शिक्षा और रोजगार पर निबंध । Essay on Education and Employment
शिक्षा और रोजगार दो ऐसे महत्वपूर्ण मामले हैं जो हर व्यक्ति के जीवन को समृद्ध और सफल बनाने में मदद करते हैं। शिक्षा व्यक्ति को ज्ञान और कौशल देती है, जबकि रोजगार उसे आर्थिक आधार प्रदान करता है। यह निबंध शिक्षा और रोजगार के महत्व, उनके अंतर, शिक्षा के लाभ, रोजगार की आवश्यकता और शिक्षा और रोजगार के साथ जुड़े समस्याओं पर चर्चा करेगा।
दोस्तों, आज के समय में शिक्षा के साथ रोजगार पाना बहुत मुश्किल हो गया है। क्योंकि शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी कुछ लोगों को रोजगार के लिए भटकना पड़ता है। देखा जाये तो एक मनुष्य के जीवन शिक्षा उसका महत्वपूर्ण आधार होता है।
शिक्षा प्राप्त करने के बाद अक्सर लोग रोजगार के तलाश में कई लोग नौकरी करते है तो कोई अपना व्यवसाय करते है। ऐसा सब उनके सोच पर निर्भर करता है। अपने हिसाब से देखा जाये तो शिक्षा और रोजगार में कोई ज्यादा सम्बन्ध नहीं है, क्योंकि शिक्षा मनुष्य का प्रमुख उद्देश्य है। जो उसके अच्छे विचार व क्षमताओं के ज्ञान का बोध कराता है।
एक अच्छा इंसान और एक योग्य व्यक्ति को बनाने में शिक्षा का ही बड़ा योगदान होता है जो व्यक्ति को रोजगार का अवसर प्रदान करता है। जो आज कल शिक्षा में महत्व को समझा जा सकता है। अगर किसी व्यक्ति को महापुरुष या काबिल बनना है तो उसके शिक्षा बहुत जरूरी है।
शिक्षा का महत्व
शिक्षा लोगों को पढ़ने व लिखने की क्षमता को प्रदर्शित करती है। शिक्षा हमारे जीवन का सबसे पहली सीढ़ी होती है। यदि आज के समय में आपके पास शिक्षा का अभाव है और कौशल की कमी है तो आप अपने समाज के गतिविधियों से दूर है और रोजगार से आप वंचित रह जायेंगे।
एक शिक्षा ही मनुष्य को साक्षर बनाता है जो रोजगार के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण होता है। कभी – कभी देखा जाता है की अशिक्षित लोगों का काफी नुकसान सहना पड़ता है। वह चाहकर भी अपने जीवन कुछ अच्छा करना चाहे या फिर आगे बढ़ना चाहे तो भी कर सकता है।
अगर कोई अशिक्षित व्यक्ति अपना जीवन में कुछ सफलता प्राप्त कर भी लेता है तो भी उसके पास हमेशा कौशल की कमी खलती रहती है। शिक्षा व्यक्ति का सभ्यता और वाणी को सुधार कर उसको सज्जन पुरुष बनाता है। समाज में सभी व्यक्तियों के प्रति समानता की भावना प्रदान करता है।
शिक्षित व्यक्ति को हमेशा लाभ प्राप्त होता है। शिक्षा व्यक्ति को प्रौद्योगिकी को बेहतर बनाने में मदद करता है वह उसके तकनीक की कौशल को निखारने में उपयोगी साबित होता है।
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शिक्षा मानव समाज के विकास और प्रगति का महत्वपूर्ण तत्व है। यहां कुछ मुख्य कारण दिए जाएंगे जिनके कारण शिक्षा महत्वपूर्ण है:
- ज्ञान और कौशल की प्राप्ति : शिक्षा के माध्यम से हम ज्ञान और कौशल प्राप्त करते हैं जो हमें अपने करियर में सफलता की ओर आगे बढ़ने में मदद करते हैं।
- व्यक्तित्व विकास : शिक्षा मानव के व्यक्तित्व का विकास करती है। यह स्वयं को पहचानने, आत्मविश्वास को बढ़ाने, सोचने की क्षमता को विकसित करती है और सामाजिक संबंधों में सकारात्मक योगदान करने में मदद करती है।
- सामाजिक सुधार: शिक्षित लोग सामाजिक सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। शिक्षा से उन्नति पाने वाले लोग अपने आस-पास के समाज को सशक्त बनाने और उन्नति को ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों तक पहुंचाने में मदद कर सकते हैं।
रोजगार पर निबंध
रोजगार एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जो हर देश की आर्थिक विकासता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह व्यक्ति को आर्थिक सुरक्षा, स्वतंत्रता और सम्मान प्रदान करने का एक माध्यम है। रोजगार न केवल व्यक्तियों की जीविका को सुनिश्चित करता है, बल्कि उनके व्यक्तित्व और सामाजिक स्थिति को भी प्रभावित करता है।
आधुनिक विश्व में रोजगार की बात एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन गई है। बढ़ते आधार पर बढ़ते जनसंख्या, तकनीकी प्रगति और वाणिज्यिकरण के कारण, नौकरी की मांग बढ़ती जा रही है। यह मुद्दा न केवल विकासशील देशों को प्रभावित करता है, बल्कि विकासहीन देशों में गरीबी और असमानता के कारण बड़ा मुद्दा बन रहा है।
रोजगार के महत्व को समझने के लिए, हमें उसके पृथक आयामों को विचार करना चाहिए। व्यक्तिगत स्तर पर, रोजगार आपको आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करता है, आपके खर्चों को पूरा करने में सहायता करता है, और आपकी आत्मविश्वास को बढ़ाता है। सामाजिक स्तर पर, रोजगार समाज की अनुकूलता और सुख-शांति के लिए आवश्यक है। रोजगार के माध्यम से, लोग अपने परिवार को संतुष्टि और सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं और सामाजिक आधारों पर उठते हैं।
रोजगार का महत्व
रोजगार मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण है और इसके कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
- आर्थिक आधार प्रदान: रोजगार से हम आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकते हैं। यह हमें आवश्यक धन संसाधन प्रदान करके आर्थिक स्थिति में स्थिरता और सुरक्षा प्रदान करता है।
- स्वतंत्रता और सम्मान: रोजगार मानव को स्वतंत्रता का अनुभव और समाज में सम्मान प्राप्त करने का अवसर देता है। एक व्यक्ति का अपनी मेहनत और कौशल के आधार पर सफलता प्राप्त करना उसके स्वाभिमान को बढ़ाता है।
- सामाजिक सुरक्षा: रोजगार एक व्यक्ति को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करता है। एक नौकरी में होने से व्यक्ति को स्थायी आय और सुरक्षा की भावना होती है, जो उसे आने वाले कठिनाइयों के खिलाफ ताकतवर बनाती है।
शिक्षा और रोजगार के अंतर
ये शिक्षा और रोजगार दोनों ही समाज के विकास के दो महत्वपूर्ण स्तम्भ। शिक्षा ज्ञान का स्रोत होती है, जबकि रोजगार आत्म-समर्पण और आत्म-विश्वास की मूल निर्माता है।
- शिक्षा की प्राप्ति के लिए समय और निवेश: लोगो को शिक्षा प्राप्त करने के लिए अधिक समय और निवेश की आवश्यकता होती है, जबकि रोजगार में आपको शिक्षा के लिए कम समय और निवेश की जरूरत होती है। शिक्षा में व्यापक और गहरा ज्ञान प्राप्त किया जाता है, जबकि रोजगार में व्यावसायिक कौशल और अनुभव की आवश्यकता होती है।
- शिक्षा के लाभ : शिक्षा व्यक्ति के जीवन में विकास और समृद्धि का माध्यम है। यह उसके ज्ञान को विस्तारित करती है और समाज में सच्चे साक्षरता की ओर पथ प्रदर्शित करती है।
- नवीनतम ज्ञान और सौभाग्य: शिक्षित होने से हम नवीनतम ज्ञान का आनंद ले सकते हैं और तकनीकी विकास में रह सकते हैं। यह हमें अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सौभाग्य प्रदान करता है।
- स्वयं विकास और स्वाधीनता: शिक्षा से हम अपने स्वयं को विकसित करने और स्वाधीनता की भावना प्राप्त कर सकते हैं। शिक्षा नई सोच, स्वतंत्रता, और निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करती है जो हमें अपने लक्ष्यों की ओर अग्रसर करती है।
- समाज में सकारात्मक परिवर्तन: शिक्षा व्यक्ति में सकारात्मक परिवर्तन लाती है और उसे समाज में सकारात्मक परिवर्तन का योगदान देने के लिए प्रेरित करती है। शिक्षित व्यक्ति समाज के लिए उदारवादी और समझदार नागरिक बनता है और सामाजिक परिवर्तन को गति देने में मदद करता है।
रोजगार की आवश्यकता
रोजगार की आवश्यकता कुछ मुख्य कारणों से उत्पन्न होती है, जैसे:
- आर्थिक स्थिति में सुधार: जीवन में रोजगार आर्थिक स्थिति में सुधार करने में मदद करता है। जब लोग रोजगार प्राप्त करते हैं, तो उन्हें आर्थिक रूप से स्थिर होने का अवसर मिलता है और उनकी आर्थिक स्थिति सुधारती है।
- नई तकनीकों का उपयोग: रोजगार की आवश्यकता उच्च तकनीकी योग्यता के साथ आती है। तकनीकी प्रगति और विज्ञान ने नए क्षेत्रों के विकास का मार्ग प्रदान किया है और ऐसे क्षेत्रों में रोजगार की आवश्यकता होती है।
- नौकरी प्रावधान की आवश्यकता: एक संगठन या व्यापार के लिए काम करने वाले लोगों की आवश्यकता होती है। नौकरी प्रावधान रोजगार के अवसर प्रदान करता है और व्यक्तियों को सक्षम बनाकर उन्हें अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार करने में मदद करता है।
शिक्षा और रोजगार के साथ जुड़ी समस्याएं
दोनों शिक्षा और रोजगार ऐसे आधुनिक सामान हैं जो व्यक्तियों को समृद्ध और समाज में सफल बनाने की मार्गदर्शन करते हैं। लेकिन इन दोनों के क्षेत्रों में उत्थान के लिए चुनौतियों का सामना करना भी अक्सर आवश्यक होता है।
- शिक्षा में असमानता: शिक्षा के प्राप्ति में असमानता एक मुख्य समस्या है। कुछ क्षेत्रों में शिक्षा के उपलब्ध संसाधनों की कमी होती है जो विभाजन, असमानता और न्याय को प्रभावित करती है।
- नौकरी की कमी: कई बार शिक्षित व्यक्तियों को उच्च स्तर की शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद नौकरी में समस्या हो सकती है। इसकी एक मुख्य कारण हो सकती है कि उच्च योग्यता वाले व्यक्तियों के लिए संगठनों में पर्याप्त रोजगार का आवास नहीं होता है।
- विद्यार्थियों के दबाव: विद्यार्थियों के ऊपर अधिक शिक्षा और करियर के दबाव हो सकते हैं। वे समाज में सफलता प्राप्त करने के लिए अधिकाधिक प्रतिस्पर्धा और दबाव महसूस कर सकते हैं, जो उनमें तनाव और असुरक्षा का कारण बन सकता है।
इन समस्याओं का सामना करने के लिए, समाज और सरकार को शिक्षा और रोजगार के लिए समान अवसर प्रदान करने और सभी व्यक्तियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उचित नीतियों और प्रणालियों का विकास करना आवश्यक होता है।
शिक्षा के क्षेत्र में रोजगार के अवसर पर निबंध
शिक्षा, मानव समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और इसका आदर्श उद्देश्य समृद्धि और समरसता का सृष्टि करना है। इसके साथ ही, शिक्षा के क्षेत्र में रोजगार के अवसर उत्पन्न होते हैं, जो समाज के लोगों को विभिन्न क्षेत्रों में काम करने का मौका प्रदान करते हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में रोजगार के अवसर:
- शिक्षा केंद्रों के शिक्षक और प्रशिक्षक: विभिन्न शिक्षा स्तरों पर शिक्षकों और प्रशिक्षकों की आवश्यकता होती है। प्राथमिक स्तर से लेकर उच्च शिक्षा तक, यहां तक कि विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता और प्रोफेशनल शिक्षा देने वाले प्रशिक्षकों की भी मांग है।
- शैक्षिक संगठनों में प्रबंधन: शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न संगठनों में प्रबंधन के लिए भी रोजगार के अवसर होते हैं। यहां तक कि विद्यालय, कॉलेज, विश्वविद्यालयों, और शिक्षा संगठनों के उच्च स्तरीय पदों के लिए भी आवश्यकता है।
- शिक्षा निगमों और संगठनों में तकनीकी सहायक: शिक्षा संगठनों और निगमों में तकनीकी सहायकों की जरूरत होती है जो शैक्षिक सामग्री, सॉफ़्टवेयर, और इंफ्रास्ट्रक्चर को संचालित रखने में मदद करते हैं।
- शिक्षा संबंधित निगमों और अनुसंधान संस्थानों में अनुसंधान अधिकारी: शिक्षा के क्षेत्र में नई तकनीक, पद्धतियाँ, और उपायों का अनुसंधान करने के लिए अनुसंधान अधिकारियों की आवश्यकता है जो नए और सुधारित शिक्षा प्रणालियों को प्रोत्साहित करते हैं।
रोजगार के अवसरों की चुनौतियाँ:
- उच्च शिक्षा की अधिकता: कुछ क्षेत्रों में शिक्षा के क्षेत्र में अवसरों की बढ़ती मांग के कारण उच्च शिक्षा प्राप्त करने वालों की अधिकता हो सकती है, जिससे सुधारित कौशलों और विशेषज्ञताओं की आवश्यकता होती है।
- तकनीकी योग्यता की आवश्यकता: शिक्षा के क्षेत्र में नौकरी प्राप्त करने के लिए तकनीकी योग्यता एवं दक्षता की मांग हो सकती है, जिसका संज्ञान रखना महत्वपूर्ण है।
- सामूहिक और सांविदानिक सुनावट: शिक्षा के क्षेत्र में रोजगार पाने के लिए सामूहिक और सांविदानिक सुनावटों का सामना करना हो सकता है, जिसमें अच्छी व्यक्तिगत और सामाजिक संबंधों की आवश्यकता होती है।
इस निबंध से प्रकट होता है कि शिक्षा और रोजगार दोनों मामले व्यक्ति के जीवन में आवश्यक हैं। शिक्षा व्यक्ति को ज्ञान, कौशल, व्यक्तित्व विकास, और सामाजिक सुधार प्रदान करती है, जबकि रोजगार आर्थिक आधार, स्वतंत्रता , और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करता है।
हालांकि, इन दोनों के बीच अंतर भी है, जैसे शिक्षा के लिए समय और निवेश की आवश्यकता और रोजगार की आवश्यकता में अनुभव की आवश्यकता। इसलिए, हमें शिक्षा को महत्वपूर्ण रखना चाहिए और रोजगार के लिए तकनीकी, उच्चतर शिक्षा, और नौकरी प्रावधान की आवश्यकता को पूरा करने की आवश्यकता है।
शिक्षा मानव जीवन में ज्ञान, सूक्ष्मता, और समझ की शक्ति प्रदान करती है। यह व्यक्ति को समाज में सक्रिय भागीदार बनाती है और उसे अपने विचारों को सही तरीके से व्यक्त करने में मदद करती है।
रोजगार व्यक्ति को आर्थिक सुरक्षा, स्वतंत्रता, और सम्मान प्रदान करता है। यह उसकी जीविका को सुनिश्चित करता है और उसके व्यक्तित्व को भी प्रभावित करता है।
हां, शिक्षा और उद्योग एक-दूसरे के पूरक होने चाहिए। अच्छी शिक्षा और कौशल सेट के साथ व्यक्ति बेहतर रोजगार और नौकरी के अवसरों को प्राप्त कर सकता है।
बढ़ती जनसंख्या, तकनीकी प्रगति, और वाणिज्यिकरण के कारण रोजगार की मांग में वृद्धि हो रही है, जिससे कई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
शिक्षा एक माध्यम है, जो व्यक्ति को उच्च स्तरीय कौशल देती है, लेकिन रोजगार की गारंटी नहीं होती है।
टीम वर्क, कम्युनिकेशन, टेक्निकल नौस, और नवाचारी सोच जैसे कौशल रोजगार में महत्वपूर्ण होते हैं।
युवा अपनी शिक्षा में ध्यान देने के साथ-साथ कौशलों का विकास करके नये और विविध रोजगार के अवसर प्राप्त कर सकते हैं।
कौशल विकास, उद्योगों में नई तकनीकों का प्रयोग, सरकारी योजनाएं और उद्यमिता को बढ़ावा देने से रोजगार समस्याएं कम की जा सकती हैं।
शिक्षा और रोजगार दोनों ही एक-दूसरे के पूरक होते हैं। शिक्षित व्यक्ति बेहतर रोजगार और नौकरी के अवसरों को समझ सकता है।
शिक्षा व्यक्ति को अधिक कौशलिक बनाती है और उसे उन्नत रोजगार के लिए तैयार करती है। इससे उसकी नौकरी प्राप्ति में सहायता मिलती है।
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भारत में बेरोजगारी की समस्या | The Problem of Unemployment in India in Hindi
भारत में बेरोजगारी की समस्या | The Problem of Unemployment in India in Hindi!
बेरोजगारी आधुनिक समाज की मुख्य समस्या बन गई है । हमारे देश में भी यह बुरी तरह से फैल गई है । यह एक गंभीर समस्या है, जिसे दूर करने के लिए सक्षम नेतृत्व की आवश्यकता है ।
यदि हम समाज के ढाँचे में परिवर्तन से बचना चाहते हैं, तो इसके लिए इस समस्या के उचित और शीघ्र समाधान की आवश्यकता है । वैज्ञानिक उपलब्धियों के कारण जहाँ एक ओर पृथ्वी का आकार छोटा हो गया है, वहीं दूसरी ओर विशाल जनसंख्या के कारण इसका आकार बढ़ गया है ।
जनसंख्या वृद्धि के फलस्वरूप बेरोजगारी की समस्या भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है । रोजगार की सुविधाएं तो उतनी ही है, लेकिन जनसंख्या बढ़ती जा रही है । बेरोजगारी कई प्रकार की होती है । शिक्षित लोगों की बेरोजगारी की समस्या सबसे अधिक कष्टप्रद है ।
प्रत्येक वर्ष विद्यालयों, विश्वविद्यालयों से विद्यार्थियों की एक बड़ी भीड़ रोजगार के क्षेत्र में कदम रखती हैं । लेकिन उन सभी को जीविका उपलब्ध कराना एक बड़ी समस्या है । उनमें से कुछ प्रतिशत लोग ही जीविका प्राप्ति में सफल हो पाते है ।
ADVERTISEMENTS:
बेरोजगारी के मुख्य कारण तीन हैं । सबसे प्रमुख कारण जनसंख्या वृद्धि है । वर्ष 1981-91 के दौरान भारत की जनसंख्या लगभग 16 करोड़ बढ़ी थी और यह निरंतर बढ़ रही है । दूसरा कारण हमारी शिक्षा प्रणाली है । इसका रूप अव्यवहारिक और सैद्धान्तिक है, जो विद्यार्थियों को किसी प्रकार की जीविका के लिए तैयार करने में सक्षम नहीं हैं ।
तीसरा कारण यह है कि हमारे देश की जनसंख्या में तो वृद्धि हो रही है, लेकिन उसी गति से औद्योगिक उन्नति और राष्ट्रीय आय में वृद्धि नही हो रही है । बेरोजगारी के प्रति समाज और राज्य के दृष्टिकोण में अंतर भी बेरोजगारी की समस्या को बढाते है ।
बेरोजगारी की समस्या के अंदर ही इसका समाधान निहित है । इसके लिए जनसंख्या की वृद्धि को रोकने के उपाय, शिक्षा-प्रणाली में सुधार और समाज का पुन: निर्माण शामिल है । इस समस्या से जूझने का एक कारगर उपाय बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण को प्रोत्साहन देना है । औद्योगिक विकास से ही रोजगार के अवसर बढ़ सकते है ।
पिछले दशक से बेरोजगारी की समस्या के समाधान के लिए पर्याप्त कदम उठाए जा रहे हैं । नौंवीं पंचवर्षीय योजना मे प्रति वर्ष पाँच करोड़ नई नौकरियों का लक्ष्य सामने रखा गया है । इसमें जनसंख्या के प्रभावपूर्ण नियंत्रण सम्बन्धी उपाय अपनाने पर भी बल दिया गया है ।
इसके लिए प्रोत्साहन व निरूत्साह की नीति अपनाई जा सकती है । अत: हम सरकार से एक ऐसी नीति का निर्माण करने के आशा कर सकते है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति अपनी योग्यता, क्षमता व प्रतिभा का उपयोग करके सामाजिक दायित्व का निर्वाह कुशलतापूर्वक कर सकेगा ।
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Question and Answer forum for K12 Students
बेरोजगारी पर निबंध – Unemployment Essay in Hindi
बेरोजगारी पर छोटे तथा बड़े निबंध (essay on unemployment in hindi), (54) बेरोजगारी समस्या और समाधान अथवा बढ़ते बेरोजगार घटते रोजगार – (unemployment problem and solution – increasing unemployed decreasing employment).
- प्रस्तावना,
- भारत में बेरोजगारी का स्वरूप,
- बेरोजगारी के कारण,
- निवारण के उपाय,
साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।
प्रस्तावना- बेरोजगारी भारतीय युवावर्ग के तन और मन में लगा हुआ एक घुन है, जो निरन्तर उसकी क्षमता, आस्था और धैर्य को खोखला कर रहा है। प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में बढ़ते बेरोजगारों का समूह देश की अर्थव्यवस्था के दिवालियापन और देश की सरकारों के झूठे वायदों की करुण कहानी है। सच तो यह है कि ‘मर्ज बढ़ता ही गया ज्यों-ज्यों दवा की आपने।’
भारत में बेरोजगारी का स्वरूप- देश में बेरोजगारी के कई स्वरूप देखने को मिलते हैं। एक है आंशिक या अल्पकालिक बेरोजगारी और दूसरा पूर्ण बेरोजगारी। आंशिक. बेरोजगारी गाँवों में अधिक देखने को मिलती है।
वहाँ फसल के अवसर पर श्रमिकों को काम मिलता है, शेष समय वे बेरोजगार से ही रहते हैं। निजी प्रतिष्ठानों में कर्मचारी की नियुक्ति अनिश्चितता से पूर्ण रहती है। बेरोजगारी का दूसरा स्वरूप शिक्षित बेरोजगारों तथा अशिक्षित या अकुशल बेरोजगारों के रूप में दिखाई देता है।
बढ़ती बेरोजगारी-आज प्रत्येक परिवार में कुछ व्यक्ति बेरोजगार होते हैं। इन बेरोजगारों का भार परिवार के उन एक-दो सदस्यों पर पड़ता है, जो कुछ कमाते हैं। इस प्रकार निर्धन व्यक्ति और अधिक निर्धन बनता जाता है।
यद्यपि उद्योग-धन्धों का देश में काफी विस्तार हुआ है किन्तु साथ ही कुटीर उद्योगों के विनाश के कारण बेरोजगारी की दशा में कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं हो पाया है।
प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में विद्यालयों से निकलने वाले शिक्षित बेरोजगार समस्या को चिन्ताजनक बनाते जा रहे हैं। कृषि की निरन्तर उपेक्षा के कारण गाँवों से शहरों की ओर पलायन हो रहा है। बेरोजगारी अपराधी मानसिकता की वृद्धि का कारण बन रही है।
बेरोजगारी के कारण-भारत में दिनों-दिन बढ़ती बेरोजगारी के भी कुछ कारण हैं। इन कारणों का निम्नवत् वर्गीकरण किया जा सकता है-
(क) जनसंख्या वृद्धि-यह बेरोजगारी समस्या का मुख्य कारण है। जनसंख्या के घनत्व की दृष्टि से चीन के बाद हमारे ही देश का नाम आता है। जनसंख्या तो बढ़ती है, किन्तु रोजगार के स्रोत नहीं बढ़ते। अत: ज्यों-ज्यों जनसंख्या बढ़ती है, त्यों-त्यों बेरोजगारों की संख्या में भी वृद्धि होती जा रही है।
(ख) दूषित शिक्षा प्रणाली-आज की शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक परामर्श की कोई व्यवस्था अभी संतोषजनक नहीं है। आज का बालक जो शिक्षा पाता है, वह उद्देश्यरहित होती है। आजकल अनेक रोजगारोन्मुख पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं, किन्तु अत्यन्त महँगे होने के कारण सामान्य छात्र की पहुँच से बाहर हैं। इस प्रकार वर्तमान शिक्षा प्रणाली भी बेकारी की समस्या का मुख्य कारण है।
(ग) उद्योग नीति-सरकार की उद्योग नीति भी इस समस्या को विकराल बना रही है। हमारे यहाँ औद्योगिकीकरण के रूप में बड़े उद्योगों को बढ़ावा दिया जाता रहा है। आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति की दृष्टि से यह एक अच्छा कदम है, किन्तु मशीनीकरण के कारण बेकारी की समस्या और बढ़ गयी है। लघु अथवा कुटीर उद्योगों के विकास के लिए जो प्रयास किये जा रहे हैं, वे नितान्त अपर्याप्त हैं।
वर्तमान सरकार ने मनरेगा योजना को व्यवस्थित बनाकर, मुद्रा, स्टार्टअप, स्टेण्ड अप, जनधन खाता योजना आदि के द्वारा, बेरोजगारी की समस्या के हल के लिए सार्थक और पारदर्शी प्रयास किए गए हैं। अभी परिणाम भविष्य के गर्भ में हैं।
(घ) आरक्षण नीति-आज आरक्षण के नाम पर समाज के एक बड़े शिक्षित वर्ग की दुर्दशा हो रही है। राजनीतिक स्वार्थों के कारण शिक्षित बेरोजगारों की संख्या निरन्तर बढ़ती जा रही है।
(ङ) स्वरोजगार योजनाओं का दुरुपयोग-जवाहर रोजगार योजना, नगरीय रोजगार योजना, स्वर्ण जयन्ती योजना आदि सरकारी योजनाएँ केवल स्वार्थी और ऊपर तक पहुँच रखने वाले लोगों की जेबें भरती रही हैं। उनका लाभ वास्तविक पात्रों को मिल पाना बड़ा कठिन रहा है। अब सरकारी योजनाओं के लाभ पात्रों के खाते में सीधे पहुँचाकर इस भ्रष्ट परंपरा को समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है।
निवारण के उपाय-किसी समस्या का कारण जान लेने के बाद निवारण का मार्ग स्वयं खुल जाता है। आज सबसे अधिक आवश्यकता सामाजिक क्रान्ति लाने की है। हम प्राचीन व्यवस्थाओं और मान्यताओं को नये युग के अनुकूल ढालें, श्रम का सम्मान करें, यह परमावश्यक है। जनसंख्या वृद्धि पर नियन्त्रण भी आज के युग की माँग है, किन्तु यह कार्य केवल प्रशासनिक स्तर से सम्भव नहीं हो सकता। सरकार को मुख्य रूप से दो बातों पर ध्यान देना चाहिए-
- शिक्षा व्यवसाय केन्द्रित हो। शिक्षार्थियों को शिक्षा के साथ-साथ उचित परामर्श भी दिया जाय।
- लघु एवं कुटीर उद्योगों को विकसित किया जाय और सभी रोजगारपरक योजनाएँ व्यावहारिक हों।
उपसंहार- आज प्रत्येक राजनीतिक दल अपने चुनावी घोषणा-पत्र में बेकारी की समस्या के समाधान का आश्वासन देता है। कोई-कोई दल यह भी कहता है कि हम प्रत्येक व्यक्ति को रोजगार देंगे। यदि यह सम्भव न हुआ तो प्रत्येक बेरोजगार व्यक्ति को बेरोजगारी भत्ता देंगे। किन्तु बेरोजगारी भत्ता देने से ही समस्या का समाधान नहीं होगा और फिर यह सब कहने की ही बातें हैं। इस समस्या का हल तब तक नहीं होगा जब तक कि कोई ठोस और सुनियोजित कार्यक्रम लागू नहीं होता।
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बेरोजगारी पर निबंध हिंदी में | Essay On Unemployment in Hindi:- मनुष्य को जीवन यापन करने के लिए तीन चीजों की काफी जरूरत पड़ती है जैसे खाने के लिए रोटी, पहनने के लिए कपड़ा और रहने के लिए मकान ।और यह तीन चीजों को प्राप्त करने के लिए पैसे की जरूरत पड़ती है और इस पैसा को प्राप्त करने के लिए आय का स्रोत होना चाहिए जरुरी हैं। किसी के लिए पैसे कमाने का जरिया बिजनेस होता है तो कई लोगों के घर दो पैसे नौकरी के जरिए आते हैं। लेकिन आज के समय में देश में बेरोजगारी की समस्या चरम पर है, जिसके कारण लोगों को रोजगार का अवसर प्राप्त नहीं हो रहा है। बेरोजगारी की समस्या के मद्देनजर और इस खत्म करने के लिए भारत सरकार कई प्रकार के कार्यक्रम एवं योजनाओं का शुभारंभ करती आ रही है पर फिर भी यह एक ऐसी समस्या से जिससे निजात पाना मुश्किल हो गया है। आज के समय में अच्छे खासे पढ़े लिखे लोगों के लिए भी नौकरी पाना मुश्किल हो गया है। आए दिन स्कूलों और कॉलेजों में बेरोजगारी को लेकर कई तरह के सेमिनार आयोजित किए जाते है। वहीं कई जगह निबंध प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता हैं |
जिसमें निबंध का टॉपिक बेरोजगारी होता है। यदि आप लोग बेरोजगारी पर निबंध कैसे लिखें संबंधी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप हमारे इस आर्टिकल को अंत तक पढ़े। इस आर्टिकल का माध्यम से हम आप लोगों को छोटे एवं बड़े बेरोजगारी पर निबंध 300 शब्द, 500 शब्द, 750 शब्द कैसे लिखे जाते हैं इसकी जानकारी प्रदान करेंगे।
बेरोजगारी पर निबंध हिंदी में | Essay On Unemployment in Hindi
बेरोजगारी पर निबंध (300 शब्द) | essay on unemployment in hindi.
बेरोजगारी पूरे समाज के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। जो पूरे विश्व के समाज पर काफी गहरा प्रभाव डालता है। जिससे हम लोगों सामाजिक एवं आर्थिक रूप से काफी कमजोर हो जाते हैं। समाज में बेरोजगारी बढ़ने से कई प्रकार के दूरगामी प्रभाव देखने को मिलता है, जैसे:- गरीबों ,अपराध, और सामाजिक असमानता ।समाज में बेरोजगारी बढ़ाने के कई कारण उपलब्ध होते हैं। जनसंख्या में वृद्धि बेरोजगारी को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है । हम लोगों के देश में नए तकनीक उपकरणों का अविष्कार होने से नौकरी के क्षेत्र में नियुक्ति की संख्या दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है, जिसके कारण दिन हर दिन बेरोजगारी की संख्या में वृद्धि होती जा रही है।
आर्थिक मंदी भी बेरोजगारी की संख्या में वृद्धि करती है। आर्थिक मंदी के दौरान व्यवसाय अपने उत्पादन क्षमता को काम कर सकते हैं। जिसके परिणाम स्वरूप कार्य करने वाले लोगों की संख्या में कमी आ सकती हैं । अर्थात आर्थिक मंदी किसी भी समाज के बेरोजगारी के संख्या में वृद्धि कर सकता है।आर्थिक विकास के कारण देश में लोगों को रोजगार के अवसर काम प्राप्त होते हैं,जिससे बेरोजगारी की संख्या में बढ़ोतरी होती है। जैसे कि हम लोगों को पता है हम लोगों का देश एक कृषि प्रधान देश है जिसके कारण देश के अधिकतर लोग कृषि कार्य से जुड़े होते हैं। और यह व्यवसाय एक निजीकरण होने के कारण वर्ष में एक निश्चित समय के लिए काम का अवसर प्रदान करती है।
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बेरोजगारी के समस्याओं को खत्म करने वाले कुछ कारक निम्नलिखित है:-
- जनसंख्या पर नियंत्रण करना होगा।
- शिक्षा व्यवस्था के प्रणाली में सुधार करना होगा।
- देश में औद्योगिक क्षेत्र को बढ़ावा देना होगा।
- विदेशी व्यापार को बढ़ावा देना होगा।
- ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का अवसर को बढ़ावा देना होगा।
सरकार देश में बेरोजगारी समस्या को कम करने के लिए कई प्रकार की कदम उठाए हैं। लेकिन अभी तक इन क्षेत्रों में कोई खास सफलता प्राप्त नहीं हुई है। सरकार को बेरोजगारी की समस्याओं को खत्म करने के प्रभावी रणनीति तैयार करने की आवश्यकता है।
बेरोजगारी पर निबंध (500 शब्द) | समाज में बेरोजगारी निबंध
वर्तमान समय में बेरोजगारी एक महत्वपूर्ण समस्या बन गई है। भारत में बेरोजगारी संबंधित समस्या को बढ़ावा देने में शिक्षा की कमी,रोजगार अवसर की कमी, कौशल की कमी, शैक्षणिक मुद्दे और बढ़ती जनसंख्या जैसे कारक प्रमुख है। बेरोजगारी समस्या का प्रभाव और इसकी इसका नकारात्मक परिणाम हम लोगों के व्यक्तिगत जीवन के साथ-साथ समाज पर भी देखने को मिलता है। बेरोजगारी की संख्या में वृद्धि होने से अपराध ,गरीबी जैसी समस्या उत्पन्न होती है ।भारत सरकार ने इस प्रकार की समस्या को नियंत्रित करने के लिए कई प्रकार के कदम उठाए हैं ।
बेरोजगारी के कारण
बेरोजगार व्यक्ति काम के तलाश में जगह-जगह भटकते हैं। लेकिन वह काम को ढूंढने में असमर्थ हो जाते हैं। किसी भी समाज के व्यक्ति को बेरोजगार होने में कई प्रकार के कारणों का सामना करना होता हैं, इनमें से एक है कृषि पर अत्यधिक निर्भरता एवं गैर कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर धीमी होने के कारण बेरोजगारी के संख्या में वृद्धि होती है। हमारे देश में धीमी गति से आर्थिक वृद्धि होने के कारण पर्याप्त मात्रा में रोजगार के अवसर उत्पन्न नहीं हो पा रहे हैं। शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी होने का मुख्य कारण शहरी क्षेत्र में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का अत्यधिक मात्रा में निवास के परिणाम होता है जिसके परिणाम स्वरुप शहरी क्षेत्र में कार्य के क्षेत्र में श्रमिकों की संख्या की संख्या बढ़ गई है।बेरोजगारी की संख्या में वृद्धि होने के एक महत्वपूर्ण कारण है शिक्षा प्रणाली का क्षेत्र वर्तमान समय में व्यवहारिक ज्ञान एवं सैद्धांतिक ज्ञान पर आधारित हो गया है। इस प्रकार लोगों को नौकरी प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए विभिन्न प्रकार की योग्यताओं की जरूरत पड़ती है । लेकिन अधिकतर लोगों के पास तकनीकी योग्यता का अभाव होने के कारण उपलब्ध रोजगार एवं व्यवहारिक ज्ञान पर आधारित व्यक्ति के बीच की दूरी बढ़ जाती है और इसके परिणाम बेरोजगारी बढ़ जाती है।
बेरोजगारी दूर करने के उपाय
सरकार ने बेरोजगारी को दूर करने के लिए कई प्रकार के कदम उठाए हैं। सरकार ने लोगों को रोजगार का अवसर प्रदान करने के लिए स्वयं रोजगार जैसी कार्यक्रम और नीतियां शुरू किए हैं साथ ही साथ लोगों को सार्वजनिक कार्य में जोड़ने में मदद करने के लिए के कई प्रकार के कदम उठाए हैं। अर्थात बेरोजगारी के समस्या से लड़ने के लिए सरकार ने नीतिगत कदम उठाए हैं -जैसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम( मनरेगा) , राष्ट्रीय कौशल विकास योजना , नौकरीपेशा योजना इत्यादि है।बेरोजगारी को कम करने के लिए सरकार के द्वारा कई प्रकार के कार्यक्रम और नीतियां शुरू किया गया है लेकिन फिर भी भारत देश बेरोजगारी समस्या का सामना करने वाला देश बना हुआ है। बेरोजगारी के समस्या को दूर करने के लिए लोगों को शिक्षा प्रदान किया जा सकता है। लोगों के पास आवश्यक योग्यता उपलब्ध हो ताकि रोजगार के क्षेत्र में नौकरी को आसानी पूर्वक प्राप्त कर सके। शिक्षा के क्षेत्र में स्नातक और स्नातकोत्तर वर्ग के छात्रों के लिए विभिन्न प्रकार के व्यवसायिक प्रशिक्षण एवं व्यवसाय विषय को पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने से युवा वर्ग के लोगों को रोजगार के अवसर को ढूंढने में काफी मदद मिलेगी। शिक्षा के क्षेत्र में प्राथमिक स्तर पर इन पाठ्यक्रमों को सम्मिलित करना चाहिए ताकि छात्र अपनी शुरुआती जीवन से ही इन पाठ्यक्रमों से अवगत रहेंगे जिससे उनको आगे चलकर नौकरी को प्राप्त करने में काफी सहायता प्राप्त होगी।
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भारत देश की अर्थव्यवस्था काफी तेजी के साथ बढ़ रही है ,ऐसे में बेरोजगारी के क्षेत्र में सुधार करने के मौके उपलब्ध है। रोजगार के संख्या में वृद्धि करने के लिए सरकार के द्वारा कई प्रकार के कदम उठाए गए हैं, जैसे कौशल विकास योजना। इस योजना के तहत लोगों को काफी हद तक रोजगार के अवसर प्राप्त हुए हैं। साथी साथ सरकार शिक्षा के क्षेत्र में भी काफी ज्यादा ध्यान दे रही है क्योंकि वर्तमान समय में किसी भी नौकरी को प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार की योग्यताओं का होना काफी जरूरी होता है।
बेरोजगारी पर निबंध (750 शब्द) | विद्यार्थी जीवन में बेरोजगारी पर निबंध
भारत में अनेक प्रकार की समस्याएं देखने को मिलताी है। इन समस्याओं में बेरोजगारी की समस्या महत्वपूर्ण समस्या है। लोगों को अपने जीवन यापन करने के लिए आवश्यक चीजों की जरूरत पड़ती है और इन आवश्यक चीजों की जरूरत को पूर्ण करने के लिए पैसे का जरूरत पड़ती है। पैसे की जरूरत को पूरा करने के लिए आप लोगों को किसी प्रकार के रोजगार के क्षेत्र में जुड़ा रहना होगा। लेकिन वर्तमान समय में रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं होने के कारण लोग बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे हैं।
बेरोजगारी के प्रकार
हम लोगों के समाज में बेरोजगारी की समस्या कई प्रकार में देखने को मिलते है, जिसमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित है :-
● खुली बेरोजगारी :- इस प्रकार के बेरोजगारी का अर्थ यह होता है कि कोई व्यक्ति कार्य करना चाहता है पर उसे कोई काम नहीं मिल पाता है। इसी वजह से लोग बड़े पैमाने पर गांव से शहर की तरफ भागने लगते हैं।
● मौसमी बेरोजगारी :- भारत देश देश के अधिकांश लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है, जो समय के अनुसार कार्य होता है अर्थात वर्ष में 5 से लेकर 6 महीना कार्य होता है। जिसके फलस्वरूप उत्पन्न बेरोजगारी की समस्या को मौसमी बेरोजगारी का नाम दिया गया है।
● शिक्षित बेरोजगारी :- इस प्रकार के बेरोजगारी का अर्थ यह हुआ कि पढ़े लिखे लोग कार्य करना चाहते हैं वह अपनी योग्यताओं के अनुसार कार्य चाहते हैं पर उन्हें काम नहीं मिल रहा है।
● शहरी बेरोजगारी :- वर्तमान समय में शहरी क्षेत्र रोजगार का केंद्र माना जाता है यही करण है कि भारी संख्या में लोग ग्रामीण क्षेत्र से शहर की तरफ भाग रहे हैं। और शहर में आकर जब उन्हें किसी प्रकार का रोजगार का अवसर प्रदान नहीं होता है तो इस प्रकार के बेरोजगारी को शहरी बेरोजगारी के नाम से जाना जाता है।
● संरचनात्मक बेरोजगारी :- जब किसी देश की भौतिक एवं वित्तीय शक्ति कमजोर हो जाती है। तो वहां पर रहने वाले लोगों को रोजगार का अवसर प्रदान नहीं हो पते है। जिसके कारण बेरोजगारी की समस्या में वृद्धि हो जाती है अर्थात इस प्रकार के बेरोजगारी को संरचनात्मक बेरोजगारी के नाम से जाना जाता है।
बेरोजगारी की समस्या को उत्पन्न करने में कुछ प्रमुख निम्नलिखित कारण होते हैं:-
● जनसंख्या में वृद्धि :- बेरोजगारी के बढ़ने में जनसंख्या का महत्वपूर्ण योगदान होता है। जनसंख्या में वृद्धि होने से पर्याप्त रोजगार का अवसर उपलब्ध नहीं हो पते है, जिसके कारण बेरोजगारी की संख्या में वृद्धि होती जाती है।
● कौशल विकास का अभाव :- कार्य करने वाले लोगों के पास उपलब्ध कौशल एवं उद्योग धंधों के द्वारा मांगे गए कौशल के बीच समानताएं देखने को नहीं मिलती है, जिसके परिणाम स्वरूप बेरोजगारी में वृद्धि होती है।
● कृषि पर निर्भरता :- जैसे की आप लोगों को पता है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। जिसके कारण अधिकतर लोग कृषि पर निर्भर होते हैं। लेकिन किसी का कार्य वर्ष में 5 से 6 महीना ही रहता है ।जिसके फलस्वरुप बेरोजगारी की संख्या में वृद्धि हो रही है।
● अपर्याप्त शिक्षा प्रणाली :- भारत में शिक्षा प्रणाली व्यवहारिक ज्ञान एवं सैद्धांतिक ज्ञान पर आधारित होता है जिसके कारण बेरोजगारी की संख्या में वृद्धि होती है।
● तकनीकी प्रगति :- जैसे-जैसे रोजगार के क्षेत्र में तकनीकी प्रगति हो रही है, वैसे वैसे रोजगार अवसर के क्षेत्र में शारीरिक श्रम संख्या में कमी आ रही है, जिससे बेरोजगारी की संख्या में वृद्धि हो रही है।
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बेरोजगारी के परिणाम
भारत में बेरोजगारी की समस्या होने से समाज में इसके निम्नलिखित परिणाम देखने को मिलते हैं:-
● गरीबी: – लोगों को रोजगार नहीं मिलने से लोग बेरोजगार हो जाते हैं। जिससे उनका आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाता है जिससे लोग अपने दैनिक जीवन उपयोग करने वाले आवश्यक चीजों के पूर्ति नहीं कर पाते हैं जिससे गरीबी बढ़ जाती है।
● अपराध की स्थिति में वृद्धि :- रोजगार के अभाव में लोग अपने दैनिक जीवन में उपयोग करने वाले आवश्यक चीजों की पूर्ति के लिए गलत कार्यों के साथ जुड़ जाते हैं जैसे-चोरी,डकैती । इस प्रकार समाज में अपराध की स्थिति में दिन प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही है।
● बढ़ती असमानता :- रोजगार के क्षेत्र में अवसर कम मिलने के कारण समाज में गरीब और अमीर के बीच की दूरी बढ़ती जा रही है। जिसके कारण समाज में असमानता बढ़ जाती है।
● सामाजिक अशांति :- समाज में रोजगार के अवसर कम होने के कारण लोग सरकार से नौकरी की मांग करते हैं और अपने मांग को हड़ताल विरोध प्रदर्शन के द्वारा करते हैं। जिससे समाज में अशांति की स्थिति बन जाती है।
बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के उपाय:-
बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपाय यह है कि जनसंख्या पर नियंत्रण करना होगा। जनसंख्या पर नियंत्रण करके बेरोजगारी की समस्या को दूर किया जा सकता है। बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए शिक्षा प्रणाली मैं सुधार करना होगा। अर्थात शिक्षा प्रणाली में कौशलात्मक शिक्षा को जोड़ना होगा।महंगाई पर नियंत्रण करना होगा। योग्य एवं शिक्षित लोगों को नौकरी उपलब्ध कराना होगा।
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बेरोजगारी वर्तमान समय में भारत देश के लिए एक महत्वपूर्ण समस्या बन गई है। समाज में बेरोजगारी होने के कई कारण उपलब्ध होते हैं । समाज में बेरोजगारी होने से कई प्रकार की समस्या उत्पन्न होती है एवं इस प्रकार का समस्याओं को कुछ हद तक दूर करने के लिए सरकार ने कई प्रकार के योजनाएं आरंभ किए हैं। जिसकी जानकारी आप लोग इस आर्टिकल में विस्तार पूर्वक जान सकेंगे।
बेरोजगारी पर निबंध PDF Download | बेरोजगारी पर निबंध हिंदी में
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बेरोजगारी पर 10 लाइन हिंदी में | Unemployment 10 Lines in Hindi
- वर्तमान समय में बेरोजगारी एक बहुत बड़ी समस्या बन गई है इस समस्या का हल करना काफी आवश्यक है।
- बेरोजगारी की समस्या किसी भी क्षेत्र एवं किसी भी देश के नौकरी की कमी को दर्शाता है।
- भारत में बेरोजगारी बढ़ाने की सबसे बड़ी कारण है जनसंख्या दर में वृद्धि होने से।
- कंप्यूटर एवं नई तकनीक के आविष्कार के कारण बेरोजगारी की संख्या बढ़ गई है।
- बेरोजगारी की समस्या होने से कई प्रकार के मुद्दे उत्पन्न होते हैं जैसे गरीबों ,अपराध ,समाज में असमानता ।
- सरकार ने बेरोजगारी की समस्या को खत्म करने के लिए कई प्रकार के योजनाओं का आरंभ करती है जिससे रोजगार का अवसर प्राप्त हो सके ।
- बेरोजगारी किसी भी देश के विकास में प्रमुख बधाओ में से एक है ।
- बेरोजगार कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके पास शिक्षा का अभाव होता है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके पास डिग्रियां होती है फिर भी वह बेरोजगार रहते हैं।
- बेरोजगारी किसी खास व्यक्ति को प्रभावित नहीं करता है बल्कि पूरे राष्ट्र को प्रभावित करता है।
- बेरोजगारी होने के कारण कई प्रकार की समस्या उत्पन्न होती है जैसे अपराध ,गरीबी ,और समाज में असमानताएं फैल जाती है।
Conclusion:
उम्मीद करता हूं कि हमारे द्वारा लिखा गया आर्टिकल “बेरोजगारी पर निबंध” संबंधी जानकारी विस्तार पूर्वक प्रदान की गई है ,जो आप लोगों को काफी पसंद आया होगा। ऐसे में अगर आपके मन में हमारे आर्टिकल संबंधित कोई प्रश्न एवं सुझाव है, तो आप लोग हमारे कमेंट बॉक्स में आकर अपने प्रश्नों को पूछ सकते हैं। हम आप लोगों के प्रश्नों का जवाब जरूर देंगे।
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FAQ’s: Essay On Unemployment in Hindi
Q.भारत में बेरोजगारी के क्या कारण होते हैं.
Ans. भारत में बेरोजगारी होने के पीछे कई प्रमुख कारण उपलब्ध होते हैं जैसे:- जनसंख्या में वृद्धि, कृषि पर निर्भरता आपर्याप्त शिक्षा प्रणाली इत्यादि होते हैं।
Q. बेरोजगारी बढ़ने से समाज में इसके क्या परिणाम होते हैं?
Ans.समाज में बेरोजगारी बढ़ने से इसके कई परिणाम देखने को मिलते हैं जैसे गरीबी, अपराध एवं असमानताएं जैसे परिणाम समाज में देखने को मिलता है।
Q. बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के उपाय क्या है?
Ans.बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए सबसे प्रमुख उपाय जनसंख्या दर में नियंत्रण करना होगा, शिक्षा प्रणाली में सुधार करना होगा ,महंगाई पर नियंत्रण करना होगा इत्यादि।
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