, पारा इत्यादि की मात्रा अधिक हो जाती है. तो ऐसा जल जहरीला हो जाता है.

मानव जनित स्रोतों से जल प्रदूषण (Water Pollution from Human Generated Sources)

  • घर से निकलने वाले कचरे में सड़े फल, तरकारियों के छिलके, कूड़ा करकट, गंदा साबुन व अपमार्जक युक्त प्रमुख है. घरेलू अपशिष्ट पदार्थ मलिन बहिस्राव को मलिन जल कहते है.
  • जनसंख्या में वृद्धि होने के साथ पानी अधिक खर्च होने लगा तथा कल कारखानों में भी पानी की मांग तेजी से बढ़ी. वस्त्र उद्योग, कागज, रसायन उद्योगों में पानी की खपत ज्यादा होती है व प्रयोग के बाद हल प्रदूषित होता है. इस प्रकार औद्योगिकिकरण की प्रगति के साथ साथ प्रदूषित जल की मात्रा भी बढती है.
  • जल में कणीय पदार्थ अत्यंत सूक्ष्म अघुलनशील पदार्थ, कोलायडी व सूक्ष्मजीव होते है. घरों से निकलने वाली गंदगी में रसोईघरों, स्नानघरों व शौचालयों से निकलने वाली गंदगी प्रदूषकों के रूप में उपस्थित रहती है.
  • कई बार नाइट्रोजन व फास्फोरस की मात्रा अधिक होने पर समुद्र में शैवालों की संख्या अधिक बढ़ जाती है जिससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने लगता है. जल में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने से वह हड्डियों के रोग उत्पन्न करता है.
  • घरों व उद्योगों से निकले प्रदूषित जल को नदियों व नालों में छोड़ दिया जाता है. आज जल प्रदूषण इतना बढ़ चुका है, कि नदियाँ प्रदूषित जल लेकर समुद्रों में इसे मिलाकर प्रदूषित करती जा रही है.

जल प्रदूषण के मुख्य कारण (water pollution causes and effects)

वाहित मल (sewage as water pollution in hindi).

यह अधिकांश कार्बनिक पदार्थ होते है. जो सूक्ष्मजीवों द्वारा CO2 व जल में ऑक्सीकृत कर दिए जाते है. अतः जल स्रोतों में वाहित मल का अनुपात कम है तो जल प्रदूषित नहीं हो पाएगा.

लेकिन यदि झील या नदी में अधिक वाहित मल को विसर्जित किया है तो सूक्ष्मजीवों की आबादी बहुत बढ़ जाएगी और उनकी श्वसन क्रिया में जल में घुलित ऑक्सीजन समाप्त हो जाएगी तथा उसी अनुपात में जल में CO2 की मात्रा बढ़ जाएगी.

CO2 के अभाव में मछलियाँ व अन्य जलीय जन्तु व पौधें मर जाएगे और नदी या झील एक बदबूदार जलाशय बन जाएगा. एक इकाई आयतन जल में निर्धारित समय में O2 के उपयोग की मात्रा ज्ञात करके कार्बनिक प्रदूषकों की मात्रा का अनुमान लगा देते है, इस प्रकार के मापन को जैव रासायनिक आवश्यक ऑक्सीजन (BIOLOGICAL OXYGEN DEMAND BOD) कहते है.

चमड़े के कारखानों, पशु वधशालाओं, यात्री जहाजों व नौकाओं द्वारा विसर्जित वाहित मल में अनेक संक्रामक जीवाणु होते है. जो मानव व जन्तुओं के कई रोगों जैसे (हैजा, टायफाइड, पीलिया) के कारक है. वाहित मल जलीय जीवों के पोषक है और जलाशयों को अधिक उर्वर या सुपोषी (EUTROPHIC) बनाते है.

सुपोषकों से शैवालों की वृद्धि तेजी से होती है और अल्प काल में ही जलाशय, झील, नदी आदि शैवालों की सघन फूली हुई वृद्धि से भर जाती है. इसे शैवाल ब्लूम (ALGAL LOOM) कहते है.

शैवालों के मरने से इनका जीवाणुओं द्वारा अपघटन भी होता है, जिससे जल में O2 की मात्रा कम हो जाती है. साथ ही साथ जल प्रदूषण बढ़ता जाता है. ऐसी अवायवीय परिस्थतियों में अनेक जलीय पौधें व मछलियाँ मर जाती है.

विभिन्न उद्योगों द्वारा द्रव अपशिष्ट विसर्जन (Fluid waste excretion by various industries)

विभिन्न उद्योगों जैसे पेट्रो रसायन, उर्वरक तेल शोधन, औषधि रेशे, रबर, प्लास्टिक आदि के कारखानों से निकला द्रव अपशिष्ट नदियों के लिए गंभीर प्रदूषक है.

इन कारखानों से निकलने वाले अपशिष्टों में अनेक विषाक्त रसायन व अम्ल घुले रहते है, ये जल को दूषित करते है तथा भूमि में रिसकर भूमितल के जल को भी प्रदूषित करते है.

इन द्रव अपशिष्टों के कारण झीलों के जल का प्रदूषण हो जाता है. इनमें रहने वाले पेड़ पौधे मर जाते है. जन्तुओं तथा मनुष्यों द्वारा इस जल को पीने से अनेक गम्भीर रोग हो जाते है.

ये विषाक्त पदार्थ एक जीव से दूसरे जीव में खाद्य श्रंखला द्वारा स्थानातरित हो जाते है. रसायन उद्योग व पारा, द्रव अपशिष्टों के रूप में नदियों और फिर समुद्री जल में पहुच जाता है. स्वचालित नौकाओं के विरेचन से भी पारा व सीसा होता है और जल में मिलता रहता है.

यह अत्यंत विषाक्त मिथाइल पारा बनाता है जो जलीय जन्तुओं के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है. जल का दूसरा धातु प्रदूषक सीसा (lead) है.

यह सीसा खनन व स्वचालित जलवाहक रेचकों द्वारा जल में पहुचता है तथा जन्तुओं में खाद्य श्रंखला द्वारा पहुचकर विषाक्त प्रभाव दिखाता है.

जल प्रदूषक के रूप में रासायनिक उर्वरक (Chemical fertilizer as a water pollution In Hindi)

कृषि उत्पादन में वृद्धि करने हेतु रासायनिक उर्वरकों जैसे यूरिया, पोटाश, डाइमोनियम फास्फेट आदि का उपयोग किया जाता है. ये उर्वरक जल के साथ बहकर जलाशयों में आ जाते है. इस कारण शैवाल ब्लूम (algal bloom) बनते है.

जल प्रदूषण के रूप में पीडकनाशी व कीटनाशक (Pidicidal and pesticide in the form of water pollution In Hindi)

फसल के रोगाणुओं व कीटों का नाश करने हेतु पीड़कनाशीयों व कीटनाशकों का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है. पीड़क नाशक ddt का उपयोग कृषि में नाशक जीवों को नष्ट करने व मच्छरों का नाश करने में किया जाता है. इसका अधिक उपयोग अब एक गंभीर मृदा एवं जल प्रदूषण का कारण बन गया है.

ये सभी अविघनीय कार्बिनिक यौगिक है. इसके लगातार उपयोग से मृदा व जल में इनकी सांद्रता बढती जाती है. ये रसायन जैविक आवर्धन (biological magnification) भी प्रदर्शित करते है.

इन हानिकारक रसायनों की सांद्रता उतरोतर पोषकस्तरों में बढ़ती जाती है. जब पादप शरीर में ddt की सांद्रता बढ़ती जाती है तब इन पर निर्भर शाकाहारी कीटों मछलियों द्वारा इन पादपों का भक्षण, इन उपभोक्ताओं में ddt की सांद्रता को और अधिक बढ़ा देते है.

इसी क्रम में खाद्य श्रंखला के अंतिम मासाहारी उपभोक्ताओं में DDT की सांद्र्ट्स की वृद्धि होना हानिप्रद हो जाता है. मानव द्वारा मच्छलियों को खाने से उनका स्वास्थ्य गम्भीर रूप से प्रभावित होता है.

प्रदूषित जल पीने योग्य नही होता है. इसमें प्राय एक विशिष्ट प्रकार की दुर्गन्ध आती है. यह नहाने धोने के लिए उपयुक्त नही होता है. इसमें अनेक रोगों (टाइफाइड, हैजा व पीलिया ) के रोगाणु होते है. ये प्रदूषित जल पीने से रोग फैलते है.

सागरीय जल का प्रदूषण (Pollution of sea water)

सागरीय जल का प्रदूषण निम्न कारणों से होता है.

  • सागर के तटवर्ती भागो में नगरीय एवं औद्योगिक प्रतिष्ठानों से अपशिष्ट जल, मलजल, कचरा तथा विषाक्त रसायनों का विसर्जन.
  • ठोस अपशिष्ट पदार्थों खासकर प्लास्टिक की वस्तुओं का सागरों में निस्तरण.
  • तेल वाहक जलयानों से भारी मात्रा में खनिज तेल का रिसाव तथा अपतट सागरीय तेल कुंपो से निसंतत प्रदूषण. खनिज तेल के रिसाव से सागरीय जल की सतह पर तेल की परत (oil slicks) बन जाती है. जो सागरीय जीवों को नष्ट कर देती है.
  • भारी धात्विक पदार्थों यथा सीसा, तांबा, जस्ता, क्रोमियम व निकल आदि का वायुमंडलीय मार्ग से सागरों में पहुचना. जलयानों तथा नाभिकीय शस्त्रों के परीक्षण से निकलकर सागरों में पहुचना आदि.

सागरीय जल प्रदूषण को रोकने के उपाय ( Can Do To Reduce Water Pollution)

सागरीय जल को विश्व समुदाय की ओर से प्रदूषण मुक्त रखने के लिए प्रभावी उपाय जरुरी है. यदि प्रदूषकों के सागरों में विसर्जन एवं निस्तारण पर पूर्ण रोक संभव नही है तो कम से कम उसकी न्यूनतम मात्रा तो निर्धारित होनी चाहिए.

इस सन्दर्भ में कई कानून भी बनाए गये है. यथा उच्च सागर के कानून, महाद्वीपीय मग्न तट कानून आदि. लेकिन ये कानून पर्याप्त नही है.

गहरे सागरों के विदोहन, सागरों के सामरिक और सैनिक उपयोग, वैज्ञानिक शोध आदि से सम्बन्धित कानून तथा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है. सागरीय जैविक प्रक्रिया के अध्ययन के लिए गहन एवं व्यापक पारिस्थतिकीय शोध की अति आवश्यकता है.

जल प्रदूषण का प्रभाव (impact of water pollution on human health)

  • पारे द्वारा प्रदूषित जल के उपयोग से मिनिमाटा रोग हो जाता है.
  • पेयजल में नाइट्रेड की अत्यधिक मात्रा मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. तथा इससे नवजात शिशुओं की म्रत्यु भी हो जाती है. नाइट्रेड के कारण ब्लू बेबी सिंड्रोम नामक बीमारी हो जाती है.
  • पेयजल में फ्लोराइड की अत्यधिक मात्रा से दांतों में विकृति आ जाती है.
  • जल में आर्सेनिक होने से ब्लैकफुट बीमारी हो जाती है. आर्सेनिक से डायरिया, पेरिफेरल, फेफड़े व त्वचा का कैंसर हो जाता है.
  • प्रदूषित जल से मानव की खाद्य श्रंखला प्रभावित होती है.
  • मछुआरों की आजीविका व स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है.

जल प्रदूषण पर नियंत्रण, रोकने के उपाय (Control over water pollution in hindi)

निम्नलिखित उपाय जल प्रदूषण के नियंत्रण हेतु कारगर हो सकते है.

  • मानव समुदाय को जल प्रदूषण के विभिन्न पक्षों के विषय में चेतना तथा जन जागरण कराना होगा तथा जल प्रदूषण का सही बोध कराना होगा.
  • आम जनता को जल प्रदूषण एवं उससे उत्पन्न कुप्रभावों के बारे में शिक्षित करना होगा.
  • आम जनता को घरेलू अपशिष्ट प्रबन्धन में दक्ष करना होगा.
  • औद्योगिक प्रतिष्ठान हेतु स्पष्ट नियम बनाए जाए, जिससे वें कारखानों से निकले अपशिष्टों को बिना शोधित किये नदियों, झीलों या तालाबों में विसर्जित ना करे.
  • नगरपालिकाओं के लिए सीवर शोधन सयंत्रों की स्थापना कराई जानी चाहिए तथा सम्बन्धित सरकार को प्रदूषण नियंत्रण की योजनाओं के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन के लिए आवश्यक धन तथा अन्य साधन प्रदान किये जाएं.
  • नियमों एवं कानूनों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए. तथा इनके उल्लघन करने पर कठोर सजा एवं अर्थ दंड मिलना चाहिए.

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जल–प्रदूषण पर अनुच्छेद | Paragraph on Water Pollution in Hindi

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जल–प्रदूषण पर अनुच्छेद | Paragraph on Water Pollution in Hindi!

जल को जीवन माना जाता है । जल क अभाव में जीव – समुदाय जीवित नहीं रह पाएगा । जल का उपयोग हम पीने, नहाने, सिंचाई करन तथा साफ-सफाई में करते हैं । इन कार्यों के लिए हमें स्वच्छ जल की आवश्यकता होती है । लेकिन इन दिनों हमारे उपयोग का जल प्रदूषित हो गया है । जल में अनेक प्रकार के गंदे तत्व घुल-मिल गए हैं । नालों का गंदगी, प्लास्टिक, सड़े – गले पदार्थ, कीटाणुनाशक आदि मिलने से जल की गुणवत्ता में बहुत कमी आ गई है । गंदे – जल में हानिकारक कीटाणु होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य को क्षति पहुंचाते हैं । अत: हमे जल को प्रदूषित नहीं करना चाहिए । जल के भंडारों में ऐसा कोई पदार्थ नहीं छोड़ना चाहिए जिससे यह गंदा होता हो । नदियों की सफाई पर पूरा ध्यान देना चाहिए । जल – प्रदूषण के प्रति सामाजिक जागरूकता फैलानी चाहिए । जल को अमृत कहा गया है इसलिए इसकी स्वच्छता को बनाए रखना हमारा – कर्त्तव्य है ।

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जल ही जीवन है या पानी के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती जैसी ये पंक्तियाँ हमने कई बार सुनी हैं, पढ़ी हैं और जल प्रदूषण पर निबंध लिखते समय इनका इस्तेमाल भी किया है। लेकिन सवाल ये है कि क्या अब तक हम इन पंक्तियों का सही अर्थ समझ पाए हैं। अगर समझ गए हैं, तो फिर क्यों आज भी भारत में माता के समान पूजी जानें वाली सबसे पवित्र नदी गंगा या बाकी नदियाँ प्रदूषित होती जा रही हैं। अगर जल से ही इस सृष्टि का उद्भव हुआ है और जल पीकर ही सभी प्राणी जीवित हैं, तो फिर क्यों भूतल से जल का स्तर कम होता जा रहा है। क्यों नदियाँ सूखती जा रही हैं और हमें पीने के लिए स्वच्छ जल प्राप्त नहीं हो पा रहा है। जल प्रकृति का वो बहुमूल्य धन है जिसकी रक्षा और उपयोग हमें भावी पीढ़ी के लिए भी सोचते हुए करना है।

यह बात एकदम सही है कि अगर पृथ्वी पर जल ही नहीं होगा, तो जल के बिना सारे जगत में सब कुछ सूना-सूना हो जाएगा। जगत के सभी लोगों के लिए जल वो अनुपम धन है जिसे पीकर इस धरती पर सभी प्राणी, पशु-पक्षी और पेड़-पौधे जीवित हैं। प्राकृतिक चीज़ों जैसे- नदी, नहर, झील, सरोवर और समुद्र का सौंदर्य भी जल से ही जीवित है। यदि इन्हें जल ही नहीं मिलेगा, तो फिर इनकी सुंदरता का कोई अर्थ नहीं बचेगा।

अगर हम इनकी सुंदरता को खोना नहीं चाहते, तो सबसे पहले हमें अपने जल को प्रदूषण से मुक्त कराना होगा। जल इस प्रकृति का वो सौन्दर्य रूप है, जिससे अन्न, फल, फूल और उपवन खिलते हैं, बादलों से अमृत के समान बरसात होती है और जल को बचाकर तथा इसका संरक्षण करके ही हम उसका सही इस्तेमाल कर सकते हैं। यदि समय रहते इस बढ़ते हुए जल प्रदूषण की समस्या की ओर हमने ध्यान नहीं दिया, तो एक दिन ऐसा आएगा जब पूरा देश जल संकट का सामना कर रहा होगा।

जल प्रदूषण का अर्थ 

जल प्रदूषण की समस्या को जानने से पहले हमें जल प्रदूषण का अर्थ समझना बहुत ज़रूरी है। जब पानी के विभिन्न स्रोत जैसे नदी, झील, कुआँ, तालाब, समुद्र आदि में दूषित तत्व आकर मिल जाएं, तो उस स्थिति को हम जल प्रदूषण कहते हैं। यह दूषित और जहरीले तत्व प्राकृतिक और मानवीय कारणों की वजह से जल में जाकर मिल जाते हैं और जल को प्रदूषित बनाते हैं, जिस वजह से जल अपना प्राकृतिक गुण खो देता है। आसान शब्दों में इसे ऐसे समझा जा सकता है कि जब हम किसी भी प्रकार के कचरे को सीधा जल में फैंक देते हैं, तो वह जल प्रदूषण पैदा करता है।

जल प्रदूषण क्या है?

अब हम जानते हैं कि जल प्रदूषण क्या है? ऐसे बाहरी पदार्थ जो जल में जाकर मिल जाते हैं और जल के प्राकृतिक गुणों को ऐसे परिवर्तित कर देते हैं कि फिर वो जल न तो पीने लायक रहता है और न ही हमारे किसी दूसरे काम का रहता है। इस तरह का जल हमारे स्वास्थ पर भी हानिकारक प्रभाव डालता है।

प्रदूषित जल की उपयोगिता पहले से कम होने के कारण वह कम उपयोगी हो जाता है, इसी को हम जल प्रदूषण कहते हैं। जल प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या सबसे ज्यादा विकसित देशों में देखने को मिलती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पीने के पानी का PH लेवल 7 से 8.5 के बीच होना चाहिए। अगर देखा जाए, तो पानी में खुद ही साफ होने की क्षमता अधिक होती है, परंतु जब ज़रूरत से ज्यादा मात्रा में प्रदूषण पानी में घुल जाता है, तो फिर जल प्रदूषण होने लगता है।

जल प्रदूषण तब होता है जब जल में जानवरों का मल, जहरीले औद्योगिक रसायन, घरों और कारखानों का कचरा, कृषि अपशिष्ट, तेल और तपिश जैसे पदार्थ जाकर मिल जाते हैं। इसी वजह से हमारे प्राकृतिक जल स्त्रोत जैसे झील, नदी, समुद्र, भूमिगत जल स्रोत आदि प्रदूषण का शिकार बन रहे हैं, जिसका मनुष्य और अन्य जीवों पर गंभीर और घातक प्रभाव पड़ रहा है।

जल प्रदूषण की परिभाषा 

जल प्रदूषण की समस्या पर अलग-अलग विचारकों और वैज्ञानिकों ने अपने-अपने शब्दों में परिभाषा दी है और अपने मत प्रस्तुत किए हैं। उन्हीं में से कुछ परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं, जैसे-

सी.एस. साउथविक् के अनुसार, “जब प्राकृतिक जल के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणों में मानव एवं प्राकृतिक क्रियाओं द्वारा परिवर्तन होता है, तो उसे जल प्रदूषण कहते हैं।”

प्रो. गिलपिन के अनुसार, “मानवीय क्रियाओं से जब जल की भौतिक, जैविक एवं रासायनिक विशिष्टताओं में ह्रास हो रहा हो, तो उसे जल प्रदूषण कहते हैं।”

जल प्रदूषण के कारण 

जल प्रदूषण के मुख्य दो स्रोत होते हैं: 1. प्राकृतिक और 2. मानवीय।

  • जल प्रदूषण के प्राकृतिक स्रोत- जल में प्राकृतिक रूप से प्रदूषण कई अलग-अलग कारणों से होता है। खनिज पदार्थ, पौधों की पत्तियों, ह्यूमस पदार्थ, मनुष्य और जानवरों का मल-मूत्र आदि जब जल में जाकर मिल जाता है, तो प्राकृतिक रूप से जल प्रदूषण होता है। जब जल किसी जमीन पर जमा रहता है और उस जमीन में खनिज पदार्थ की मात्रा ज़्यादा हो जाती है, तो वह खनिज फिर उस जल में मिल जाते हैं, जिसे जहरीले पदार्थ कहते हैं। यदि यह ज्यादा मात्रा में होते हैं, तो ये बहुत ही घातक और खतरनाक साबित हो सकते हैं। इसके अलावा निकिल, बेरियम, बेरीलियम, कोबाल्ट, माॅलिब्डेनम, टिन, वैनेडियम आदि पदार्थ भी जल में प्राकृतिक रूप से थोड़ा-थोड़ा मिल जाते हैं।
  • जल प्रदूषण के मानवीय स्रोत- जो अलग-अलग क्रियाएँ या गतिविधियाँ मनुष्य द्वारा की जाती हैं उससे कूड़ा-करकट, गंदा पानी और अन्य तरह के अपशिष्ट पदार्थ जल में जाकर मिल जाते हैं। इन पदार्थों के मिलने की वजह से जल प्रदूषित होने लगता है। ऐसे अपशिष्ट पदार्थ विभिन्न रूप में पैदा हो जाते हैं, जैसे घरेलू कचरा, मनुष्य का मल, औद्योगिक पदार्थ, कृषि पदार्थ आदि। प्राकृतिक स्रोतों से ज्यादा मानवीय स्रोत जल प्रदूषण का मुख्य कारण हैं।

जल प्रदूषण के प्रकार 

जल प्रदूषण के मुख्य तीन प्रकार हमारे सामने आते हैं, जिनके नाम निम्नलिखित हैं-

  • भौतिक जल प्रदूषण- जब भौतिक जल प्रदूषण होता है, तो उसकी वजह से जो जल की गन्ध होती है, स्वाद होता है और ऊष्मीय गुण होते हैं उनमें बदलाव हो जाता है।
  • रासायनिक जल प्रदूषण- जब रासायनिक जल प्रदूषण होता है, तो उसके कारण जल में अलग-अलग तरह के कई उद्योगों और अन्य स्रोतों से रासायनिक पदार्थ आकर मिल जाते हैं, जिस वजह से रासायनिक जल प्रदूषण होता है।
  • जैविक जल प्रदूषण- जब जल में अलग-अलग तरह के रोग पैदा करने वाले जीव प्रवेश करते हैं और जल को इतना दूषित कर देते हैं कि वह जल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो जाता है, वो ही जैविक जल प्रदूषण कहलाता है।

जल प्रदूषण के प्रभाव 

जल प्रदूषण होने से हमारे सामने विभिन्न तरह के घातक परिणाम सामने आते हैं। अगर हम प्रदूषित जल पीते हैं, तो यह हमारे शरीर में अलग-अलग प्रकार की बीमारियाँ पैदा करेगा। पहले तो दूषित जल की वजह से गंभीर बीमारियों से सिर्फ गांव के लोग ही प्रभावित हो रहे थे लेकिन आज आलम ये है कि शहर के शहर भी इसकी चपेट में आते जा रहे हैं। यदि हम गलती से भी प्रदूषित जल का इस्तेमाल कर लेते हैं, तो इससे हमारे शरीर में अलग-अलग तरह की परेशानियाँ होना शुरू हो जाती हैं। शरीर की त्वचा खराब होने लग जाती है, जीन से जुड़ी बीमारी होने लग जाती है, मनुष्य शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर होने लग जाता है और कभी-कभी तो उसकी मृत्यु तक भी हो जाती है।

जल प्रदूषण का प्रभाव मनुष्य के साथ-साथ जानवरों, पक्षियों और वनों पर भी देखने को मिल रहा है। प्रदूषित तत्वों के जल में मिलने की वजह से भारी मात्रा में जानवरों और पानी में रहने वाले जीवों की मौत के आंकड़े हर साल बढ़ते जा रहे हैं। जल में निवास करने वाली मछलियों के मरने से मछुआरों को अपना पेट पालना मुश्किल होता जा रहा है। उनकी आय का स्रोत खत्म होता जा रहा है।

इसके अलावा जल प्रदूषण का दुष्प्रभाव किसानों की आजीविका पर भी पड़ रहा है क्योंकि दूषित जल से कृषि योग्य भूमि नष्ट होती जा रही है, वन खत्म होते जा रहे हैं, जोकि एक गंभीर समस्या है। जब प्रदूषित जल किसी भी तरह की कृषि पैदा करने वाली भूमि पर से होकर गुजरता है, तो वह उस भूमि की उर्वरता को पूरी तरह से नष्ट कर देता है। अगर एक बार किसी कृषि भूमि की उर्वरता नष्ट हो जाती है, तो उसे फिर से उपजाऊ बनाना बहुत मुश्किल होता है।

अगर कोई किसान प्रदूषित जल से अपने खेतों की सिंचाई कर देता है, तो उसका दुष्प्रभाव उसे अपनी कृषि पर झेलना पड़ता है। इसकी वजह ये है कि जब गंदा जल सिंचाई के इस्तेमाल में लिया जाता है, तो भूमि पर ऐसे धातुओं के अंश मिल जाते हैं जो कृषि उत्पादन की क्षमता को कम कर देते हैं। जल प्रदूषण से पृथ्वी का पूरा चक्र ही बिगड़ जाता है।

जल प्रदूषण समस्या 

वर्तमान समय में जल प्रदूषण की समस्या बहुत बड़ी समस्या बनकर हमारे सामने खड़ी है। जिन नदियों, तालाबों और नहरों का पानी पीकर हम जिंदा रहते हैं, वो जल ही आज हमें गंभीर रूप से बीमार कर रहा है। गांवों और शहरों में करोड़ों लोग पीने के पानी की समस्या को झेल रहे हैं। जब कभी हमारे देश के वैज्ञानिक समुद्रों में परमाणु परीक्षण करते हैं, तो उस परीक्षण से समुद्र में ऐसे कण और पदार्थ मिले जाते हैं जो समुद्री जीवों, वनस्पतियों और हमारे पर्यावरण पर बुरा असर डालते हैं। इससे पृथ्वी का पर्यावरण पूरी तरह से असंतुलित हो जाता है।

कारखानों और बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ, रासायनिक तत्व और गर्म जल जब नदी या समुद्र में जाकर मिल जाते हैं, तो वह जल प्रदूषण को तो बढ़ाते ही हैं लेकिन वह पर्यावरण में गर्मी भी पैदा करते हैं। वातावरण गर्म होने की वजह से जीव-जंतु, पेड़-पौधे और वनस्पतियों की मात्रा घटने लग जाती है और इसकी वजह से जलीय पर्यावरण का संतुलन भी बिगड़ने लगता है। ऐसे ही यदि जल प्रदूषण बढ़ता रहा, तो वो दिन दूर नहीं जब पृथ्वी पर स्वच्छ जल के लिए लोगों को तरसना पड़ जाएगा। थोड़ा सा भी जल प्रदूषण बहुत बड़ी मात्रा में हम सभी के जीवन को प्रभावित करता है।

आज के आधुनिक युग में जल प्रदूषण किसी एक इंसान को नहीं बल्कि समूचे संसार को प्रभावित करने पर तुला हुआ है। जल प्रदूषण का प्रभाव भयंकर रूप से पूरे राष्ट्र के स्वास्थ्य के लिये एक गंभीर खतरा बनता जा रहा है। हमारे देश में होने वाली दो तिहाई बीमारियों का कारण प्रदूषित जल है। नवजात शिशु से लेकर बड़े बुज़ुर्ग तक जल प्रदूषण का प्रभाव उनके स्वास्थ्य के लिए बेहद ही हानिकारक है।

जल प्रदूषण से होने वाली बीमारियां  

जल प्रदूषण के लगातार बढ़ने से पूरी दुनिया में तरह-तरह की बीमारियाँ और महामारियाँ भी दिन-पर-दिन बढ़ती जा रही हैं। कई ऐसी गंभीर और खतरनाक बीमारियां हैं जिसके कारण लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। ये बीमारियाँ मनुष्य के साथ-साथ पशु-पक्षियों को भी अपना शिकार बना रही हैं। उनके स्वास्थ्य पर इनका बुरा असर पड़ रहा है। जल प्रदूषण से होने वाली बीमारियों में शामिल हैं टाईफाइड, पीलिया, हैजा, गैस्ट्रिक, चर्म रोग, पेट रोग, दस्त, उल्टी, बुखार आदि। इन बीमारियों का गर्मी और बरसात के मौसम में फैलने का खतरा और भी ज़्यादा बढ़ जाता है। इन बीमारियों से बचने के लिए आप नीचे बताए गए उपायों का पालन ज़रूर करें।

जल प्रदूषण से बचने के उपाय

जल प्रदूषण की समस्या से बचने के लिए और उसको कम करने के लिए हमें अपने-अपने स्तर पर हर संभव उपायों का पालन ज़रूर करना चाहिए, जैसे-

  • हमें अपने घर और गली-मोहल्लों के नालों और नालियों की नियमित रूप से साफ-सफाई करवानी चाहिए।
  • जल निकास के लिए पक्की नालियों की समुचित व्यवस्था करवानी चाहिए।
  • जो मल, घरेलू पदार्थ और कूड़ा-कचरा जमा हो जाता है, उसे जल्द से जल्द दूर किया जाना चाहिए।
  • प्रदूषित जल को साफ बनाने के लिए लगातार अनुसंधान और बदलाव किए जाने चाहिए।
  • नदियों, कुओं, तालाबों आदि में कपडे़ धोने, अंदर घुसकर पानी लेने, पशुओं को नहलाने, मनुष्य के नहाने, बर्तनों को साफ करने जैसी क्रियाओं पर पूर्ण रूप से रोक लगा देनी चाहिए।  
  • कुओं, तालाबों और अन्य जल स्त्रोतों से मिलने वाले जल में समय-समय पर ऐसी दवा डाली जाए जिससे उसकी उपयोगिकता बढ़ जाए। 
  • जल प्रदूषण जैसी समस्या के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा की जाए। लोगों तक इसके कारणों, दुष्प्रभावों और रोकथाम के बारे में हर जानकारी पहुँचाई जाए।
  • लोगों को पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरणीय शिक्षा दी जाए।
  • सरकार द्वारा समय-समय पर तालाबों, नदियों, नालों आदि अन्य जल स्त्रोतों की नियमित रूप से जाँच, परीक्षण, साफ-सफाई और सुरक्षा करवाई जाए।
  • विभिन्न जनसंचार के माध्यमों द्वारा प्रचार-प्रसार करते हुए जल प्रदूषण से होने वाले नुकसान के बारे में सभी लोगों को बताया जाए।

जल प्रदूषण के निवारण

जल प्रदूषण का पूरी तरह से निवारण हम सभी को मिलकर करना होगा। इसके अलावा जल प्रदूषण के निवारण के लिए केंद्रीय बोर्ड का गठन केंद्रीय सरकार द्वारा जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम, 1974 की धारा 3 के तहत किया जाता है। जल प्रदूषण की गंभीर समस्याओं और घातक परिणामों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार द्वारा जल-प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम की स्थापना सन् 1974 में की गई थी। इसके बाद एक और जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम सन् 1975 स्थापित किया गया। जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियमों में सरकार द्वारा समय-समय पर कई संशोधन और बदलाव किए गए जिनका उद्देश्य जल की गुणवत्ता में सुधार करते हुए उसे उपयोगी बनाना है।

निष्कर्ष 

जितनी तेजी से जल प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है, उतनी ही तेजी से जल प्रदूषण का दुष्प्रभाव हमारे दैनिक जीवन पर पड़ रहा है। इसीलिए अब हम सभी को जागरूक होना होगा और अधिक-से-अधिक संख्या में आगे आकर जल प्रदूषण को खत्म करने के लिए काम करना होगा। ये प्रत्येक नागरिक का दायित्व है कि वह जल प्रदूषण से पृथ्वी को बचाने में अपना योगदान दे और दूसरों को बदलने से पहले वह अपने अंदर बदलाव लाए।

यह निबंध भी पढ़ें-

  • पर्यावरण पर निबंध
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध
  • वायु प्रदूषण पर निबंध
  • पेड़ बचाओ पर निबंध

जल प्रदूषण पर सम्बंधित FAQs

प्रश्न- जल प्रदूषण कैसे होता है?

उत्तर- जल प्रदूषण होने के मुख्य दो कारण होते हैं, पहला प्राकृतिक कारण और दूसरा मानवीय कारण। इसके अलावा जल में अलग-अलग तरह के हानिकारक पदार्थों के मिलने से भी जल प्रदूषण होता है।

प्रश्न- जल प्रदूषण क्या है जल प्रदूषण से होने वाली हानियां?

उत्तर- जल प्रदूषण से इंसान ही नहीं बल्कि जानवर भी प्रभावित होते हैं। प्रदूषित जल ना तो पीया जाता है और ना ही कृषि तथा उद्योगों के लिए उपयुक्त होता है। यह झीलों और नदियों की सुंदरता को भी कम करता है।

प्रश्न- जल प्रदूषण के स्रोत क्या है?

उत्तर- जहरीले पदार्थ, खनिज पदार्थ, पौधों की पत्तियों, ह्यूमस पदार्थ, मनुष्य और जानवरों का मल-मूत्र आदि जल प्रदूषण के मुख्य स्रोत हैं।

प्रश्न- जल प्रदूषण क्या है इसके बचाव के उपाय लिखिए?

उत्तर- जल प्रदूषण से बचने के लिए हमें नालों, कुओं, तालाबों और नदियों की समय-समय पर सफाई करवानी चाहिए और उन्हें गंदा नहीं करना चाहिए। इसके अलावा जल प्रदूषण से जुड़े सभी कानूनों का पालन करना चाहिए।

प्रश्न- जल प्रदूषण से कौन-कौन सी बीमारियां होती हैं?

उत्तर- जल प्रदूषण से हमें आमतौर पर लूज मोशन, डायरिया, डिसेंट्री, उल्टियां आदि जैसी कई गंभीर बीमारियां हो जाती हैं।

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जल प्रदूषण पर निबंध-Essay On Water Pollution In Hindi (100, 200, 300, 400, 500, 700, 1000 Words)

जल प्रदूषण पर निबंध-essay on water pollution in hindi.

essay on water pollution in hindi short

जल प्रदूषण पर निबंध 1 (100 शब्द)

धरती पर जीवन के लिये जल सबसे ज़रुरी वस्तु है। यहाँ किसी भी प्रकार के जीवन और उसके अस्तित्व को ये संभव बनाता है। जीव मंडल में पारिस्थितिकी संतुलन को ये बनाये रखता है।

पीने, नहाने, ऊर्जा उत्पादन, फसलों की सिंचाई, सीवेज़ के निपटान, उत्पादन प्रक्रिया आदि बहुत उद्देश्यों को पूरा करने के लिये स्वच्छ जल बहुत ज़रुरी है। बढ़ती जनसंख्या के कारण तेज औद्योगिकीकरण और अनियोजित शहरीकरण बढ़ रहा है जो बड़े और छोटे पानी के स्रोतों में ढेर सारा कचरा छोड़ रहें हैं जो अंतत: पानी की गुणवत्ता को गिरा रहा है।

जल प्रदूषण पर निबंध 2 (200 शब्द)

जल पर्यावरण का एक अभिन्न अंग होता है। पानी हमारे जीवन का एक बहुत ही जरूरी श्रोत होता है इसी वजह से कहा जाता है कि जल ही जीवन है। जल के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। जल मनुष्य की मुलभुत आवश्यकताओं में से ही एक होता है।

पिछले दो सौ सालों की वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति ने मनुष्य का जीवन बहुत सुविधाजनक बना दिया है। औद्योगिक क्रांति की वजह से करोड़ों लोगों का जीवन खुशहाल बना गया है। नई-नई दवाईयों की खोज की वजह से मनुष्य की उम्र लंबी होती जा रही है और मृत्यु दर कम होती जा रही है।

इस प्रकार हमे पता चलता है कि इस मशीनी युग ने हमें बहुत कुछ दिया है। लेकिन अगर हम अपने आस-पास के वातावरण को देखते हैं तो हमें पता चलता है कि यह प्रगति ही हमारे जीवन में जहर घोल रही है। इस जहर का एक रूप चारों तरफ फैला हुआ प्रदुषण भी है।

जहाँ पर पानी दूषित हो जाता है वहाँ का जीवन भी संकट में पड़ जाता है। गंगा नदी को बहुत पवित्र माना जाता था और उसमे जो भी स्नान कर लेता था उसे पवित्र माना जाता था लेकिन वही गंगा नदी आज कारखानों से निकलने वाले कचरे की वजह से दूषित हो गई है। लेकिन भारत सरकार ने गंगा की स्वच्छता के लिए कानूनों को लागू किया है।

जल प्रदूषण पर निबंध 3 (300 शब्द)

भूमिका : जल में किसी बाहरी पदार्थ की उपस्थिति जो जल के प्राकृतिक गुणों को इस प्रकार बदल दे की जल स्वास्थ के लिए हानिकारक हो जाए या उसकी उपयोगिता कम हो जाए, तो उसे जल प्रदूषण कहते है|

जल प्रदूषण की परेशानी सबसे अधिक विकसित देशों में होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पिने के पानी का PH 7 से 8.5 के मध्य होना चाहिए। जीवन पानी पर निर्भर करता है। मनुष्य एवं जानवरो के लिए पीने के पानी के स्त्रोत नदियाँ, झीले, नलकूप आदि हैं।

जल प्रदूषण का अर्थ : जल का तेजी से अशुद्ध होना ही जल प्रदूषण कहलाता है। जल प्रदूषण ज्यादातर उद्योग धंधे एवं रासायनिक पदार्थों के द्वारा निकले गंदे पदार्थ या कचरों के द्वारा होता है। मेरी हम बात करें जल प्रदूषण के बारे में, तो जल प्रदूषण एक ऐसी स्थिति है, जिसमें पीने योग्य जल भी गंदे होते जा रहे हैं और पृथ्वी पर जल की मात्रा कम होती जा रही है।

पृथ्वी पर जल की मात्रा कम होने का यह अर्थ नहीं है, कि पृथ्वी से जल ही समाप्त हो जाएगा, बल्कि इसका अर्थ यह है, कि पृथ्वी पर पीने योग्य जल नहीं रह जाएगा।

उपसंहार :  पानी के लाभ अद्वितीय हैं. धीरे-धीरे दुनिया पर साफ पानी का परिमाण घटता जा रहा है. इससे मानव सभ्यता के भविष्य के लिए संकट पैदा हो गया है। इसलिए जल संरक्षण और प्रदूषण की रोकथाम के क्षेत्र में सामूहिक कार्रवाई अपरिहार्य है. जल प्रदूषण के खतरों से सभी को अवगत होना चाहिए।

जल प्रदूषण पर निबंध 4 (400 शब्द)

भूमिका : जल पर्यावरण का एक अभिन्न अंग होता है। पानी हमारे जीवन का एक बहुत ही जरूरी श्रोत होता है इसी वजह से कहा जाता है कि जल ही जीवन है। जल के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। जल मनुष्य की मुलभुत आवश्यकताओं में से ही एक होता है।

जल प्रदूषण का समाधान :  हमारी सरकार को जल प्रदूषण को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिएँ। कूड़े-कचरे और प्लास्टिक को समुद्र में न फेंककर उनको रिसाइकल करके उन्हें ऊर्जा पैदा करने के प्रयोग में लाना होगा। जिन कारखानों से ज्यादा प्रदूषण होता है उन्हें बंद करने के आदेशों को जारी करना होगा। समय-समय पर लाल कुओं में लाल दवाईयों का छिडकाव करना होगा। जो पानी गंदा हो गया है उसे फिल्टर की सहायता से पीने योग्य बनाना होगा। जहाँ पर पानी हो वहाँ पर कूड़े-कचरे को फैलने से रोकना होगा।

जल प्रदूषण की समस्या या प्रभाव :   आधुनिक युग में जल प्रदूषण एक बहुत ही गंभीर समस्या बन चुका है। पहले जो लोग नदियों और तालाबों के पानी को पीकर जीवित रहते थे आज के समय में उस पानी को पीकर लोग कई बिमारियों का शिकार बन जाते हैं। यहाँ तक कि करोड़ों लोग पीने के पानी की समस्या को भी झेलते हैं।

दूषित जल का सेवन करने से मनुष्य को हैजा, पेचिस, क्षय और उदर से संबंधित समस्याओं का समाना करना पड़ता है। मनुष्य के अंदर केवल दूषित जल ही नहीं बल्कि फीताकृमी और गोलाकृमी भी पहुंच जाते हैं जिसकी वजह से मनुष्य रोग ग्रस्त हो जाता है। जब समुद्रों में परमाणु परिक्षण किये जाते हैं तो उस समय समुद्र में कुछ नाभिकीय कण मिले रह जाते हैं जिसकी वजह से समुद्र के जीव और वनस्पतियों के साथ-साथ समुद्र के पर्यावरण का संतुलन भी बिगड़ जाता है।

उपसंहार :  जल प्रदूषण ने आज के समय में आपतकाल का रूप ले लिया है। ऐसी स्थिति में हमें तुरंत ही बहुत बड़े कदम उठाने होंगे। अगर हम भविष्य में पानी के स्त्रोतों को सुरक्षित रखना चाहते हैं और अपने देश के लोगों को पीने के लिए साफ पानी देना चाहते हैं तो हमें इसी समय से इस समस्या को दूर करने के लिए कदम उठाने होंगे। अगर हम इस मामले में देरी करेंगे तो यह और अधिक घातक सिद्ध होगा।

जल प्रदूषण पर निबंध 5 (500 शब्द)

भूमिका : पृथ्वी पर मनुष्य के लिए सबसे आवश्यक चीजों में से एक है, जल। वर्तमान समय में धरती पर जल प्रदूषण लगातार तेजी से वृद्धि कर रहा है। धरती पर लगातार जल प्रदूषण बढ़ने के कारण अनेकों प्रकार की बीमारियां जन्म लेती जा रही हैं।

जल प्रदूषण के कारण सभी जीव जंतु बहुत ही प्रभावित हो रहे हैं, जिसके कारण अनेकों ऐसी जातियां हैं, जोकि विलुप्ती के कगार पर भी पहुंच चुकी हैं। मनुष्य की बढ़ती गतिविधियों के कारण उत्पन्न हो रहे जहरीले प्रदूषक पदार्थों को समुद्रों में ही विसर्जित किया जाता है, जिसके कारण धरती पर पीने योग्य जल केवल 0.01 प्रतिशत ही शेष है।

जल प्रदूषण की रोकथाम :   सरकार को कारखानों और उद्योगों पर कचरे को नदियों में डालने के लिए पाबंदी लगानी चाहिए। जो कचरा शहर से निकलता है उसे भी ठीक से परिमार्जित करे बिना पानी में नहीं डालने देना चाहिए। कृषि में रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग की जगह पर जैविक कृषि को अधिक बढ़ावा देना चाहिए।

लोगों के द्वारा नदी या तालाबों पर कपड़ों को धोने पर पाबंदी लगानी चाहिए। धोबी अपने कपड़ों और बर्तनों को तालाबों में धोते हैं उन्हें बढ़ रहे जल प्रदूषण के प्रति सचेत करना चाहिए। ताकि तालाबों के पानी को सुरक्षित किया जा सके और उसे पीने योग्य बनाया जा सके और उसमें रहने वाले जीव-जंतु भी सुरक्षित रह सकें।

जल प्रदूषण की समस्या या प्रभाव :  आधुनिक युग में जल प्रदूषण एक बहुत ही गंभीर समस्या बन चुका है। पहले जो लोग नदियों और तालाबों के पानी को पीकर जीवित रहते थे आज के समय में उस पानी को पीकर लोग कई बिमारियों का शिकार बन जाते हैं। यहाँ तक कि करोड़ों लोग पीने के पानी की समस्या को भी झेलते हैं।

जल प्रदूषण पर निबंध 6 (700 शब्द)

भूमिका : जल को छोड़कर, कोई जीवन नहीं है, चाहे इंसान हो, जानवर हो या पौधे हर जीवित चीज के लिए जीवन का पहला तत्व है जल। अतीत से, भारतीय जल को जीवन कहा गया है। सभ्यता के विकास के लिए पानी सबसे प्राकृतिक संसाधन है। पानी शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों में से एक है।

यह शरीर की वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. सभ्यता की शुरुआत से, मनुष्य प्राकृतिक शुद्ध पानी का उपयोग भोजन और पेय के रूप में करता था; लेकिन सभ्यता और तेजी से औद्योगीकरण के विकास के साथ, पृथ्वी का जल प्रदूषित होता जा रहा है।

पानी के भौतिक और रासायनिक प्रभाव विभिन्न कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थों के संदूषण से नष्ट हो जाते हैं. नतीजतन, यह अनुपयोगी हो जाता है. इस विधि को जल प्रदूषण कहा जाता है।

जल प्रदूषित से स्रोत :  जल के प्रदूषित होने का सबसे मुख्य स्रोत उद्योग धंधे एवं रासायनिक संश्लेषण है। उद्योग धंधे के कारण जो कुछ भी कचरे के रूप में निकलता है, उसे जल में ही बहा दिया जाता है, जिसके कारण जल प्रदूषण काफी तेजी से फैल रहा है।

ऐसे उद्योगों में होने वाले रासायनिक संश्लेषण के कारण काफी ज्यादा मात्रा में रसायन युक्त कचरी निकलते हैं, जो कि सीधे जल में बहा दिए जाते हैं, जिसके कारण जल प्रदूषण फैलता है। इन सभी के अलावा कृषि संबंधित मैदान, पशुधन चारा, सड़कों पर जमा हुआ जल, समुद्री तूफान इत्यादि भी जल प्रदूषण के कारण हैं।

समस्याएं :  प्रदूषित जल मानव समाज के लिए एक गंभीर खतरा बन गया है. इसके दुष्प्रभाव अकल्पनीय हैं. पानी की प्राकृतिक स्थिति को बदलता है। जब पानी प्रदूषित होता है, तो जलीय जीव मर जाते हैं। दूषित पानी विभिन्न संक्रामक रोगों को फैलाता है। दूषित पानी के इस्तेमाल से मानव और अन्य जानवर संक्रमित हो जाते हैं।

प्रदूषित जल कृषि के लिए अनुपयुक्त है। अम्ल और क्षारीय युक्त प्रदूषित पानी मिट्टी के संपर्क में आने पर इसकी उत्पादकता को कम कर देता है। समुद्री प्रदूषण के वजह से समुद्री जीव मरते हैं।

जल प्रदूषण से होने वाली बीमारियां : जल प्रदूषण के कारण पूरे विश्व में कई प्रकार की बीमारियाँ और लोगों की मौत हो रही है। इसके कारण लगभग प्रतिदिन 14,000 लोगों की मौत हो रही है। इससे मनुष्य, पशु तथा पक्षियों के स्वास्थ्य को खतरा उत्पन्न होता है। इससे टाईफाइड, पीलिया, हैजा, गैस्ट्रिक आदि बीमारियां पैदा होती हैं।

दूषित पानी के सेवन से चर्म रोग, पेट रोग, पीलिया, हैजा, दस्त, उल्टीयां, टाइफाईड बुखार आदि रोग हो सकते हैं। गर्मी व बरसात के दिनों में इनके होने का खतरा ज्यादा होता है।

जल प्रदूषण रोकने के उपाय : जल प्रदूषण पर नियंत्रण हेतु नालों की नियमित रूप से साफ सफाई करना चाहिए। ग्रामीण इलाकों में जल निकास हेतु पक्की नालियों की व्यवस्था नहीं होती है, इस कारण इसका जल कहीं भी अस्त-व्यस्त तरीके से चले जाता है और किसी नदी नहर आदि जैसे स्रोत तक पहुँच जाता है।

इस कारण नालियों को ठीक से बनाना और उसे जल के किसी भी स्रोत से दूर रखने आदि का कार्य भी करना चाहिए। मल, घरेलू त्याज्य पदार्थों एवं कूडे़ कचरे का युक्त वैज्ञानिक परिष्कृत साधनों द्वारा निकास करना चाहिए।

उपसंहार : जल प्रत्येक जीव के लिए अमूल्य सम्पदा है, और जल से ही जीवन है, इसलिए धरती पर जीवन को बचाने के लिए प्रत्येक मनुष्य को जल प्रदूषित होने से बचाना चाहिए। और दूसरों को जल प्रदूषित करने से रोकना चाहिए।

जल प्रदूषण पर निबंध 7 (1000+ शब्द)

प्रदूषण के प्रकार : प्रदूषण कई तरह का होता है – जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि। प्रदूषण सभी प्रकार का घातक होता है लेकिन जल प्रदूषण ने हमारे देश के लोगों को बहुत अधिक प्रभावित किया है। जल प्रदूषण से तात्पर्य होता है नदी, झीलों, तालाबों, भूगर्भ और समुद्र के पानी में ऐसे पदार्थ मिल जाते हैं जो पानी को जीव-जंतुओं और प्राणियों के प्रयोग करने के लिए योग्य नहीं रहता है वह अयोग्य हो जाता है। इसी वजह से हर एक जीवन जो पानी पर आधारित होता है वह बहुत अधिक प्रभावित होता है।

जल प्रदूषण का कारण : जल प्रदूषण का एक सबसे प्रमुख कारण हमारे उद्योग धंधे होते हैं। हमारे उद्योग धंधों, कल-कारखानों के जो रासायनिक कचरा निकलता है उसे सीधे नदियों और तालाबों में छोड़ दिया जाता है। जो कचरा नदियों और तालाबों में छोड़ा जाता है वह बहुत अधिक जहरीला होता है और यह नदियों और तालाबों के पानी को भी जहरीला बना देता है।

नदियों और तालाबों के पानी के दूषित होने की वजह से उसमें रहने वाले जीव-जंतु मर जाते हैं और अगर उस पानी को कोई पशु या मनुष्य पीता है तो पशु मर जाता है और मनुष्य बहुत सी बिमारियों का शिकार बन जाता है। उद्योग धंधों के अलावा बहुत से और कारण हैं जिनकी वजह से जल प्रदूषण होता है।

हमारे शहरों और गांवों से जो कचरा बाहर निकलता है उसे नदियों और तालाबों में फेंक दिया जाता है। आज के समय में लोग खेती में भी रासायनिक उर्वरक और दवाईयों का प्रयोग करते हैं जिसकी वजह से पानी के स्त्रोत बहुत प्रभावित होते हैं। जब नदियों का दूषित पानी समुद्र में जाकर मिलता है तो समुद्र का पानी भी दूषित हो जाता है।

प्लास्टिक के ढेर के अधिक बढने पर उसे समुद्र में फेंक दिया जाता है। कभी-कभी जब दुर्घटना हो जाती है तो जहाजों का ईंधन समुद्र में फैल जाता है जिससे जल प्रदूषण अधिक होता है। यह तेल समुद्र में चारों तरफ फैल जाता है और पानी पर एक परत बना देता है। इसकी वजह से समुद्र में रहने वाले अनेकों जीव-जंतु मर जाते हैं।

जब लोग तालाबों में स्नान करते हैं और उसी में शरीर की गंदगी और मल-मूत्र कर देते हैं तो तालाब का जल दूषित हो जाता है। जब नदियों और नालों का गंदा पानी जल में मिल जाता है तो जल दूषित हो जाता है। जब जल को एक जगह पर इकट्ठा किया जाता है और उसमें कूड़ा-कचरा जाने से भी जल दूषित हो जाता है।

लोग कपड़ों और बर्तनों को घरों पर धोने की जगह पर नदी या तालाबों के आस-पास जाकर धोते हैं जिसकी वजह से साबुन, बर्तन की गंदगी, सर्प का पानी सभी नदी और तालाब के पानी में मिल जाते हैं जिस वजह से पानी दूषित हो जाता है और यही विनाश का कारण बनता है।

कुछ लोग बचे हुए या खराब भोजन को कचरे की थैली में बांधकर उसे पानी में बहा देते हैं जिससे वह नदी या तालाब के पानी में मिलकर उसको दूषित कर देता है। जो लोग नदी या जलाशयों के पास बसे होते हैं वो लोग किसी व्यक्ति की मृत्यु पर उसे जलाने की अपेक्षा उसे पानी में बहा देते हैं और लाश के सड़ने से पानी में विषैले कीटाणुओं की संख्या और अधिक बढ़ जाती है और प्रदूषण को बहुत अधिक मात्रा में बढ़ा दिया जाता है।

हवा में गैस और धूल मौजूद होते हैं और ये सब वर्षा के पानी के साथ मिल जाते हैं और जहाँ-जहाँ पर यह पानी जमा होता है वहाँ पर जल प्रदूषण बढ़ता है। जब जल में परमाणु के परिक्षण किये जाते हैं तो इसमें कुछ नाभिकीय कण मिल जाते हैं जो जल को दूषित कर देते हैं।

जल प्रदूषण की समस्या या प्रभाव : आधुनिक युग में जल प्रदूषण एक बहुत ही गंभीर समस्या बन चुका है। पहले जो लोग नदियों और तालाबों के पानी को पीकर जीवित रहते थे आज के समय में उस पानी को पीकर लोग कई बिमारियों का शिकार बन जाते हैं। यहाँ तक कि करोड़ों लोग पीने के पानी की समस्या को भी झेलते हैं।

जब जलों में कारखानों से अवशिष्ट पदार्थ, गर्म जल मिलता है तो जल प्रदूषण के साथ-साथ वातावरण भी गर्म होता है जिसकी वजह से वहाँ के जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की संख्या कम होने लगती है और जलीय पर्यावरण भी असंतुलित हो जाता है। अगर इसी तरह से जल प्रदूषण होगा तो स्वच्छ जल की आवश्यकता पूर्ति नहीं हो पायेगी।

जल प्रदूषण का समाधान : हमारी सरकार को जल प्रदूषण को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिएँ। कूड़े-कचरे और प्लास्टिक को समुद्र में न फेंककर उनको रिसाइकल करके उन्हें ऊर्जा पैदा करने के प्रयोग में लाना होगा। जिन कारखानों से ज्यादा प्रदूषण होता है उन्हें बंद करने के आदेशों को जारी करना होगा। समय-समय पर लाल कुओं में लाल दवाईयों का छिडकाव करना होगा। जो पानी गंदा हो गया है उसे फिल्टर की सहायता से पीने योग्य बनाना होगा। जहाँ पर पानी हो वहाँ पर कूड़े-कचरे को फैलने से रोकना होगा।

जल प्रदूषण की रोकथाम : सरकार को कारखानों और उद्योगों पर कचरे को नदियों में डालने के लिए पाबंदी लगानी चाहिए। जो कचरा शहर से निकलता है उसे भी ठीक से परिमार्जित करे बिना पानी में नहीं डालने देना चाहिए। कृषि में रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग की जगह पर जैविक कृषि को अधिक बढ़ावा देना चाहिए।

जानवरों को तालाबों में नहाने से रोकना चाहिए क्योंकि तालाब का पानी स्थिर होता है और जानवरों के नहाने की वजह से वह पानी धीरे-धीरे गंदा होने लगता है और फिर किसी भी प्रकार से उपयोगी नहीं रहता है। लोगों को भी नहाने से मना करना चाहिए क्योंकि वे नहाते समय साबुन या शैम्पू का प्रयोग करते हैं जिससे जल प्रदूषण बढ़ता है।

घरों से जो पानी निकलता है उसमें कम-से-कम कैमिकल का प्रयोग करें जिससे कि वह भूमि में जाकर उसे दूषित न कर सके। शहरों, कस्बों और गांवों में कम-से-कम साल में एक बार तालाबों और नदियों को साफ जरुर करना चाहिए और तालाबों के आस-पास के कचरे को हटा देना चाहिए।

कारखानों से निकलने वाले अवशिष्ट पदार्थों के निष्कासन की व्यवस्था होनी चाहिए। इन पदार्थों के निष्पादन के साथ-साथ दोषरहित करने की व्यवस्था भी की जानी चाहिए। समुद्र में होने वाले परमाणु परीक्षणों पर रोक लगानी चाहिए।

उपसंहार : जल प्रदूषण ने आज के समय में आपतकाल का रूप ले लिया है। ऐसी स्थिति में हमें तुरंत ही बहुत बड़े कदम उठाने होंगे। अगर हम भविष्य में पानी के स्त्रोतों को सुरक्षित रखना चाहते हैं और अपने देश के लोगों को पीने के लिए साफ पानी देना चाहते हैं तो हमें इसी समय से इस समस्या को दूर करने के लिए कदम उठाने होंगे। अगर हम इस मामले में देरी करेंगे तो यह और अधिक घातक सिद्ध होगा।

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Essay on water pollution in hindi जल प्रदूषण पर निबंध हिंदी में.

Today we are going to write an essay on water pollution in Hindi जल प्रदूषण पर निबंध। Yes we are going to discuss very important topic i.e essay on water pollution in Hindi. Water pollution essay in Hindi is asked in many exams. The long essay on water pollution in Hindi is defined in more than 200 and 300 words. Learn an essay on water pollution in Hindi and bring better results.

hindiinhindi Essay on Water Pollution in Hindi

Essay on Water Pollution in Hindi 200 Words

मानव जीवन के लिए पानी बहुत ही जरूरी है। पानी के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है। कुछ मानव गतिविधियों और प्राकृतिक घटनाओं के कारण पानी प्रदूषित हो जाता है और पीने के पानी की उपलब्धता कम हो जाती है। जल निकायों में जहरीले पदार्थों के मिश्रण के कारण पानी प्रदूषित हो जाता है और इसे जल प्रदूषण के रूप में जाना जाता है। जल प्रदूषण ही पानी की कमी के लिए मुख्य कारण है। ज्वालामुखी विस्फोट, पानी में काई आदि जैसी प्राकृतिक घटनायें ही जल प्रदूषण का कारण है।

कीटनाशकों का अधिक उपयोग, उधोगों में रसायनों का उपयोग अपशिष्ट गंदे पानी को नदियों में छोडना, ये कुछ मानव गतिविधियाँ है जो जल प्रदूषण की ओर ले जाती है। जल प्रदूषण के कारण लोग कोलरा, टाइफाइड, दस्त और कई अन्य बीमारियों से पीड़ित होते है। जल प्रदूषण को कम किया जा सकता है। अगर हम जल निकायों में निर्वहन से पहले पानी के रासायनिक मुक्त करते है और केवल आवश्यक होने पर पानी का उपयोग करते है। बेहतर भविष्य के लिए पानी को संरक्षित करने की जरूरत है अन्यथा पृथ्वी पर कोई जीवन नही होगा।

Essay on Water Pollution in Hindi 300 Words

जल प्रदूषण की समस्या वास्तव में कोई नई समस्या नहीं है। धरती पर जीवन का सबसे मुख्य स्रोत ताजा पानी है लेकिन धरती पर जल प्रदूषण लगातार एक बढ़ती समस्या बनती जा रही है। जल प्रदूषण सभी के लिये एक गंभीर मुद्दा है जो कई तरीकों से मानव, पशु पंछी, जलीय जीव और भूमि को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। जल प्रदूषक जल की रसायनिक, भौतिक और जैविक विशेषता को बिगाड़ रहा है जो पूरे विश्व में सभी पौड़पौधों, मानव और जानवरों के लिये बहुत खतरनाक है।

जल प्रदूषण के कारण :

जल प्रदूषण दो कारणों से होता है एक प्राकृतिक और दूसरा मानवीय।

1. प्राकृतिक : जिसमें मरे जीवों का जीवाश्म नदी, तालाब और समुद्र में मिल जाना, कार्बनिक पदार्थों का अपक्षय और मृदा अपरदन होने से जल प्रदुषण होता है।

2. मानवीय : इसमें जलीय स्रोतों के आस – पास कल कारखाना लगाना जिससे उससे निकलने वाला कचरा (गंदगी) समद्र, तालाब और नदी में मिल जाना, घरेलु कचरों को नदी या तालाब में फेकॅना, कीटनाशक दवाई का अत्यधिक इस्तेमाल करने से जल प्रदुषण होता है।

जल प्रदुषण से होने वाले नुकसान :

जब हम प्रदूषित पानी पीते हैं तभी खतरनाक रसायन और दूसरे प्रदूषक शरीर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं और हमें नुक्सान पहुंचाते हैं और हमारा जीवन खतरे में डाल देते हैं। दूषित जल पीने से टाइफाइड, पीलिया, अतिशय, एक्जीमा आदि जैसे भयंकर रोग उत्पन्न हो जाते हैं। एसे प्रदूषित जल पशु और पौधों के जीवन को भी बुरी तरह से प्रभावित करते हैं। जल प्रदूषण का दुष्प्रभाव कृषि भूमि पर भी पड़ रहा है। प्रदूषित जल जिस कृषि योग्य भूमि से होकर गुजरता है और उस भूमि की उर्वरता को नष्ट कर देता है।

जल प्रदुषण से बचाव :

जल प्रदूषण से बचने के लिये सभी उद्योगों को मानक नियमों को मानना चाहिये, सुलभ शौचालयों आदि का निर्माण करना चाहिये, नदी एवं तालाब में पशुओं को स्नान कराने पर भी पाबंदी होनी चाहिए, कृषि कार्यों में आवश्यकता से अधिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के प्रयोग को भी कम किया जाना चाहिए, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सख्त कानून बनाने चाहिये ताकि जल प्रदुषण रोका जा सके।

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Water Pollution in Hindi | जल प्रदूषण पर निबंध 1500 शब्दों में

  • by Rohit Soni

Table of Contents

Water Pollution in Hindi, जल प्रदूषण क्या है? कारण, प्रभाव व बचाव के उपाय।

सभी जीव-जन्तुओं की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है जल। मानव स्वास्थ्य के लिए स्वच्छ जल का होना अत्यंत आवश्यक है। मनुष्य के साथ-साथ सभी जीव जंतुओं के लिए स्वच्छ जल का होना नितांत आवश्यक है। क्योंकि इसके बिना जीवन की कल्पना भी नही की जा सकती है। न जाने कितने जीव जन्तु प्रदूषित जल की वजह से बीमार पड़ रहे है और मौत के शिकार हो रहे है।

Water Pollution in Hindi

फिर भी यह सब जानते हुए हम निरंतर जल स्रोतों को प्रदूषित किए जा रहे है। आज हमारे पास स्वच्छ जल के स्रोतों में से नदी, तालाब, कुएँ व झील मौजूद हैं, परंतु हम बिना सोचे-विचारे इन स्रोतों को भी प्रदूषित कर रहे है। हमें मानव सभ्यता को अगर बचाना है तो हमें जल प्रदूषण ( Water Pollution in Hindi) को नियंत्रित करना अत्यंत जरूरी है।

जल प्रदूषण क्या है – What is water pollution?

जीव-जंतुओं और प्राकृतिक आपदाओं के कारण जल में ऐसे हानिकारक तत्व, अपशिष्ट पदार्थ मिलाए जाते है जिससे जल की भौतिक तथा रासायनिक गुणवत्ता में ह्रास होता है। जिसे जल प्रदूषण कहा जाता है। और ऐसे जल जो जीव-जन्तुओं के लिए हानिकारक होते है, ऐसे जल को प्रदूषित जल कहा जाता है। जल प्रदूषण एक वैश्विक समस्या है और आज सभी देश इस समस्या से जूझ रहे हैं। यही नही धीरे-धीरे जल प्रदूषण की समस्या उग्र रूप धारण कर रही है।

जल प्रदूषण के कारण – Causes of water pollution

मानवों द्वारा होने वाले क्रिया-कलापो के परिणामस्वरूप जल प्रदूषित तो हो ही रहा है, परन्तु इसमें खुद प्रकृति का भी योगदान सामिल है। नीचे इनके बारे में बताया गया है-

1. जल प्रदूषण के प्राकृतिक स्रोत

प्राकृतिक रूप से जल प्रदूषण के मुख्य कारण है भू स्खलन के कारण खनिज पदार्थ, पेड़-पौधों की पत्तियों एवं ह्यूमस पदार्थ व जीव-जंतुओं के मल-मूत्र के पानी में मिलने से जल प्रदूषित होता है। इसके अलावा जल जिस जगह पर एकत्रित होता है, यदि उस जगह की भूमि में खनिजो की मात्रा अधिक हो तो वे खनिज जल में मिल जाते हैं। इन खनिजो में आर्सेनिक, सीसा, कैडमियम एवं पारा आदि जो कि विषैले पदार्थ माने जाते है शामिल है। जब इन खनिजो की मात्रा जल में अधिक हो जाती है तो जल हानिकारक या प्रदूषित हो जाता है।

इसके अलावा ज्वालामुखी विस्फोट के कारण उससे जहरीले खनिज पदार्थ निकलते है जो जल स्रोतों में मिल जाने पर जल प्रदूषण का कारण बनते है।

2. जल प्रदूषण के मानवीय स्रोत

मानव की विभिन्न गतिविधियों के कारण कई प्रकार के अपशिष्ट उत्सर्जित होते है जो जल प्रदूषण के मुख्य कारण होते हैं नीचे वर्णित हैं-

1. घरेलू अपशिष्ट : विभिन्न तरह के दैनिक घरेलू क्रिया-कलापो जैसे खाना पकाने, स्नान करने, कपड़ा धोने तथा अन्य साफ-सफाई में कई प्रकार के विषैले पदार्थों का उपयोग किया जाता है। इस प्रकार के सभी घरेलू अपशिष्ट पदार्थ नालियो के माध्यम से बहाकर जल स्रोतो में मिला दिया जाता है। जिससे जल प्रदूषण होता है इस प्रकार के जल में सड़े हुए फल व सब्ज़ियाँ , रसोई घरों से निकलने वाले राख कूड़ा-करकट, प्लाँस्टिक के टुकड़े, अपमार्जक पदार्थ, गंदा पानी तथा अन्य विभिन्न प्रकार के अपशिष्ट पदार्थ शामिल है। जो जल प्रदूषण का मेन कारण बनते हैं।

2. वाहित मल : इस प्रकार के जल प्रदूषण में मल-मूत्र को सामिल किया गया है। वाहित मल में कार्बनिक व अकार्बनिक दोनो तरह के पदार्थ होते हैं। कार्बनिक पदार्थ की अधिकता से कई प्रकार के सूक्ष्मजीव व बैक्टीरिया, वायरस, प्रोटोजोआ तथा कवक व शैवाल इत्यादि तेजी से वृद्धि करते हैं। निरंतर बढ़ती हुई जनसंख्या वृद्धि के कारण मल-मूत्र के भंडारण जल्दी ही भर जाते है। जिसके कारण अब डारेक्ट ही मल-मूत्र को नालियो या गटर में बहा दिया जाता है। जो किसी नदी, तालाब में मिल जाते है जिससे जल प्रदूषण के साथ-साथ वायु में भी दुर्गंध फैलाते है। और कई प्रकार की बीमारियो को जन्म देते हैं।

3. औद्योगिक अपशिष्ट : औद्योगिकीकरण में वृद्धि के कारण विभिन्न प्रकार के कारखानो को स्थापित किया जा रहा है। जिनमें से कई ऐसे होते हैं जो भारी मात्रा में अपशिष्ट पदार्थ उत्सर्जित करते हैं। उद्योगो में उत्पादन के दौरान कई प्रकार के अन उपयोगी कचरा बचता है जिसे औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थ कहा जाता है।

औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थ में मुख्य रूप से अनेक तरह के तत्व, अम्ल, क्षार, लवण, तेल, व वसा इत्यादि विभिन्न प्रकार के रासायनिक विषैले पदार्थ शामिल होते है। जो कि जल को विषैला बना देते हैं। इसके अलावा लुग्दी एवं कागज उद्योग, चीनी उद्योग, कपड़ा उद्योग, चमड़ा उद्योग, शराब उद्योग, औषधि निर्माण उद्योग तथा रासायनिक उद्योगों से भारी मात्रा में अपशिष्ट पदार्थ निकलते हैँ। इन सभी को जल स्रोतो में ही मिला दिया जाता है। और इस प्रकार के अपशिष्ट का अपघटन बैक्टीरीय द्वारा होता है, लेकिन यह प्रकिया काफी मंद होती है परिणाम स्वरूप बदबू पैदा होती है। और जल प्रदूषण होता है।

औद्योगिक अपशिष्ट में आर्सेनिक, सायनाइड, पारा, सीसा, लोहा, ताबा, क्षार एवं अम्ल आदि रासायनिक पदार्थ के जल में मिलने से जल के PH मान में कमी आ जाती है। इसके साथ चर्बी, तेल व ग्रीस मछलियाँ व अन्य जलीय जीव को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते है।

4. रासायनिक उर्वरक व कीटनाशक : फसलो के उत्पादन में वृद्धि करने के लिए रासायनिक उर्वरक तथा फसलो को कीट-पतंगो से बचाने के लिए कीटनाशक दवाओं का ज्यादा मात्रा प्रयोग किया जाने लगा है। जिससे यह रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशक धीरे-धीरे बहकर तालाबो, पोखरो, व नदियो के जल स्रोतो में मिल जाते हैं और जल प्रदूषण का कारण बनते है।

5. रेडियोएक्टिव अपशिष्ट

सभी देश अपनी-अपनी सुरक्षा के लिए कई प्रकार के परमाणु हथियार विकसित करते रहते है। और समय-समय पर नये-नये हथियारों की टेस्टिग भी करते हैं। जिससे रेडियोएक्टिव अपशिष्ट कण वायुमंडल में दूर-दूर तक फैल जाते हैं। और ये विषैले कण धीरे-धीरे धरातल पर गिरते है। फिर यही अपशिष्ट जल स्रोतों तक पहुँच जाते है जिससे जल प्रदूषण होता है।

जल प्रदूषण के प्रभाव – Effects of water pollution

  • प्रदूषित जल पीने से हैजा, पेचिस, क्षय, उदर सम्बंधी आदि विभिन्न घातक रोग उत्पन्न हो जाते है, जिससे स्वास्थ्य पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है।
  • विभिन्न प्रकार के  परुमाणु परीक्षण समुद्र में किए जाने से समुद्री जल में नाभिकीय कण मिल जाते हैं जो कि समुद्री जीवों तथा वनस्पतियों को नष्ट कर देते हैं जिससे समुद्र के पर्यावरण का सन्तुलन बिगड़ जाता है।
  •  जल प्रदूषण के कारण पीने योग्य पानी में निरंतर कमी आ रही है जो कि समूचे प्राणी के लिए खतरा बना हुआ है।
  • कल-कारखानो से निकलने वाले अवशिष्ट पदार्थ, गर्म जल, कैमिकल आदि जल स्रोतों को भारी मात्रा में प्रदूषित करने के साथ-साथ आसपास के वातावरण को भी अधिक गर्म करते है जिससे वहाँ की वनस्पति व जीव-जन्तुओं की संख्या में भारी कमी होती है। यह जलीय पर्यावरण को असंतुलित करता है।
  • कृषि भूमि पर भी जल प्रदूषण का दुष्प्रभाव पड़ रहा है। जिस भूमि से प्रदूषित जल गुजरता है उस भूमि की उर्वरकता को नष्ट कर देता है। तथा प्रदूषित जल से फसलो की सिचाई करने पर अन्न की उत्पादकता में 17 से 30 फीसदी तक कमी आ जाती है।
  • इस प्रकार से जल प्रदूषण के कारण विभिन्न प्रकार के मानव तथा अन्य जीव-जन्तुओं के साथ-साथ वनष्पतिओं में बहुत घातक प्रभाव पड़ता है। और संपूर्ण जल तंत्र अव्यव्यवस्थित हो जाता है।

जल प्रदूषण को रोकने के प्रभावी उपाय

1. कारखानो से निकलने वाले अवशिष्ट पदार्थों को जल में मिलाने से पहले फिल्टर करना चाहिए ताकि उससे हानिकारक पदार्थों को अलग हो जाए। तथा नई टेक्नोलॉजी पर आधारित मशीनों का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि प्रदूषण को कम किया जा सके। इसके अलावा कारख़ानों को जलाशय से दूर स्थापित करना चाहिए।

2. घरेलू क्रिया-कलापो से निकलने वाले अपशिष्ट एवं वाहित मल-मूत्र को एक जगह एकत्रित करके उसे संशोधन यंत्रो द्वारा पूर्ण रूप से विघटित हो जाने पर ही जल स्रोतों में विसर्जत करना चाहिए। साथ स्वच्छ जल भंडारण के स्रोतों जैसे नदी, तालाब आदि में गंदगी के प्रवेश को रोकने के लिए रास्ते में दीवार बनाने का प्रयास करना चाहिए।

3. कृषि में उत्पादन बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरक की जगह जैविक खाद का प्रयोग करना चाहिए। क्योंकि रासायनिक उर्वरक जल प्रदूषण के साथ धीरे-धीरे भूमि को भी बंजर बना देते हैं। इसके साथ जहाँ संभव हो वहाँ पर कीट नाशको का कम प्रयोग करना चाहिए।

4. समुद्रो में होने वाले विभिन्न प्रकार के अंतराष्ट्रीय परमाणु परीक्षणों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।

5. नदी-तालाबो तथा पोखरो में पालतू पशुओं को स्नान कराने पर प्रतिबंध लगाना चाहिए, साथ ही इन जल स्रोतों पर नहाने, कपड़े धोने, और बर्तन साफ करने जैसे क्रिया-कलापो पर भी पाबंदी होनी चाहिए।

6. समय-समय पर प्रदूषित जल स्रोतों को साफ करना चाहिए। पानी में मौजूद जीवाणुओं को नष्ट करने के लिए ब्लीचिंग पाउडर का इस्तेमाल करना चाहिए।

समय-समय पर समाज व जन सामान्य को जल प्रदूषण के खतरे तथा उसे कम करने के उपाय से अवगत कराने के लिए विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए।

धरती पर जीवन को बनाए रखने के लिए जरूरी चीजों में से एक पानी है। इसके अभाव में मानव ही नही बल्कि समस्त जीव-जन्तु तथा वनस्पतियाँ नष्ट हो जाएंगे। और यह हरी-भरी धरती कुछ ही क्षणों में किसी खंडहर में तब्दील हो जाएगी। हमारे धरती पर 75% पानी है जिसमें से केवल 3% पानी ही पीने योग्य है और वह भी लगातार प्रदूषित हो रहा है।  जल प्रदूषण बहुत बड़ी समस्या है जिसकी वजह से लाखों लोग बीमार पड़ रहे हैं और जान गँवा रहे हैं। हमें जल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए।

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essay on water pollution in hindi short

जल प्रदूषण पर निबंध – Essay on Water Pollution

Essay on Water Pollution

जल ही जीवन है, लेकिन जब यह जल ही जहर बन जाए तो जीवन खतरे में पड़ सकता है जी हैं हम बात कर रहे हैं जल प्रदूषण की। जल प्रदूषण (Water Pollution) अब एक ऐसी विकराल समस्या बन चुकी है कि अगर इस पर अभी ध्यान नहीं दिया जाए और इसके रोकथाम के प्रयास नहीं किए गए तो धरती पर रह रहे मनुष्य, जीव-जन्तु और वनस्पति सभी का जीवन गहरे संकट में पड़ सकता है।

इसलिए आग की तरह फैल रही जल प्रदूषण की समस्या को लेकर जागरूक करने के लिए कई जागरूकता प्रोग्राम चलाने की जरूरत है। इसके साथ ही इसके दुष्प्रभावों को सभी के लिए जानना जरूरी है और यह भी जानना जरूरी है कि जल प्रदूषण की समस्या कैसे पैदा हुई, और यह किस तरह मानव जीवन को प्रभावित कर रही है।

इसलिए इसके लिए हम आपको जल प्रदूषण पर निबंध – Essay on Water Pollution उपलब्ध करवा रहे हैं, जो कि आपके लिए उपयोगी साबित हो सकता है –

Essay on Water Pollution in Hindi

जल प्रदूषण पर निबंध – Essay on Water Pollution in Hindi

प्रदूषण यानि कि जब पर्यावरण में कुछ ऐसे दूषित पदार्थों का समावेश हो जाता है, जिससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ जाता है जिससे न ही शुद्ध हवा मिलती है, न शुद्ध जल नसीब होता है और न ही शांत वातावरण मिलता है तो उसे प्रदूषण की संज्ञा दी जाती है।

जल के प्राकृतिक स्त्रोतों जैसें, नदी, झील, समुद्र, तालाब, कुंए, नाले समेत अन्य स्त्रोत जहां से जल प्राप्त होता, उसमें दूषित पदार्थ का मिलना ही जल प्रदूषण है। कारखानों से निकलने वाला दूषित पदार्थ नदी-नालों और जल के अन्य स्त्रोतों में मिलकर जल दूषित करता है और कई बीमारियों को न्योता देता है।

जैसे कि हम सभी जानते हैं कि जल पर ही समस्त मानव जीवन, जीव-जन्तु और वनस्पति निर्भर है, जल मानव जीवन का अभिन्न आधार है। फैक्ट्रियों से निकलने वाला दूषित पदार्थ प्राकृतिक जल स्त्रोतों में मिलकर मानव जीवन को खतरे में डाल रहा है। वहीं जल प्रदूषण – Water Pollution की समस्या दिन ब दिन विकराल रुप धारण करती जा रही है। इसलिए इस समस्या पर गौर करने की जरूरत है।

जल प्रदूषण का सबसे मुख्य कारण ( Jal Pradushan ke Karan ) फैक्ट्रियां और कारखाने है, तेजी से हो रहे औद्योगीकरण से जल प्रदूषण की समस्या गंभीर होती जा रही है।

दरअसल, कारखानों के लगने से इनके अवशिष्ट और दूषित पदार्थों को तालाबों, नदियां, नहरों समेत अन्य प्राकृतिक स्त्रोतों में बहा दिया जाता है और जिससे यह पूरे पानी को जहरीला बना देता है।

वहीं इससे न सिर्फ जल में रहने वाले जीव-जन्तु और पौधों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है बल्कि इस दूषित पानी से कई तरह की घातक बीमारियां फैलती है और समस्त मानव, जीव-जन्तु और पशुओं का जीवन बीमारियों से घिर जाता है।

इसके अलावा शहरों और गांवों में निकलने वाला कई हजार टन कचरा जो नदियों और समुद्रों में छोड़ दिया जाता है, जिससे जल प्रदूषण बढ़ रहा है। दरअसल, घरों के दैनिक कामों में इस्तेमाल होने वाले जल को स्नान करने, बर्तन धोने और कपड़ा धोना के रुप में नालियों के माध्यम से बाहर बहा दिया जाता है।

जिसमें कई ऐसे डिर्टजेन्ट और कार्बनिक पदार्थ मिल जाते हैं और फिर यह जल जलस्त्रोतों में मिलकर नदियां, नालों के जल को दूषित करते हैं। जिससे जल प्रदूषण सी समस्या पैदा हो रही है।

यही नहीं आलम यह है कि नदी जल का करीब 70 फीसदी हिस्सा प्रदूषित हो जाता है। आपको बता दें कि भारत की मुख्य नदियां जैसे बह्रापुत्र, सिंधु, गंगा, झेलम, सिंधु समेत आदि नदियां बड़े पैमाने पर प्रभावित हो चुकी हैं।

वहीं भारत की मुख्य नदियां भारतीय परम्परा और संस्कृति से जुड़ी हुई हैं। आमतौर पर लोग पूजा-पाठ की सामग्री नदियों में बहाते हैं, जिसकी वजह से जल प्रदूषण – Water Pollution की समस्या विकराल रुप धारण करती जा रही है।

वहीं केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण प्रदूषण बोर्ड की माने तो भारत की सबसे पवित्र नदी गंगा सबसे ज्यादा प्रदूषित नदी है। भारत के उत्तप्रदेश राज्य के कानुपर के पास बनी चमड़ा फैक्ट्री और कपड़ा मिलों का भारी मात्रा में कार्बनिक कचरा गंगा नदी में बहाया जाता है।

जिसके चलते यह माना गया है कि, इस पवित्र नदी में रोजाना करीब 200 मिलियन लीटर औद्योगिक कचरा और करीब 1400 मिलियन लीटर सीवेज का कचरा बहाया जाता है। जिससे यह नदी दिन पर दिन प्रदूषित होती जा रही है, वहीं इस दिशा में सरकार की तरफ से जल्द ही उचित कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले दिनों में इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

इसके अलावा गौर करें तो आधुनिक युग में अच्छी खेती और फसल के उत्पादन के लिए कई तरह की नई-नई तकनीकी और पद्धतियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसके चलते भारी मात्रा में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशक दवाइय़ों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

जिससे फास्फेट एवं नाइट्रेट जैसे विषैले पदार्थों से जल प्रदूषित होने लगता है और खेतो में डाला गया यही जल तालाब, नदी और नालों में पहुंच जाता है जो कि इसके जल में मिलकर पूरा पानी विषैला कर देता है जिससे जल प्रदूषण – Water Pollution की समस्या बढ़ रही है।

जहाजों से होने वाला तेल का रिसाव भी जल प्रदूषण की समस्या को बढ़ा रहा है। दरअसल समुद्र में जहाज के तेल का भारी मात्रा में रिसाव होता है, और तो और कई बार तो पूरा तेल टैंकर ही समुद्र में तबाह हो जाता है या फिर जहाज के डूबने से इसमें मिले विषाक्त पदार्थ समुद्र के जल को प्रदूषित कर देते हैं।

जहाजों से निकलने वाला तैलीय अपशिष्टों के अलावा खाना पकाने के बाद बचा हुआ तेल और वाहनों में पेट्रोल एवं डीजल का इस्तेमाल और उनका अवशेष भी किसी न किसी रुप में नदियों में बहा दिए जाते हैं, जिससे जल प्रदूषण – Water Pollution को बढ़ावा मिलता है। एक आकलन के मुताबिक हर साल समुद्र में करीब 50 लाख से 1 करोड़ टन पेट्रोलियम उत्पादों का रिसाव होता है।

वहीं परमाणु विस्फोट की वजह से काफी बड़ी मात्रा में रेडियोधर्मी अपशिष्टों के कण दूर-दूर तक हवा में फैल जाते हैं और यह कई तरीकों से जल स्त्रोतों में मिलकर जल को प्रदूषित कर देते हैं।

जल प्रदूषण की समस्या से बड़े स्तर पर मानव जीवन प्रभावित हो रहा है, प्रदूषित पानी पीने से कॉलरा, टीवी, उल्टी, दस्त पीलिया जैसी गंभीर बीमारियां फैल रही है। वहीं करीब 80 फीसदी मरीज दूषित पानी की वजह से बीमारियों की चपेट में है इसलिए जल प्रदूषण की समस्या पर गौर करना अति महत्वपूर्ण है।

इसके लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को पेड़-पौधे लगाने चाहिए जिससे मिट्टी के कटाव को रोका जा सके। इसके साथ ही खेती के ऐसे तरीके अपनाने चाहिए जिससे मिट्टी की उर्वरता में सुधार हो। इसके अलावा जहरीले कचरे को बहाने के लिए सही तरीकों को अपनाना चाहिए। जल प्रदूषण – Water Pollution को लेकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करना चाहिए, जिससे इस समस्या पर काबू पाया जा सके।

उद्योगों से निकलने वाले विशैले पदार्थों को प्राकृतिक स्त्रोतों में बहाने से रोकना चाहिए और इसके लिए उचित कानून बनाए जाने चाहिए। इसके साथ ही इस दिशा में सरकार की तरफ से महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने चाहिए तभी जल प्रदूषण – Water Pollution जैसी भयंकर समस्या से छुटकारा मिल सकता है।

  • Water is Life Essay
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जल प्रदूषण पर निबंध (Water Pollution Essay In Hindi)

जल प्रदूषण पर निबंध (Water Pollution Essay In Hindi Language)

पृथ्वी पर जल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, परंतु ताजे जल की मात्रा 2 से 7 प्रतिशत तक ही है, शेष समुद्रों में खारे जल के रूप में है। इस ताजे जल का तीन चौथाई glacier तथा बर्फीली चोटियों के रूप में है। शेष एक चौथाई भाग surface water के रूप में है। पृथ्वी पर जितना जल है उसका केवल 0.3 प्रतिशत भाग ही स्वच्छ एवं साफ़ है।

वर्षा के जल में हवा में उपस्थित गैसों और धूल के कणों के मिल जाने आदि से उसका जल जहाँ भी जमा होता है वह जल प्रदूषित हो जाता है। इसके अलावा ज्वालामुखी आदि भी इसके कुछ कारण हैं। जब कुछ अपशिष्ट पदार्थ भी इसमे मिलते हैं तब भी ये जल गंदा तथा प्रदूषित हो जाता है।

जल प्रदूषण के कारण पूरे विश्व में कई प्रकार की बीमारियाँ और लोगों की मौत हो रही है। इसके कारण लगभग प्रतिदिन 14,000 लोगों की मौत हो रही है। इससे मनुष्य, पशु तथा पक्षियों के स्वास्थ्य को खतरा उत्पन्न होता है। इससे टाईफाइड, पीलिया, हैजा, गैस्ट्रिक आदि बीमारियां पैदा होती हैं।

इस कारण नालियों को ठीक से बनाना और उसे जल के किसी भी स्रोत से दूर रखने आदि का कार्य भी करना चाहिए। मल, घरेलू त्याज्य पदार्थों एवं कूडे़ कचरे का युक्त वैज्ञानिक परिष्कृत साधनों द्वारा निकास करना चाहिए।

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जल प्रदूषण के कारण

जल प्रदूषण का सीधा सम्बन्ध जल के अतिशय उपयोग से है। नगरों में पर्याप्त मात्रा में जल का उपयोग किया जाता है और सीवरों तथा नालियों द्वारा अपशिष्ट जल को जलस्रोेतों में गिराया जाता है। जल स्रोतों में मिलने वाला यह अपशिष्ट जल अनेक विषैले रासायनों एवं कार्बनिक पदार्थों से युक्त होता है जिससे जल स्रोतों का स्वच्छ जल भी प्रदूषित हो जाता है। उद्योगों से निःसृत पदार्थ भी जल प्रदूषण का मुख्य कारण है। इसके अतिरिक्त कुछ मात्रा में प्राकृतिक कारणों से भी जल प्रदूषित होता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि जल प्रदूषण जल की गुणवत्ता में प्राकृतिक अथवा मानवकृत परिवर्तन है, जो भोजन एवं पशु स्वास्थ्य, उद्योग, कृषि, मत्स्य अथवा मनोरंजन के प्रयोजनों के लिये अप्रयोज्य एवं खतरनाक हो जाता है। इस तरह जल प्रदूषण जल के रासायनिक, भौतिक एवं जैविक गुणों में ह्रास हो जाने से होता है, जो मानव क्रियाओं एवं प्राकृतिक क्रियाओं द्वारा जल संसाधन में अपघटित एवं वनस्पति पदार्थों तथा अपश्रम पदार्थों के मिलाने से होता है। उपर्युक्त विश्लेषण से स्पष्ट है कि जल प्रदूषण के दो स्रोत होते हैं: 1. प्राकृतिक व 2. मानवीय।

जल प्रदूषण के प्राकृतिक स्रोत

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प्राकृतिक रूप से जल का प्रदूषण जल में भूक्षरण खनिज पदार्थ, पौधों की पत्तियों एवं ह्यूमस पदार्थ तथा प्राणियों के मल-मूत्र आदि के मिलने के कारण होता है। जल, जिस भूमि पर एकत्रित रहता है, यदि वहाँ की भूमि में खनिजों की मात्रा अधिक होती है तो वे खनिज जल में मिल जाते हैं। इनमें आर्सेनिक, सीसा, कैडमियम एवं पारा आदि (जिन्हें विषैले पदार्थ कहा जाता है) आते हैं। यदि इनकी मात्रा अनुकूलतम सान्द्रता से अधिक हो जाती है तो ये हानिकारक हो जाते हैं। उपर्युक्त विषैले पदार्थों के अतिरिक्त निकिल, बेरियम, बेरीलियम, कोबाल्ट, माॅलिब्डेनम, टिन, वैनेडियम आदि भी जल में अल्प मात्रा में प्राकृतिक रूप से मिले होते हैं।

जल प्रदूषण के मानवीय स्रोत

पेयजल में फ्लोराइड

जल प्रदूषण ज्ञात करने के लिये मानदण्ड

किसी भी जल की पहचान के लिये कुछ ऐसे मानदण्ड निर्धारित किए गए हैं जिनकी कमी या अधिकता होने पर जल को प्रदूषित माना जा सकता है। इन मानदण्डों को तीन उपवर्गों में विभक्त किया जा सकता है: 1. भौतिक मानदण्ड: इसके अन्तर्गत तापमान, रंग, प्रकाशवेधता, संवहन (तैरते एवं घुले) एवं कुल ठोस पदार्थ आते हैं। 2. रासायनिक मानदण्ड: इसके अन्तर्गत घुला आॅक्सीजन सी.ओ.डी. (केमिकल ऑक्सीजन डिमांड), पी.एच.मान, क्षारीयता/अम्लीयता, भारी धातुएँ, मर्करी, सीसा, क्रोमियम एवं रेडियोधर्मी पदार्थ आते हैं। 3. जैविक मानदण्ड: इसके अन्तर्गत बैक्टीरिया, कोलीफार्म, शैवाल एवं वायरस आते हैं। उपर्युक्त प्रदूषकों की जल में एक निश्चित सीमा होती है। इस सीमा से अधिक मात्रा बढ़ने पर जल प्रदूषित होने लगता है। भारत में उद्योगों के निःसृत गंदे जल एवं अवशिष्ट पदार्थों को नदियों एवं अन्य जलस्रोतों में गिराए जाने से जल प्रदूषण में विशेष रूप से वृद्धि हुई है। उद्योग के चलते गंगा, यमुना, गोमती, चम्बल, पेरीयार, दामोदर, हुगली, आदि नदियों का जल पूर्णतया प्रदूषित हो चुका है, जिसको पीना तो दूर स्नान के लिये भी प्रयोग करना मुश्किल हो गया है।

जल प्रदूषण से उत्पन्न समस्याएँ

जल प्रदूषण का प्रभाव जलीय जीवन एवं मनुष्य दोनों पर पड़ता है। जलीय जीवन पर जल प्रदूषण का प्रभाव पादपों एवं जन्तुओं पर परिलक्षित होता है। औद्योगिक अपशिष्ट एवं बहिःस्राव में विद्यमान अनेक विषैले पदार्थ जलीय जीवन को नष्ट कर देते हैं। जल प्रदूषण जलीय जीवन की विविधता को घटा देता है। इस तरह स्पष्ट है कि जल प्रदूषण से अनेक पादपों एवं जन्तुओं का विनाश हो जाता है। जल प्रदूषण का भयंकर परिणाम राष्ट्र के स्वास्थ्य के लिये एक गम्भीर खतरा है। एक अनुमान के अनुसार भारत में होने वाली दो तिहाई बीमारियाँ प्रदूषित पानी से ही होती हैं। जल प्रदूषण का प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर जल द्वारा जल के सम्पर्क से एवं जल में उपस्थित रासायनिक पदार्थों द्वारा पड़ता है। पेयजल के साथ-साथ रोगवाहक बैक्टीरिया, वायरस, प्रोटोजोआ मानव शरीर में पहुँच जाते हैं और हैजा, टाइफाइड, शिशु प्रवाहिका, पेचिश, पीलिया, अतिशय, यकृत एप्सिस, एक्जीमा जियार्डियता, नारू, लेप्टोस्पाइरोसिस जैसे भयंकर रोग उत्पन्न हो जाते हैं जबकि जल में उपस्थित रासायनिक पदार्थों द्वारा कोष्टबद्धता, उदरशूल, वृक्कशोथ, मणिबन्धपात एवं पादपात जैसे भयंकर रोग मानव में उत्पन्न हो जाते हैं। जल के साथ रेडियोधर्मी पदार्थ भी मानव शरीर में प्रविष्ट कर यकृत, गुर्दे एवं मानव मस्तिष्क पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। जल प्रदूषण का गम्भीर परिणाम समुद्री जीवों पर भी पड़ता है। उद्योगों के प्रदूषणकारी तत्वों के कारण भारी मात्रा में मछलियों का मर जाना देश के अनेक भागों में एक आम बात हो गई है। मछलियों के मरने का अर्थ है प्रोटीन के एक उम्दा स्रोत का नुकसान एवं उससे भी अधिक भारत के लाखों मछुआरों की अजीविका का छिन जाना। जल प्रदूषण का दुष्प्रभाव कृषि भूमि पर भी पड़ रहा है। प्रदूषित जल जिस कृषि योग्य भूमि से होकर गुजरता है, उस भूमि की उर्वरता को नष्ट कर देता है। जोधपुर, पाली एवं राजस्थान के बड़े नगरों के रंगाई- छपाई उद्योग से निःसृत दूषित जल नदियों में मिलकर किनारों पर स्थित गाँवों की उपजाऊ भूमि को नष्ट कर रहा है। यही नहीं प्रदूषित जल द्वारा जब सिंचाई की जाती है तो उसका दुष्प्रभाव कृषि उत्पादन पर भी पड़ता है। इसका कारण यह है कि जब गंदी नालियों का एवं नहरों के गंदे जल (दूषित जल) से सिंचाई की जाती है तो अन्न उत्पादन के चक्र में धातुओं का अंश प्रवेश कर जाता है, जिससे कृषि उत्पादन में 17 से 30 प्रतिशत तक की कमी हो जाती है। इस तरह जल प्रदूषण से उत्पन्न उपर्युक्त समस्याओं के विश्लेषण के आधार पर यह कहा जा सकता है कि प्रदूषित जल से उस जल स्रोत का सम्पूर्ण जल तंत्र ही अव्यवस्थित हो जाता है।

जल प्रदूषण से बचाव

वर्षाजल संरक्षण

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