इंदिरा गाँधी का जीवन परिचय

इंदिरा प्रियदर्शनी गाँधी न केवल भारतीय राजनीति पर छाई रहीं बल्कि विश्व राजनीति के क्षितिज पर भी वे एक प्रभाव छोड़ गईं। श्रीमती इंदिरा गाँधी का जन्म नेहरू ख़ानदान में हुआ था। इंदिरा गाँधी, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की इकलौती पुत्री थीं। आज इंदिरा गाँधी को सिर्फ़ इस कारण नहीं जाना जाता कि वह पंडित जवाहरलाल नेहरू की बेटी थीं बल्कि इंदिरा गाँधी अपनी प्रतिभा और राजनीतिक दृढ़ता के लिए 'विश्वराजनीति' के इतिहास में जानी जाती हैं और इंदिरा गाँधी को 'लौह-महिला' के नाम से संबोधित किया जाता है। ये भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री थीं।

जन्म तथा माता-पिता

इनका जन्म 19 नवम्बर, 1917 को इलाहाबाद , उत्तर प्रदेश के आनंद भवन में एक सम्पन्न परिवार में हुआ था। इनका पूरा नाम है- 'इंदिरा प्रियदर्शनी गाँधी'। इनके पिता का नाम जवाहरलाल नेहरू और दादा का नाम मोतीलाल नेहरू था। पिता एवं दादा दोनों वकालत के पेशे से संबंधित थे और देश की स्वाधीनता में इनका प्रबल योगदान था। इनकी माता का नाम कमला नेहरू था जो दिल्ली के प्रतिष्ठित कौल परिवार की पुत्री थीं। इंदिराजी का जन्म ऐसे परिवार में हुआ था जो आर्थिक एवं बौद्धिक दोनों दृष्टि से काफ़ी संपन्न था। अत: इन्हें आनंद भवन के रूप में महलनुमा आवास प्राप्त हुआ। इंदिरा जी का नाम इनके दादा पंडित मोतीलाल नेहरू ने रखा था। यह संस्कृतनिष्ठ शब्द है जिसका आशय है कांति, लक्ष्मी, एवं शोभा। इनके दादाजी को लगता था कि पौत्री के रूप में उन्हें माँ लक्ष्मी और दुर्गा की प्राप्ति हुई है। पंडित नेहरू ने अत्यंत प्रिय देखने के कारण अपनी पुत्री को प्रियदर्शिनी के नाम से संबोधित किया जाता था। चूंकि जवाहरलाल नेहरू और कमला नेहरू स्वयं बेहद सुंदर तथा आकर्षक व्यक्तित्व के मालिक थे, इस कारण सुंदरता के मामले में यह गुणसूत्र उन्हें अपने माता-पिता से प्राप्त हुए थे। इन्हें एक घरेलू नाम भी मिला जो इंदिरा का संक्षिप्त रूप 'इंदु' था।

माता-पिता का साथ

इंदिरा जी को बचपन में माता-पिता का ज़्यादा साथ नसीब नहीं हो पाया। पंडित नेहरू देश की स्वाधीनता को लेकर राजनीतिक क्रियाओं में व्यस्त रहते थे और माता कमला नेहरू का स्वास्थ्य उस समय काफ़ी ख़राब था। दादा मोतीलाल नेहरू से इंदिरा जी को काफ़ी स्नेह और प्यार-दुलार प्राप्त हुआ था। इंदिरा जी की परवरिश नौकर-चाकरों द्वारा ही संपन्न हुई थी। घर में इंदिरा जी इकलौती पुत्री थीं। इस कारण इन्हें बहन और भाई का भी कोई साथ प्राप्त नहीं हुआ। एकांत समय में वह अपने गुड्डे-गुड़ियों के साथ खेला करती थीं। घर पर शिक्षा का जो प्रबंध था, उसे पर्याप्त नहीं कहा जा सकता था। लेकिन अंग्रेज़ी भाषा पर उन्होंने अच्छा अधिकार प्राप्त कर लिया था।

विद्यार्थी जीवन

इंदिरा जी को जन्म के कुछ वर्षों बाद भी शिक्षा का अनुकूल माहौल नहीं उपलब्ध हो पाया था। पाँच वर्ष की अवस्था हो जाने तक बालिका इंदिरा ने विद्यालय का मुख नहीं देखा था। पिता जवाहरलाल नेहरू देश की आज़ादी के आंदोलन में व्यस्त थे और माता कमला नेहरू उस समय बीमार रहती थीं। घर का वातावरण भी पढ़ाई के अनुकूल नहीं था। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का रात-दिन आनंद भवन में आना जाना लगा रहता था। तथापि पंडित नेहरू ने पुत्री की शिक्षा के लिए घर पर ही शिक्षकों का इंतज़ाम कर दिया था। बालिका इंदु को आनंद भवन में ही शिक्षकों द्वारा पढ़ाया जाता था।

पंडित जवाहरलाल नेहरू शिक्षा का महत्त्व काफ़ी अच्छी तरह समझते थे। यही कारण है कि उन्होंने पुत्री इंदिरा की प्राथमिक शिक्षा का प्रबंध घर पर ही कर दिया था। लेकिन अंग्रेज़ी के अतिरिक्त अन्य विषयों में बालिका इंदिरा कोई विशेष दक्षता नहीं प्राप्त कर सकी। तब इंदिरा को शांति निकेतन स्कूल में पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ उसके बाद उन्होंने बैडमिंटन स्कूल तथा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में अध्ययन किया। लेकिन इंदिरा ने पढ़ाई में कोई विशेष प्रवीणता नहीं दिखाई। वह औसत दर्जे की छात्रा रहीं।

पंडित नेहरू की मृत्यु

पंडित जवाहरलाल नेहरू (14 नवम्बर, 1889 - 27 मई, 1964) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के महान् सेनानी एवं स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री (1947-1964) थे। 27 मई 1964 को जब पंडित नेहरू की मृत्यु हुई तब पहले की भाँति कांग्रेस पार्टी पर उनकी पकड़ मज़बूत नहीं रह गई थी। पार्टी में उनकी साख भी कमज़ोर हुई थी। चीन युद्ध में भारत की पराजय के कारण पंडित नेहरू की लोकप्रियता कम हुई थी और लकवे के कारण भी उन्हें शारीरिक रूप से अक्षम मान लिया गया था। लेकिन देशहित में किए गए उनके अभूतपूर्व कार्यों की आभा ने पंडित नेहरू को प्रधानमंत्री बनाए रखा। जिस प्रकार कृष्ण मेनन को चीन से पराजय के बाद रक्षा मंत्री के पद से हटने के लिए विवश किया गया था, वैसा ही पंडित नेहरू के साथ भी किया जा सकता था। लेकिन यह पंडित नेहरू का आभामंडल था कि पार्टी ने उस पर निष्ठा भाव बनाए रखा। परंतु पार्टी पर उनकी पकड़ पहले जैसी मज़बूत नहीं रह गई थी। इंदिरा गाँधी ने भी इस परिवर्तन को लक्ष्य कर लिया था। पंडित नेहरू के बाद लालबहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बनाए गए। उन्होंने कांग्रेस संगठन में इंदिरा जी के साथ मिलकर कार्य किया था। शास्त्रीजी ने उन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय सौंपा। अपने इस नए दायित्व का निर्वहन भी इंदिराजी ने कुशलता के साथ किया। यह ज़माना आकाशवाणी का था और दूरदर्शन उस समय भारत में नहीं आया था। इंदिरा गाँधी ने आकाशवाणी के कार्यक्रमों में फेरबदल करते हुए उसे मनोरंजन बनाया तथा उसमें गुणात्मक अभिवृद्धि की। 1965 में जब भारत- पाकिस्तान युद्ध हुआ तो आकाशवाणी का नेटवर्क इतना मुखर था कि समस्त भारत उसकी आवाज़ के कारण एकजुट हो गया। इस युद्ध के दौरान आकाशवाणी का ऐसा उपयोग हुआ कि लोग राष्ट्रीयता की भावना से ओत-प्रोत हो उठे। भारत की जनता ने यह प्रदर्शित किया कि संकट के समय वे सब एकजुट हैं और राष्ट्र के लिए तन-मन धन अर्पण करने को तैयार हैं। राष्ट्रभक्ति का ऐसा जज़्बा स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी देखने को नहीं प्राप्त हुआ था। इंदिरा गाँधी ने युद्ध के समय सीमाओं पर जवानों के बीच रहते हुए उनके मनोबल को भी ऊंचा उठाया जबकि इसमें उनकी ज़िंदगी को भारी ख़तरा था। कश्मीर के युद्धग्रस्त क्षेत्रों में जाकर जिस प्रकार उन्होंने भारतीय सैंनिकों का मनोबल ऊंचा किया, उससे यह ज़ाहिर हो गया कि उनमें नेतृत्व के वही गुण हैं जो पंडित नेहरू में थे। इन्हें भी देखें : जवाहरलाल नेहरू

कमला नेहरू की बीमारी और निधन

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दरअसल कुछ समय बाद ही इलाहाबाद में इंदिरा की माता कमला नेहरू का स्वास्थ्य काफ़ी ख़राब हो गया। वह बीमारी में अपनी पुत्री को याद करती थीं। पंडित नेहरू नहीं चाहते थे कि बीमार माता को उसकी पुत्री की शिक्षा के कारण ज़्यादा समय तक दूर रखा जाए। उधर अंग्रेज़ों को भी कमला नेहरू के अस्वस्थ होने की जानकारी थी। अंग्रेज़ चाहते थे कि यदि ऐसे समय में पंडित नेहरू को जेल भेजने का भय दिखाया जाए तो वह आज़ाद रहकर पत्नी का इलाज कराने के लिए उनकी हर शर्त मानने को मजबूर हो जाएंगे। इस प्रकार वे पंडित नेहरू का मनोबल तोड़ने का प्रयास कर रहे थे। पंडित नेहरू जब अंग्रेज़ों की शर्तों के अनुसार चलने को तैयार न हुए तो उन्हें गिरफ़्तार करके जेल में डाल दिया गया। जब पंडित नेहरू ने गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर के नाम शांति निकेतन में तार भेजा गुरुदेव ने वह तार इंदिरा को दिया जिसमें लिखा था। इंदिरा की माता काफ़ी अस्वस्थ हैं और मैं जेल में हूँ। इस कारण इंदिरा को माता की देखरेख के लिए अविलम्ब इलाहाबाद भेज दिया जाए। माता की अस्वस्थता का समाचार मिलने के बाद इंदिरा ने गुरुदेव से जाने की इच्छा प्रकट की।

जर्मनी में इलाज

इलाहाबाद पहुँचने पर इंदिरा ने अपनी माता की रुग्ण स्थिति देखी जो काफ़ी चिंतनीय थी। भारत में उस समय यक्ष्मा का माक़ूल इलाज नहीं था। उनका स्वास्थ्य तेज़ीसे बिगड़ता जा रहा था। यह 1935 का समय था। तब डॉक्टर मदन अटल के साथ इंदिरा जी अपनी माता को चिकित्सा हेतु जर्मनी के लिए प्रस्थान कर गईं। पंडित नेहरू उस समय जेल में थे। चार माह बाद जब पंडित नेहरू जेल से रिहा हुए तो वह भी जर्मनी पहुँच गए। जर्मनी में कुछ समय तक कमला नेहरू का स्वास्थ्य ठीक रहा लेकिन यक्ष्मा ने फिर ज़ोर पकड़ लिया। इस समय तक विश्व में कहीं भी यक्ष्मा का इलाज नहीं था। हां, यह अवश्य था कि पहाड़ी स्थानों पर बने सेनिटोरियम में रखकर मरीज़ों की ज़िंदगी को कुछ समय के लिए बढ़ा दिया जाता था। लेकिन यह कमला नेहरू के रोग की प्रारंभिक स्थिति नहीं थी। यक्ष्मा अपनी प्रचंड स्थिति में पहुँच चुका था लेकिन पिता- पुत्री ने हार नहीं मानी।

पंडित नेहरू और इंदिरा कमलाजी को स्विट्जरलैंड ले गए। वहाँ उन्हें लगा कि कमला जी के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। लेकिन जिस प्रकार बुझने वाले दीपक की लौ में अंतिम समय प्रकाश तीव्र हो जाता है, उसी प्रकार स्वास्थ्य सुधार का यह संकेत भी भ्रमपूर्ण था। राजरोग को अपनी बलि लेनी थी और फ़रवरी 1936 में कमला नेहरू का निधन हो गया। 19 वर्षीया पुत्री इंदिरा के लिए यह भारी शोक के क्षण थे। माता की जुदाई का आघात सहन कर पाना इतना आसान नहीं था। उन पर माता की रुग्ण समय की स्मृतियाँ हावी थीं। पंडित नेहरू को भय था कि माता के निधन का दु:ख और एकांत में माता की यादों की पीड़ा कहीं इंदिरा को अवसाद का शिकार न बना दे। इंदिरा में अवसाद के आरंभिक लक्षण नज़र भी आने लगे थे। तब पंडित नेहरू ने यूरोप के कुछ दर्शनीय स्थलों पर अपनी पुत्री इंदिरा के साथ कुछ समय गुजारा ताकि बदले हुए परिवेश में वह अतीत की यादों से मुक्त रह सके। इसका माक़ूल असर भी हुआ। इंदिरा ने विधि के कर विधान को समझते हुए हालात से समझौता कर लिया।

संजय गाँधी की मृत्यु

23 जून , 1980 को प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के छोटे पुत्र संजय गाँधी की वायुयान दुर्घटना में मृत्यु हो गई। संजय की मृत्यु ने इंदिरा गाँधी को तोड़कर रख दिया। इस हादसे से वह स्वयं को संभाल नहीं पा रही थीं। तब राजीव गाँधी ने पायलेट की नौकरी छोड़कर संजय गाँधी की कमी पूरी करने का प्रयास किया। लेकिन राजीव गाँधी ने यह फैसला हृदय से नहीं किया था। इसका कारण यह था कि उन्हें राजनीति के दांवपेच नहीं आते थे। जब इंदिरा गाँधी की दोबारा वापसी हुई तब देश में अस्थिरता का माहौल उत्पन्न होने लगा। कश्मीर , असम और पंजाब आतंकवाद की आग में झुलस रहे थे। दक्षिण भारत में भी सांप्रदायिक दंगों का माहौल पैदा होने लगा था। दक्षिण भारत जो कांग्रेस का गढ़ बन चुका था, 1983 में विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में हार का सामना करना पड़ा। वहाँ क्षेत्रीय स्तर की पार्टियाँ सत्ता पर क़ाबिज हो गईं।

स्वर्ण मन्दिर पर हमले के प्रतिकार में पाँच महीने के बाद ही 31 अक्टूबर 1984 को श्रीमती गाँधी के आवास पर तैनात उनके दो सिक्ख अंगरक्षकों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ.

  • इंदिरा गाँधी के दो चेहरे

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  • Jivan Parichay (जीवन परिचय) /

Indira Gandhi Biography: भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जीवनी

indira gandhi ki biography in hindi

  • Updated on  
  • जून 12, 2024

Indira Gandhi biography in hindi

इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर सन् 1917 में हुआ। जो पंडित जवाहरलाल नेहरू और उनकी पत्नी कमला नेहरू की इकलौती संतान थी। इंदिरा गांधी बचपन से ही राजनीति की बातें और वातावरण देखकर बड़ी हुई क्योंकि उनके पिता पंडित जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस सरकार के एक प्रमुख सदस्य थे और उनके पितामह उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद से एक धनी बैरिस्टर थे तथा स्वतंत्र संग्राम के एक लोकप्रिय नेता रहे। महात्मा गांधी के नेतृत्व में जवाहरलाल नेहरू का प्रवेश स्वतंत्रता आंदोलन में हुआ। इसके कारण इंदिरा गांधी का संपूर्ण विकास और देखरेख मां द्वारा किया गया। इसी दौरान पंडित जवाहरलाल नेहरू और उनके पिता मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय राजनीति में उलझते चले गए। सन् 1936 में मां कमला नेहरू लंबे समय तक बीमार रहने के बाद कुछ समय बाद उनकी मौत हो गई थी। 5 वर्ष की उम्र में इंदिरा ने अपनी गुड़िया जलाने का फैसला किया क्योंकि वह इंग्लैंड से लाई हुई थी। इंदिरा गांधी बचपन से ही देशभक्ति की भावना हृदय में रखती थी। 12 वर्ष की उम्र में इंदिरा गांधी ने कुछ बच्चों की वानर सेना बनाई और उसका नेतृत्व किया जिसका नाम बंदर ब्रिगेड रखा गया था। जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में  छोटी सी भूमिका निभाई थी। Indira Gandhi biography in hindi से संबंधित अन्य बिंदु नीचे दिए गए हैं ।

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इंदिरा गांधी की शिक्षा, फिरोज गांधी से विवाह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष , राष्ट्रीय सुरक्षा, हरित क्रांति, इंदिरा गांधी की हत्या, मैं इंदिरा पापा नेहरू, इंदिरा की प्राणज्योति.

Indira Gandhi Biography in Hindi

Indira Gandhi biography in hindi उनकी शिक्षा के बिना अधूरी हैI इंदिरा गांधी ने पुणे विश्वविद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा पास की। 1934 और 35 में उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद शांतिनिकेतन में विश्व भारतीय विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया, जोकि रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा निर्मित था, इसके पश्चात वह इंग्लैंड चली गई रविंद्र नाथ टैगोर ने इंदिरा गांधी को “प्रियदर्शनी” नाम दिया था। इंग्लैंड जाने पर ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में भाग लिया लेकिन वह इसमें सफल नहीं रही और ब्रिस्टल के बैडमिंटन स्कूल में कुछ महीने बिताने के बाद 1937 में परीक्षा में सफल होने के बाद इंदिरा गांधी ने सोमरविल कॉलेज  ऑक्सफोर्ड में दाखिला लिया। उन्होंने प्रमुख भारतीय, यूरोपीय तथा ब्रिटिश स्कूलों में अध्ययन किया।

फिरोज गांधी से विवाह

अपने पिता जवाहरलाल नेहरू की मर्जी के खिलाफ इंदिरा गांधी ने फिरोज गांधी से शादी की।  इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी की मुलाकात 1930 में आजादी की लड़ाई के दौरान मां कमला नेहरू एक कॉलेज के सामने धरना देते वक्त बेहोश हो गई थी उस समय फिरोज गांधी ने उनकी बहुत देखभाल की थी इसीलिए फिरोज गांधी अक्सर मां कमला नेहरू का हाल-चाल लेने घर आते जाते थे  इस दौरान इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के बीच नजदीकियां बढ़ी फिरोज गांधी से इंदिरा गांधी की शादी 1942 में हुई लेकिन जवाहरलाल नेहरू इस शादी के खिलाफ थे फिरोज गांधी के संघर्ष में महात्मा गांधी के साथ थे, वह पारसी थे जबकि इंदिरा गांधी हिंदू। उस समय अंतरजातीय विवाह इतना आम नहीं था ऐसे में महात्मा गांधी ने इस जोड़ी को समर्थन दिया। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी को साथ में जेल भी हो गई। शादी करना, इंदिरा गांधी के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इस तरह इसे Indira Gandhi biography in Hindi में उल्लेख किया गया है

यह भी पढ़ें: हरिवंश राय बच्चन

Indira Gandhi biography in hindi का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जब वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का हिस्सा बनी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का हिस्सा बनने से उनके जीवन में बहुत सारे बदलाव आए। 1959 और 1960 के दौरान कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गयीं। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के. कामराज ने शास्त्री के आकस्मिक निधन के बाद इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

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Indira gandhi biography in hindi को आगे बढ़ाते हुए हम उन नीतियों पर नज़र डालते हैं जिनका उन्होंने अनुसरण किया I सन् 1966 में जब श्रीमती गांधी प्रधानमंत्री बनीं। मोरारजी देसाई उन्हें “गूंगी गुड़िया” कहा करते थे।

1969 इंदिरा गांधी का देसाई के साथ काफी तर्क वितर्क हुआ और काफी मुद्दों पर असहमति होने के कारण कांग्रेस सरकार दो भागों में विभाजित हो गई,उसी वर्ष जुलाई 1969 को उन्होंने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया। प्रधानमंत्री गांधी राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति को नई दिशा दी।

हरित क्रांति in indira gandhi biography in hindi का एक महत्वपूर्ण अध्याय है I शास्त्री और इंदिरा गांधी हरित क्रांति को भारत में लाए नेहरू युग में अंतिम वर्ष में खाद्यान्न में संकट आने लगा और खाद्यान्न में कमी आने के कारण राज्य में दंगे होने लगे इसलिए 1966 में इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री पद को संभालने के बाद कृषि पर अपना पूरा ध्यान एकत्रित कर लिया और हरित क्रांति को सरकार की एक प्राथमिकता बना डाला। भारतीय किसानों के लिए गेंहू और चावल की फसल को उपजाऊ बनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया और मदद की गई और हरित क्रांति के द्वारा रासायनिक खादों और नई तकनीक पर जोर दिया गया।

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सतवंत सिंह और बेअंत सिंह दोनों ने अक्टूबर 1984 को अपनी सर्विस हथियारों के द्वारा 1, सफदरजंग रोड, नई दिल्ली में स्थित प्रधानमंत्री निवास के बगीचे में इंदिरा गांधी की हत्या कर दी थी। गांधी को उनके सरकारी कार से अस्पताल ले जाया जा रहा परंतु रास्ते में ही दम तोड़ दिया था, लेकिन घंटों तक उनकी मृत्यु घोषित नहीं की गई। उनका अंतिम संस्कार 3 नवंबर को राज घाट के समीप हुआ।

इंदिरा गांधी पर कविता

– रजनी विजय सिंगला

– जगदम्बा प्रसाद मिश्र ‘गौरव’

यह ज़रूर पढ़ें : बिल गेट्स की सफलता की कहानी

राजीव गांधी

इंदिरा गाँधी

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रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।

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इंदिरा गांधी जी का प्रेरणादायी सफर

इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी जी देश की प्रथम और अब तक की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री थी, जो कि अपने राजनैतिक कौशल और सूझबूझ के लिए भी पहचानी जाती थी। उन्होंने उस समय देश का प्रधानमंत्री के रुप में नेतृत्व किया जब महिलाओं को घर से बाहर निकलने तक की इजाजत नहीं दी जाती थी।

तमाम चुनौतियों का सामना कर वे न सिर्फ देश के पीएम के पद पर आसीन हुई, बल्कि अपनी राजनैतिक प्रतिभा से उन्होंने देश के लिए कई अहम फैसले लिए। इंदिरा गांधी जी के शासनकाल में ही बांग्लादेश का निर्माण हुआ।

तो आइए जानते हैं अपनी राजनैतिक निष्ठुरता एवं दृढ़ता के लिए पहचाने जाने वाली इंदिरा गांधी जी के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में-

भारत की लौह महिला इंदिरा गांधी जी का प्रेरणादायी सफर – Indira Gandhi Biography in Hindi

Indira Gandhi

एक नजर में –

जन्म एवं प्रारंभिक जीवन –.

इंदिरा गांधी जी 19 नवंबर, 1917 को उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद शहर में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी और कमला नेहरू जी के यहां प्रियदर्शनी के रुप में जन्मीं थी।

इंदिरा गांधी जी आर्थिक रुप से संपन्न, देश के जाने-माने राजनैतिक परिवार एवं देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत परिवार से संबंध रखती थी, उनके दादा मोतीलाल नेहरू और उनके पिता जवाहरलाल नेहरू जी दोनों ने ही देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

वहीं अपने परिवार को देख इंदिरा गांधी जी के अंदर देशभक्ति की भावना बचपन से ही आ गई थी। इंदिरा गांधी जी की माता का नाम कमला नेहरू था। वहीं जब इंदिरा गांधी 18 साल की थी, तब उनकी मां कमला नेहरू जी की तपेदिक बीमारी के कारण मृत्यु हो  गई।

पढ़ाई-लिखाई –

इंदिरा गांधी जी के पिता की राजनैतिक व्यस्तता और मां का स्वास्थ्य खराब होने के कारण इंदिरा गांधी जी को शुरुआत में शिक्षा का अनुकूल माहौल नहीं मिला थी, जिसकी वजह से उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई घर पर रहकर ही की थी।

उनके पिता और देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने उनकी पढ़ाई के लिए घर पर ही शिक्षकों का बंदोबस्त किया था।

इसके कुछ समय बाद उन्होंने पुणे विश्वविद्यालय से अपनी हाईस्कूल की पढ़ाई की एवं फिर साल 1934-35 में इंदिरा गांधी जी ने शान्ति निकेतन में एडमिशन लिया और यहां पर ही उनका नाम रवीन्द्रनाथ टैगोर जी द्वारा प्रियदर्शिनी रखा गया।

फिर इसके बाद वे लंदन चली गईं जहां उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के सोमेरविल्ले कॉलेज से अपनी आगे की पढ़ाई की। वहीं इसी दौरान उनकी मुलाकात फिरोज गांधी से भी हुई थी।

अपनी पढ़ाई के दौरान इंदिरा गांधी ने कुछ खास हासिल नहीं किया, वे एक औसत दर्जे की विद्यार्थी थीं। उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी।

शादी एवं वैवाहिक जीवन –

अपने अद्भुत राजनैतिक प्रतिभा के लिए पहचाने जाने वाली महान राजनेता इंदिरा गांधी जी जब अपने पढ़ाई के दिनों के दौरान नेशनल कांग्रेस की सदस्य बनी तभी उनकी मुलाकात फिरोज गांधी से हुई।

उस दौरान फिरोज गांधी एक जर्नलिस्ट होने के साथ-साथ यूथ कांग्रेस के प्रमुख सदस्य भी थे, जो कि गुजरात के एक पारसी परिवार से थे।

फिर दोनों की मुलाकातें प्रेम में बदल गईं और साल 1942 के दौरान उन्होंने फिरोज गांधी से शादी कर ली थी।

हालांकि, इंदिरा गांधी के इस फैसले से उनके पिता जवाहर लाल नेहरू बिल्कुल भी सहमत नहीं थे, लेकिन बाद में अपनी बेटी की जिद के सामने उन्हें इन दोनों के रिश्ते को स्वीकार करना पड़ा था।

वहीं इस शादी का सार्वजनिक तौर पर भी काफी विरोध हुआ था, क्योंकि उस दौरान इंटरकास्ट विवाह होना इतना आम नहीं था।  शादी के बाद इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी को 2 बच्चे हुए। पहले राजीव गांधी हुए और फिर इसके करीब ढाई साल बाद संजय गांधी का जन्म हुआ। वहीं साल 1960 में एक कार्डियक गिरफ्तारी के बाद फिरोज गांधी की मृत्यु हो गई थी।

स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका –

इंदिरा गांधी जी अंदर बचपन से ही देशभक्ति की भावना निहित थी। दरअसल, उनके पिता और दादा जी दोनों ही देश के महान स्वतंत्रता सेनानी थे।

शुरू से ही देशप्रेम की भावना से प्रेरित परिवार में जन्म लेने से इंदिरा गांधी जी पर इसका गहरा असर पड़ा था। वे अपने पढ़ाई के दौरान ही इंडियन लीग की सदस्य बन गईं थीं और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई के बाद जब वे साल 1941 में भारत वापस लौंटी तो फिर स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गईं।

यही नहीं स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उन्हें जेल की यातनाएं भी सहनी पड़ी थी। इंदिरा गांधी एक देशप्रेमी थी। देशसेवा उनमे कूट-कूट के भरी थी। वह हमेशा कहती थी,

“आपको गतिविधि के समय स्थिर रहना और विश्राम के समय क्रियाशील रहना सीख लेना चाहिये।”

मतलब इंसान को कोई भी काम करते समय वो सचेत दिमाग से करना चाहिये। जीवन में क्रियाशील होने के साथ-साथ विश्राम भी जरुरी होता है ताकि हम हमारे दिमाग को और अधिक क्रियाशील बना सके।

राजनैतिक करियर –

इंदिरा गांधी जी का परिवार देश के सबसे प्रमुख एवं प्रसिद्ध राजनैतिक परिवारों में से एक है, इसलिए इंदिरा गांधी जी की भी शुरु से हीराजनीति की तरफ दिलचस्पी कोई हैरान करने वाली बात नहीं है।

जब उनके पिता जी जवाहर लाल नेहरू जी स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री के रुप में नियुक्त हुए थे। तब से ही उनके घर में आजादी के महानायक महात्मा गांधी समेत कई बड़े राजनेताओं का उनके घर में आना-जाना था, जिसकी मेजबानी अक्सर इंदिरा गांधी जी ही करती थी।

इस दौरान कई बार वे अपने पिता जी और राजनैतिक आगंतुकों द्वारा देश के विकास एवं बेहतर भविष्य के लिए हो रही बातचीत को भी ध्यानपूर्वक सुनती थी, जिसके चलते धीमे-धीमे उनका मन भी राजनीति की तरफ लगने लगा था।

वहीं साल 1951 और 1952 के बीच हुए लोकसभा चुनावों के दौरान इंदिरा गांधी जी ने अपने पति फिरोज गांधी जी के कई चुनावी रैली और सभाओं का आयोजित करने की जिम्मेदारी अच्छी तरह संभाली थी।

इसके बाद साल 1955 में इंदिरा गांधी जी को कांग्रेस पार्टी की कार्यकारिणी के रुप में शामिल कर लिया था। यही नहीं इंदिरा गांधी जी की राजनैतिक समझ को परखते हुए नेहरू जी भी न सिर्फ अपनी बेटी इंदिरा से कई अहम मुद्दों पर राजनैतिक सलाह लेते थे, बल्कि उन पर अमल भी करते थे।

इसके बाद साल 1959 में इंदिरा गांधी जी कांग्रेस की प्रेसीडेंट के रुप में नियुक्त हुईं।

फिर साल 1964 में अपने पिता एवं देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जी की मौत के बाद उन्हें लाल बहादुर शास्त्री जी के सरकार के समय सूचना और प्रसारण मंत्री बना दिया गया था।

इस पद की जिम्मेदारी भी इंदिरा गांधी जी ने बखूबी निभाई एवं आकाशवाणी के कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया। साल 1965 में  भारत-पाकिस्तान के युद्ध के दौरान आकाशवाणी राष्ट्रीयता की भावना को मजबूत करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

इसके अलावा इस युद्ध के दौरान उन्होंने सकुशल नेतृत्व किया एवं सीमाओं पर जाकर भारतीय सेना के जवानों का हौसला भी बढ़ाया।

देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री के रुप में –

इंदिरा गांधी जी महिला सशक्तिकरण का भी एक महत्वपूर्ण उदाहरण रही हैं।

उन्होंने प्रधानमंत्री के रुप में देश का 4 बार कुशल नेतृत्व किया एवं देश के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। साल 1966 से 1977 तक लगभग 11 साल वे लगातार 3 बार प्रधानमंत्री के पद पर कार्यरत रहीं।

फिर साल 1980 से 1984 में उन्हें चौथी बार देश का प्रधानमंत्री बनने का गौरव हासिल हुआ।

आपको बता दें कि पहली बार 1966 में देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की अचानक मौत के बाद, कांग्रेस के अध्यक्ष के. कामराज जी ने इंदिरा गांधी जी को देश के प्रधानमंत्री बनने की सलाह दी।

हालांकि इस दौरान कांग्रेस पार्टी के जाने-माने एवं कद्दावर नेता मोरारजी देसाई खुद प्रधानमंत्री बनना चाहते थे, फिर पार्टी द्धार वोटिंग के बाद इंदिरा गांधी जी को देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री के रुप में नियुक्त किया गया।

इस तरह 24 जनवरी 1966 को इंदिरा गांधी जी ने देश की प्रधानमंत्री के रुप में शपथ ली। फिर इसके करीब एक साल बाद 1967 में हुए लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी जी फिर से पीएम उम्मीदवार के रुप में खड़ी हुईं।

इस चुनाव में वे ज्यादा बहुमत तो हासिल नहीं कर पाईं लेकिन चुनाव जीतने में सफल रहीं और फिर से उन्हें देश के प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी संभालने का मौका मिला। हालांकि, इस दौरान मोरार जी देसाई और इंदिरा गांधी जी को लेकर कांग्रेस पार्टी के अंदर कई आपसी मतभेद हो गए।

दरअसल, पार्टी के कुछ बड़े नेता जहां इंदिरा गांधी जी का समर्थन कर रहे थे तो कुछ मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री के रुप में चाहते थे, जिसके चलते साल 1969 में कांग्रेस पार्टी दो अलग-अलग गुटों में बंट गई।

प्रधानमंत्री के अपने कार्यकाल के दौरान इंदिरा गांधी जी ने देश के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण काम किए। उन्होंने साल 1969 में भारत के 14 सबसे बड़े बैंकों के राष्ट्रीयकरण करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

1971 में इंदिरा गांधी जी द्वारा मध्याविधि चुनाव की घोषणा –

साल 1971 में इंदिरा गांधी जी ने कांग्रेस की बिगड़ती हालत को देख एवं देश में अपनी स्थिति और अधिक मजबूत करने के लिए मध्याविधि चुनाव को घोषणा कर विपक्ष को बड़ा झटका दे दिया।

अपनी राजनैतिक कौशल के लिए पहचानी जानी वाली इंदिरा गांधी जी ”देश से गरीबी हटाओ” के नारे के साथ इस चुनाव में उतरीं और देश में चुनावी महौल बनाकर 518 में से 352 सीटें हासिल कर अपनी सरकार बनाने में सफल रहीं।

इस चुनाव के बाद देश में इंदिरा गांधी जी की स्थिति काफी मजबूत हो गई थी।

भारत-पाक के युद्ध में का सकुशल नेतृत्व

इंदिरा गांधी जी के प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान 1971 में  बांग्लादेश के मुद्दे को लेकर जब भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ, उस दौरान देश में काफी तनाव बढ़ गया और इंदिरा गांधी जी को भी काफी बड़े संकट से जूझना पड़ा।

हालांकि इस दौरान उन्होंने सूझबझ और समझदारी से काम लेते हुए देश का सकुशल नेतृत्व किया। आपको बता दें कि युद्ध के दौरान जब स्थिति और भी ज्यादा गंभीर हो गई जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने पाक का समर्थन देना शुरु कर दिया और चीन पहले से ही पाकिस्तान को हथियार सप्लाई कर उसका समर्थन कर रहा था।

इसके बाद इंदिरा गांधी के नेतृत्व ने भारत ने सोवियत संघ के साथ ”शांति, दोस्ती और सहयोग की संधि” पर हस्ताक्षर किए।

इस दौरान पूर्वी पाकिस्तान से भारी संख्या में शरणार्थियों ने भारत में प्रवेश करना शुरु कर दिया।

इस दौरान इंदिरा गांधी जी ने न सिर्फ लाखों शरणार्थियों को भारत में शरण दी बल्कि पश्चिमी पाकिस्तान से लड़ने के लिए सैन्य सहायता भी प्रदान की।

इंस दौरान इंदिरा गांधी जी ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता के महत्व को समझते हुए बांग्लादेश के निर्माण को समर्थन देने की घोषणा की। वहीं इसके बाद 16 दिसंबर को पश्चिमी पाकिस्तान ने आत्मसमर्पण कर दिया, जिसके चलते बांग्लादेश का निर्माण हुआ।

इस युद्ध में भारत की जीत से इंदिरा गांधी जी की छवि एक लोकप्रिय राजनेता के रुप में बन गई एवं उनकी स्थिति देश में इतनी अधिक मजबूत हो गई कि वे स्वतंत्र फैसले लेने के लिए भी सक्षम हो गईं।

वहीं इस युद्ध के बाद इंदिरा गांधी जी ने खुद को पूरी तरह देश की सेवा और विकास में समर्पित कर दिया।

उन्होंने साल 1972 में बीमा और कोयला उद्योग का भी राष्ट्रीयकरण कर जनता का ध्यान अपनी तरफ खींचा एवं एक सक्रिय एवं कुशल राजनेता के रुप में समाज कल्याण, अर्थ जगत समेत भूमि सुधार के लिए कई सुधार काम किए।

देश में आपातकाल लागू करना एवं सत्ता छिनना –

इंदिरा गांधी जी ने अपने प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान देश के विकास के लिए कई नई योजनाएं लागू की थी एवं कई काम करवाए थे, लेकिन 1975 के दौरान देश में महंगाई, बेरोजगारी, आर्थिक संकट, भ्रष्टाचार, की समस्याए काफी बढ़ गई थी, जिसके चलते कई विपक्षी दलों और देश की जनता ने इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शन किए थे।

वहीं इसी दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी इंदिरा गांधी जी के चुनाव से संबंधित एक केस पर फैसला सुनाते हुए उनका चुनाव रद्द करने के साथ 6 साल तक उनका चुनाव लड़ने से भी बैन लगा दिया।

जिसके बाद देश के राजनैतिक हालात और भी अधिक खराब हो गए और लोगों के अंदर उनके खिलाफ और अधिक प्रतिशोध भर गया।

फिर 26 जून, 1975 के दिन इंदिरा गांधी जी ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने की बजाय देश में आपातकाल की घोषणा कर दी। जिसके तहत उन्होंने मोरारजी देसाई, जयप्रकाश नारायण समेत तमाम विपक्षी नेता और उनके राजनैतिक दुश्मनों को गिरफ्तार कर लिया गया।

यही नहीं आपातकाल के दौरान आम नागरिकों के संवैधानिक अधिकार भी छीन लिए गए एवं मीडिया पर भी प्रतिबंध लगा दिया, रेडियो अखबार और टीवी पर सेंसर लगा दिए गए।

फिर इसके बाद साल 1977 की शुरुआत में इंदिरा गांधी जी ने आपातकाल को हटाते हुए चुनाव की घोषणा कर दी।

इस दौरान राजनैतिक कैदियों की रिहाई कर दी गईं एवं फिर से मीडिया से बैन हटा दिया था एवं जनता को मौलिक अधिकार वापस देने के साथ राजनैतिक सभाओं और चुनाव प्रचार की आजादी दे गई।

हालांकि इस चुनाव के दौरान आपातकाल और नसबंदी अभियान के चलते आम जनता में उनके खिलाफ काफी क्रोध बढ़ गया था।

वहीं उस दौरान जनता ने आपातकाल और नसबंदी अभियान के बदले में इंदिरा गांधी जी को समर्थन नहीं किया। जिसके परिणाम स्वरुप, मोरारजी देसाई और जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में ”जनता पार्टी” एक सशक्त एवं मजबूत होकर सामने आईं एवं चुनाव में 542 में 330 सीटें हासिल कीं, जबकि इंदिरा गांधी जी के खेमे में सिर्फ 153 सीटें ही आईं।

जनता पार्टी की आंतरिक कलह और इंदिरा गांधी जी की सत्ता में फिर से वापसी:

साल 1979 में जनता पार्टी के अंदर आंतरिक कलह की वजह से यह सरकार गिर गई जिसका फायदा इंदिरा गांधी जी को हुआ।

दरअसल, जनता पार्टी के राजनेताओं ने इंदिरा गांधी जी को संसद से बाहर निकालने के मकसद से इंदिरा गांधी जी पर कई गंभीर आरोप लगाए थे एवं भ्रष्टाचार के आरोप में इंदिरा गांधी जी को जेल भी भेजा गया था।

वहीं जनता पार्टी की यह रणनीति और इंदिरा गांधी जी के प्रति ऐसा रवैया जनता को रास नहीं आया और फिर भारी संख्या में आम जनता इंदिरा गांधी जी के समर्थन में आ गई और फिर साल 1980 के चुनाव के दौरान कांग्रेस ने 592 में से 353 सीटें हासिल की और इंदिरा गांधी ने बड़े बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की और  एक बार फिर उन्हें देश के प्रधानमंत्री के रुप में देश का नेतृत्व करने का मौका मिला।

नाम पर धरोहर –

नई दिल्ली में उनके नाम पर इंदिरा गांधी मेमोरियल म्यूजियम बना हुआ है।

इसके अलावा इंदिरा गांधी जी के नाम पर इंदिरा गांधी नेशनल ट्राइबल यूनिवर्सिटी(अमरकंटक), इंदिरा गांधी टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर वीमेन, इंदिरा गांधी इंस्टिटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी, इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू), इंदिरा गांधी इंस्टीटयूट ऑफ डेंटल साइंस समेत कई शिक्षण संस्थान हैं।

यही नहीं देश के कई शहरों में बहुत सी सड़कों और चौराहों के नाम भी इंदिरा गांधी जी के नाम पर है।

इसके अलावा देश की राजधानी दिल्ली के इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नाम भी इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट है और देश के सबसे मुख्य समुद्री ब्रिज पंबन ब्रिज का नाम भी इंदिरा गांधी रोड ब्रिज है।

पुरस्कार और सम्मान –

देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी को साल 1971 में देश के सर्वोच्च सम्मान ”भारत रत्न ” से सम्मानित किया गया था।

साल 1972 में उन्हें बांग्लादेश को आजाद करवाने के लिए मेक्सिकन अवॉर्ड से नवाजा गया।

साल 1976 में उन्हें नागरी प्रचारिणी सभा के द्वारा हिन्दी में साहित्य वाचस्पति सम्मान से नवाजा गया था।

इसके अलावा उन्हें मदर्स अवार्ड, हॉलैंड मेमोरियल प्राइज से भी सम्मानित किया गया था।

ऑपरेशन ब्लू स्टार और हत्या –

1981 में एक सिख आतंकवादी समूह ”खालिस्तान” की मांग को लेकर अमृतसर के प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर एवं हरिमिंदर साहिब परिसर के अंदर प्रवेश कर गए थे।

मंदिर परिसर में हजारों लोग होने के बाबजूद भी इंदिरा गांधी जी ने सेना के जवानों को इन आतंकवादियों से निपटने के लिए सिखों के प्रमुख धार्मिक स्थल ऑपरेशन ब्लू स्टार करने की इजाजत दे दी।

वहीं ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान हजारों बेकसूरों और मासूमों की जान चली गईं एवं सिख समुदाय की धार्मिक आस्था को काफी ठेस पहुंची।

इस ऑपरेशन के बाद इंदिरा गांधी जी के खिलाफ विद्रोह की भावना भड़क उठी एवं देश में संप्रदायिक तनाव की स्थिति बन गई, यही नहीं सिख समुदाय के कई लोगों ने इस दौरान सरकारी पदों से इस्तीफा दे दिया एवं सरकारी पुरस्कार एवं उपाधियां वापस कर विरोध जताया।

इस तरफ एक बार फिर से इंदिरा गांधी जी की राजनैतिक छवि काफी खराब हो गई एवं इसकी कीमत उन्हें अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।

दरअसल, गोल्डन टेंपल में हुए भयावह नरसंहार का बदला लेने के लिए इंदिरा गांधी जी के दो सिख बॉडीगार्ड सतवंत सिंह और बित सिंह ने 31 अक्टूबर, 1984 को इंदिरा गांधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी।

निस्कर्ष-

देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी के प्रधानमंत्री बनने का सफर काफी प्रेरणादायक है। इसके साथ ही उन्होंने जिस तरह काफी चुनौतियों का सामना कर खुद को दुनिया की सबसे सशक्त एवं मजबूत महिला के रुप में पहचान दिलवाई वो सराहनीय है।

यही नहीं प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए इंदिरा गांधी जी ने देश के आर्थिक, औद्योगिक, विज्ञान और कृषि समेत कई क्षेत्रों में विकास काम करवाए एवं भारत को एक मजबूत राष्ट्र के रुप उभारने में मदत की।

इंदिरा गांधी जी के देश के लिए किए गए योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

21 thoughts on “इंदिरा गांधी जी का प्रेरणादायी सफर”

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so nice story thank you for giving me information.

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Sir apne btya nahi indira g kitni language janti thi

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hello sir good information very helpful knowledge thank you sir

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firoj parsi tha to shadi ke bad endira ji gandhi se parsi kyu nahi huee gandhi laga kar bhartiyo ko bevkoof banaya aur ab tak bana hi rahe hai rahul rajeev gandhi kaise ye to parsi huye

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क्योंकि अगर पारसी किसी दूसरे धर्म मे शादी करता है तो उन्हें पारसी नही माना जाता है, इसलिए सिर्फ कुछ लाख पारसी ही दुनिया मे बचे है अब ।

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Indira Gandhi Biography in Hindi – इंदिरा गाँधी की जीवनी

भारत की एक ऐसी शक्तिशाली महिला प्रधानमन्त्री जिनके बारे में तो आप जानतें ही होगें? इस बायोग्राफी पोस्ट में आप इनके सम्पूर्ण जीवन के बारे में बिस्तार से जानेगे, तो चलिए शुरू करते हैं Indira Gandhi Biography in Hindi से जुडी सभी जानकारी के बारे में हिन्दी में।

इन्दिरा गाँधी का जीवन परिचय –

इन्दिरा गाँधी भारत की पहली महिला प्रधानमन्त्री थीं, इनको प्रियदर्शिनी गाँधी के नाम से भी जाना जाता है, यह लगातार 3 पारी के लिए भारत गणराज्य की प्रधानमन्त्री थीं। इनका जन्म 19 नवंबर 1917 को इलाहाबाद, ब्रिटिश भारत (वर्तमान में प्रायगराज) में हुआ था। भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री श्री जवाहर लाल नेहरू इनके पिता थे और कमला नेहरू इनकी माता थीं। इन्होने फ़िरोज़ गाँधी से विवाह किया था, इनके दो बेटे थे, जिनका नाम राजीव गाँधी और फ़िरोज़ गाँधी था, जिनके बारे में आप अच्छी तरह से जानतें होगें। सोनिया गाँधी और मेनका गाँधी इनकी बहुएं हैं, राहुल गाँधी , प्रियंका गाँधी और वरुण गाँधी इनके पोते हैं।

कार्यकाल और पद –

  • 1959 और 1960 के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गयीं।
  • वर्ष 1966 से 1977 तक लगातार 3 बार भारत की प्रधानमन्त्री रहीं
  • 14 जनवरी1980 – 15 जनवरी 1982 के बीच भारत की रक्षामंत्री भी रहीं
  • 27 जून 1970 – 4 फ़रवरी 1973 के बीच भारत की गृहमन्त्री भी रही
  • 16 जुलाई 1969 – 27 जून 1970 के बीच इंदिरा जी भारत की वित्तमंत्री भी रहीं थी।
  • चौथी पारी में 1980 से लेकर 1984 में उनकी राजनैतिक हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं।

Indira Gandhi Biography in Hindi – संछिप्त परिचय

  • वास्तविक नाम – इन्दिरा प्रियदर्शिनी गाँधी
  • प्रचलित नाम – आयरन लेडी
  • प्रोफेशन – राजनीतिज्ञ
  • जन्म – 19 नवंबर 1917 को नेहरू परिवार में
  • पिता का नाम – पूर्व प्रधानमन्त्री पंडित नेहरू
  • माता का नाम – कमला नेहरू
  • संताने – राजीव गाँधी (पूर्व प्रधानमन्त्री) और फ़िरोज़ गाँधी
  • विदेश तथा घरेलू नीति एवं राष्ट्रिय सुरक्षा के लिए कार्य किया।
  • परमाणु कार्यक्रम पर भी कुछ कार्य किये थे।
  • हरित क्रांति में भी समर्थन किया था।
  • 1971 के चुनाव में विजय और द्वितीय कार्यकाल
  • भ्रष्टाचार आरोप और चुनावी कदाचार का फैसला
  • आपातकालीन स्थिति (1975-1977)
  • ओपरेशन ब्लू स्टार और हत्या

इंदिरा गांघी की शिक्षा –

इन्दिरा गाँधी के बारे में कहा जाता है कि उस ज़माने में जब देश में शिक्षा का अस्तर काफी कम हुआ करता था, तब भी इन्होने काफी अच्छी शिक्षा ली थी, तब भारत में महिला शिक्षा नाममात्र हुआ करती थी। 1934–35 में इन्दिरा ने अपनी स्कूली शिक्षा समाप्त कर ली थी, यह सोमरविल कॉलेज, ऑक्सफोर्ड (इंग्लैंड) से पढ़ी थीं, बताया जाता है की ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में बैठीं थीं मगर यह उसमे विफल रहीं बाद में यह ब्रिस्टल के बैडमिंटन स्कूल में कुछ महीने रहीं थी, बाद में इन्होने फिर से वर्ष 1937 में परीक्षा में सफल होने के बाद सोमरविल कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में दाखिला लिया। इसके पहले इन्होने विश्व-भारती विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया था। शिक्षा पूरी होने के बाद इंदिरा गाँधी भारत वापस आ गयीं जहाँ इन्होने 16 मार्च 1942 को आनंद भवन, इलाहाबाद में एक निजी आदि धर्म ब्रह्म-वैदिक समारोह में फिरोज़ से विवाह किया था।

इन्दिरा गाँधी का राजनितिक सफर –

सबसे पहले यह कांग्रेस की अध्यक्ष बनी थीं। उसके बाद यह लगातार तीन बार देश की प्रधानमन्त्री थीं। यह भारत की पहली महिला प्रधानमन्त्री थीं। चौथी बार प्रधानमन्त्री बनी उसी दौरान इनकी हत्या हुई थी।

इन्दिरा गाँधी पुरस्कार और सम्मान –

वर्ष इंदिरा को 1953 में यूएसए में मदर्स अवार्ड भी दिया गया। 1967 और 1968 में फ्रेंच इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन के पोल के मुताबिक इंदिरा फ्रेंच लोगों की सबसे पसंदीदा नेता थीं। 1971 में यूएसए के विशेष गेलप पोल सर्वे के मुताबिक इंदिरा दुनिया के सबसे सम्मानीय महिला थी। इन्होने अपने समय में सशक्त महिला के लिए भी कई कार्य किये थे। वर्ष 1971 में इनको भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

इनके नाम से देश में कई म्यूजियम, मेमोरियल, हॉस्पिटल, एजुकेशनल इंस्टिट्यूट, एयरपोर्ट, रिसर्च सेण्टर, आई. आई टी, ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू), समुद्री ब्रिज पंबन जैसे कई संस्थान हैं।

रोचक जानकारी –

इनको लोगों द्वारा आयरन लेडी भी कहा जाता है। इन्होने देश के लिए बहुत कुछ किया है, इनके योगदान के बारे में विस्तार से जानने के लिए विकिपीडिया देखें। वर्ष 1971 में इंदिरा को बहुत बडे संकट का सामना करना पड़ा। इनके शासनकाल में भारत पाकिस्तान का युद्ध भी हुआ था जिसके बाद बांग्लादेश का जन्म हुआ।

इंदिरा गांघी की हत्या (मृत्यु)

इन्दिरा गाँधी के बहुसंख्यक अंगरक्षकों सतवंत सिंह और बेअन्त सिंह ने 31 अक्टूबर 1984 को इनकी हत्या कर दी थी, उसके बाद देश में दंगे हो गए थे बाद में राजीव गाँधी को देश का प्रधानमन्त्री बनाया गया था।

इन्दिरा गाँधी का जीवन परिचय आपको कैसा लगा? अधिक जानकारी के लिए गूगल सर्च करें।

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इंदिरा गांधी की जीवनी – Biography of Indira Gandhi in Hindi

Biography of Indira Gandhi in Hindi ( इंदिरा गांधी की जीवनी ): भारत के राजनीतिक आकाश में, श्रीमती इंदिरा गांधी अमलान ज्योतिषी हैं. नेहरू परिवार जैसी परंपराएं भारतीय राजनीति में व्याप्त हो गई हैं, पारंपरिक रूप से पूरी दुनिया में दुर्लभ हैं. ‘प्रियदर्शनी इंदिरा’ का नाम भारतीय राजनीति में उनकी प्रसिद्धि के लिए भारत के इतिहास में सोने में अंकित किया जाना चाहिए. महिलाएं केवल ब्राइड्समेड्स नहीं हैं, वह एक सामाजिक कार्यकर्ता, एक नेत्री और एक ही समय में शासक हो सकती हैं, श्रीमती इंदिरा गांधी ने इस बात के धमाकेदार सबूत दिए हैं.

Biography of Indira Gandhi in Hindi – इंदिरा गांधी की जीवनी

जन्म और बचपन.

इंदिरा प्रियदर्शिनी का जन्म 19 नवंबर 1917 को हुआ था. वह भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और श्रीमती कमला नेहरू की इकलौती बेटी हैं.

उस समय, राष्ट्र के पिता महात्मा गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व कर रहे थे. इंदिरा का जन्मस्थान प्रसिद्ध आनंद भवन उस समय स्वतंत्रता सेनानियों का मिलन स्थल था. महात्मा गांधी के प्रभाव और बाकी प्रमुख नेताओं ने इंदिरा के जीवन को प्रभावित किया. कम उम्र से, उन्होंने अपना जीवन देश को समर्पित कर दिया.

उनकी बचपन की शिक्षा पहली बार स्विट्जरलैंड के एक स्कूल में हुई थी. कमला नेहरू की मृत्यु के बाद, वह घर लौट आए. इसके बाद वे शिक्षा के लिए शान्तिनिकेतन गए. थोड़े समय वहां रहने के बाद उन्हें इंग्लैंड के प्रसिद्ध ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भर्ती हो गए. महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से प्रेरित होकर, उन्होंने बच्चों के साथ 1929 में अंग्रेजों के खिलाफ ‘वानरसेना’ का गठन किया. पुलिस स्टेशन के बाहर ‘ वानरसेना’ की टीम ने खेल खेला करके अधिकारियों को पुलिस के विभिन्न षड्यंत्रों के बारे में बताया.

शांतिनिकेतन का अध्ययन करते समय, वह प्रसिद्ध मणिपुरी नृत्य में रुचि रखते थे. उन्हें संगीत, नृत्य और कला का गहरा शौक था.

विवाह और राजनीतिक जीवन

1941 में, उन्होंने फिरोज गांधी से शादी की. फिरोज एक मुसलमान था. सबसे पहले, उनके पिता, जवाहरलाल नेहरू ने इंदिरा को ऐसी हिंदू-विरोधी गतिविधियों को रोकने की अनुमति देने से इनकार कर दिया; लेकिन महात्मा गांधी ने फिरोज को पुत्र के रूप में अपनाने के कारण और सामाजिक समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ा. शादी के बाद, वह अपने पति के साथ लखनऊ में बस गईं. 1942 में, महात्मा गांधी के आग्रह पर वे ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन में योग दिए. इसलिए उन्होंने लंबे तेरह महीने जेल में बिताए.

15 अगस्त 1947 को देश स्वतंत्र हो गया और जवाहरलाल भारत के पहले प्रधानमंत्री बने. उसी दिन से, वह अपने पिता के साथ जुड़ गए और प्रत्यक्ष राजनीति में भाग लिए. उन्होंने विभिन्न देशों में राजनीति, संस्कृति और विदेश नीति के बारे में जानने के लिए अपने पिता के साथ विदेश यात्र कर रही थी.

1955 में, वे कांग्रेस कार्यकारी समिति में शामिल हो गए. चार साल बाद, उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में शपथ ली. इस अवधि के दौरान उनके हस्तक्षेप ने गुजरात, महाराष्ट्र विवाद और केरल में अस्थिर राजनीतिक स्थिति को हल किया.

1960 में फिरोज की मृत्यु हो गई. उन्होंने शांति और सामाजिक सुरक्षा के लिए काम करना शुरू किया.

1964 में जवाहरलाल की मृत्यु ने उनके जीवन में एक गहरा प्रभाव पड़ा. बाद में उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में सूचना और जनसंपर्क मंत्रालय संभाला.

प्रधान मंत्री और देशभक्ति काम   

1967 में लाल बहादुर की मृत्यु ने प्रधानमंत्री के रूप में कांग्रेस पार्टी के लिए कई समस्याएं पैदा कीं. आखिरकार, श्रीमती गांधी को निर्विवाद नेत्री  के रूप में चुना गया और उन्होंने भारत के प्रधान मंत्री के रूप में पदभार संभाला.

फिर उनकी प्रसिद्धि विदेशों में फैल गई. 1967 के चुनाव के बाद, उन्होंने कांग्रेस पार्टी का फिर से नेतृत्व किया. इस दौरान, उन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाषण देने के लिए सम्मानित किया गया. विश्व में शांति और स्थिरता लाने में उनकी भूमिका सराहनीय है.

1971 में फिर से आम चुनाव हुए. उनके नेतृत्व में, कांग्रेस ने शानदार जीत हासिल की. इस प्रकार, 1977 तक, उन्हें प्रधान मंत्री फिर से चुना गया. उनके कार्यों से प्रभावित होकर, तत्कालीन राष्ट्रपति वी.वी. गिरि ने उन्हें ‘भारत रत्न’ की उपाधि से सम्मानित किया.

नागा समस्या, बिहार समस्या, असम समस्या, बैंक राष्ट्रीयकरण और बांग्लादेश युद्ध, कई जटिल समस्याओं को बहुत प्रभावी ढंग से हल करने में सक्षम थी इंदिरा गाँधी. उन्होंने 1975 में आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी क्योंकि देश की आंतरिक स्थिति विकट थी. इस दौरान देश में काफी प्रगति हुई; लेकिन आपात स्थितियों का लाभ उठाते हुए, विभिन्न तिमाहियों ने भ्रष्टाचार के विभिन्न रूपों का सहारा लिया. नतीजतन, बीस सूत्री कार्यक्रम सफल नहीं रहा. अधिकारियों ने सत्ता से बाहर का काम किया और जनता के असंतोष को भड़काया. परिणामस्वरूप, उनका अपमान किया जाने लगा. इसलिए 1977-80 में वह इन तीन सालों के लिए सत्ता से बाहर थे. 1980 में देश में फिर से आम चुनाव हुए. इस बार उनके नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने शानदार जीत दर्ज की.

उन्होंने देश से गरीबी उन्मूलन के लिए “गरीबी हटाओ” का आह्वान किया. भारत की गरीब जनता इंदिरा गांधी को कभी नहीं भूलेगी.

समूह सम्मेलन में उनकी भूमिका अविस्मरणीय है. उन्होंने दुनिया में शांति लाने के लिए अथक प्रयास की थी.

31 अक्टूबर 1984 को उनको गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया ने उनकी मृत्यु पर शोक व्यक्त किया.

उपसंहार                          

श्रीमती इंदिरा गांधी की अमर प्रतिभा को दुनिया के लोग हमेशा याद रखेंगे. प्रशासन में उनकी भूमिका अत्यंत सराहनीय है. उनकी मृत्यु में, भारतीय लोगों ने एक प्रिय नेत्री को खो दिया. उनका मजबूत नेतृत्व और गतिविधियां हमेशा बरकरार रहेंगी.

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  1. इंदिरा गांधी जीवनी

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  2. The Biography of Indira Gandhi

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  3. Indira Gandhi’s Biography in Hindi: इंदिरा गांधी की जीवन परिचय

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  4. Indira Gandhi Biography

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  5. इंदिरा गांधी जीवन परिचय

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  6. Indira Gandhi Biography in Hindi Language इंदिरा गाँधी की जीवनी

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  1. इंदिरा गांधी के जीवन का काला सच

  2. इंदिरा गांधी की पूरी जीवनी || Biography of Indira Gandhi in Hindi

  3. The Life Of Indira Gandhi

  4. Indira Gandhi

  5. Indira Gandhi: Life, success and mistakes (BBC Hindi)

  6. Know the life history of Iron Lady: Indira Gandhi

COMMENTS

  1. इन्दिरा गांधी

    इन्दिरा प्रियदर्शिनी गाँधी (जन्म उपनाम: नेहरू) (१९ नवम्बर १९१७- ३१ अक्टूबर १९८४) वर्ष १९६६ से १९७७ तक लगातार ३ पारी के लिए भारत गणराज्य की प्रधानमन्त्री रहीं और उसके बाद चौथी पारी में १९८० से लेकर १९८४ में उनकी राजनैतिक हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। वे भारत की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं।. प्रारं…

  2. इंदिरा गांधी : जीवन परिचय

    पंडित जवाहर लाल नेहरू की पुत्री श्रीमती इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर, 1917 को एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। इंदिराजी ने इकोले नौवेल्ले, बेक्स (स्विट्जरलैंड); …

  3. Indira Gandhi Biography in Hindi: भारत की

    जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में छोटी सी भूमिका निभाई थी। Indira Gandhi biography in hindi से संबंधित अन्य बिंदु नीचे दिए गए हैं ।

  4. Indira Gandhi Biography in Hindi

    इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी जी देश की प्रथम और अब तक की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री थी, जो कि अपने राजनैतिक कौशल और सूझबूझ के लिए भी पहचानी जाती थी। उन्होंने उस समय देश का प्रधानमंत्री के रुप में …

  5. इंदिरा गाँधी की जीवनी

    Indira Gandhi Biography | इंदिरा गांधी जीवनी शिक्षा | Education प्रधानमंत्री | Prime Minister

  6. Indira Gandhi Biography in Hindi

    Indira Gandhi Biography in Hindi – संछिप्त परिचय. वास्तविक नाम – इन्दिरा प्रियदर्शिनी गाँधी. प्रचलित नाम – आयरन लेडी. प्रोफेशन – राजनीतिज्ञ. जन्म – 19 ...

  7. जीवनी- Indira Gandhi Biography in Hindi

    Indira Gandhi Biography in Hindi. Indira Gandhi Ka Jeevan Parichay in Hindi इन्दिरा गांधी का जन्म 19 नवम्बर सन् 1917 में इलाहाबाद में हुआ। माता श्रीमती कमला नेहरू और पिता श्री …

  8. इंदिरा गांधी की जीवनी

    Biography of Indira Gandhi in Hindi – इंदिरा गांधी की जीवनी. जन्म और बचपन. इंदिरा प्रियदर्शिनी का जन्म 19 नवंबर 1917 को हुआ था. वह भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और श्रीमती कमला नेहरू की …